केरल में एक उच्च तुंगता वाली क्लाउड ऑब्जर्वेटरी की स्थापना की जाएगी | 25 Jul 2017

संदर्भ
भारत में मानसून का प्रवेश द्वार कहलाये जाने वाले पश्चिमी घाट के मुन्नार क्षेत्र (केरल) में एक उच्च तुंगता वाली क्लाउड ऑब्जर्वेटरी (cloud observatory) यानि वेधशाला की स्थापना की जाएगी|

कार्य

  • इस उच्च तुंगता वाली वेधशाला का प्रयोग उस क्षेत्र में अवस्थित बादलों एवं वर्षा की स्थिति एवं प्रक्रिया का अवलोकन करने के लिये किया जायेगा|
  • जहाँ एक ओर इस प्रकार की वेधशाला की स्थापना के पश्चात् वर्षा के वितरण को समझने की बेहतर समझ विकसित होगी| वहीं दूसरी ओर मानसून की भविष्यवाणी के लिये प्रयोग किये जाने वाले संख्यात्मक मॉडल में वर्षा की प्रक्रियाओं को पहले की अपेक्षा कहीं अधिक बेहतर तरीके से व्याख्यायित भी किया जा सकेगा| 
  • ऐसी अपेक्षा की जा रही है कि बादलों एवं वर्षा के विषय में होने वाली दीर्घावधि की निगरानी प्रक्रिया के माध्यम से वर्षा के पुर्वानुमान में तो अधिक सटीकता आएगी ही साथ ही मौसम संबंधी गंभीर घटनाओं यथा चक्रवात, भारी वर्षा, आंधी आदि के विषय में भी न केवल केरल बल्कि संपूर्ण भारत के संबंध में सटीक भविष्यवाणी करने में भी मदद हासिल होगी|

परियोजना की लागत

  • ध्यातव्य है कि इस वेधशाला के निर्माण के लिये 10 करोड़ रुपए की धनराशि का आवंटन किया गया है|

अन्य पक्ष

  • विदित हो कि देश में पहले से ही उच्च तुंगता वाली क्लाउड ऑब्जर्वेटरी महाबलेश्वर (कोंकण) एवं मुन्नार (केरल) में कार्यरत है|
  • इनका कार्य केवल पश्चिमी घाटों के लिये अनुमोदित मानसून क्लाउड माइक्रोफिजिक्स प्रक्रिया का अध्ययन करना है| इसके अतिरिक्त इन वेधशालाओं में अन्य कोई विशेष सुविधा उपलब्ध नहीं है|
  • ध्यातव्य है कि देश के चार जलवायु संवेदनशील क्षेत्रों में इस प्रकार का अध्ययन किया जाता है, इनमें शामिल हैं – हिमालय क्षेत्र, पश्चिमी घाट, पूर्वोतर क्षेत्र, तटीय क्षेत्र| इन सभी क्षेत्रों में विशेष रूप से कृषि, जल, वन, तथा स्वास्थ्य एवं पारिस्थितिकी तंत्र संबंधी अध्ययनों को अधिक महत्त्व दिया जाता है|