अनाथालयों में बच्चों के संरक्षण संबंधी दिशा-निर्देश | 08 May 2017

संदर्भ

विदित हो कि हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने अनाथालयों में रह रहे बच्चों तथा बाल कल्याण संस्थाओं का डेटाबेस तैयार करने सहित कई निर्देश पारित किये हैं, ताकि उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित हो। न्यायालय ने  केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को साल के अंत तक सभी बाल कल्याण संस्थानों का पंजीकरण पूरा करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि पंजीकरण प्रक्रिया में सभी बच्चों का डेटाबेस भी शामिल होना चाहिये और यह हर महीने अपडेट होना चाहिये। पीठ ने अधिकारियों से डेटाबेस का रख-रखाव की गोपनीयता एवं निजता सुनिश्चित करने को कहा है।

प्रमुख बिंदु 

  • न्यायाधीश मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने केंद्र, राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों को इस वर्ष के अंत तक सभी बाल देखभाल संस्थानों का पंजीकरण पूर्ण कराने का निर्देश दिया है।
  • इस पंजीकरण प्रक्रिया में देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता हेतु सभी बच्चों का विवरण भी शामिल होना चाहिये तथा इसे प्रति माह अपडेट किया जाना आवश्यक है।
  • इन विवरणों की विश्वसनीयता और गोपनीयता को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होगी।
  • यह आवश्यक नहीं है कि देखभाल और सुरक्षा के लिये प्रत्येक बच्चे को बाल देखभाल संस्थान में रखा जाना चाहिये। इसके अतिरिक्त गोद लिये गए बच्चों की देखभाल और संरक्षण पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाना चाहिये।
  • खंडपीठ का तर्क है कि यह ज़रूरी है कि केंद्र सरकार और राज्य व संघ शासित क्षेत्रों की सरकारें बच्चों की देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता की पूर्ति हेतु बच्चों के पुनर्वासन और सामाजिक पुनःएकीकरण पर ध्यान केंद्रित करें।
  • केंद्र सरकार के कार्यक्रम जैसे कौशल विकास और व्यावसायिक परीक्षण इन बच्चों की मानसिकता में सुधार के लिये आवश्यक है।
  • खंडपीठ ने राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों को 31 जुलाई से पूर्व निरीक्षण समितियों को स्थापित करने का भी निर्देश दिया है। ये समितियाँ बाल देखभाल संस्थाओं का नियमित निरीक्षण करेंगी तथा ऐसे निरिक्षणों की रिपोर्ट तैयार करेंगी ताकि वहाँ रहने वाले बच्चों की दशा में कुछ सकारात्मक बदलाव किये जा सके।
  • खंडपीठ ने निर्देश दिया कि व्यक्तिगत बाल देखभाल योजनाओं को तैयार करने की प्रक्रिया की शुरुआत शीघ्र होनी चाहिये तथा 31 दिसम्बर से पूर्व ही ऐसे सभी केन्द्रों में रह रहे प्रत्येक बच्चे के लिये व्यक्तिगत योजना भी बनाई जानी चाहिये।
  • न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि बाल अधिकारों के संरक्षण के लिये राज्य आयोग(State Commission for Protection of Child Rights -SCPCR)  की सभी रिक्तियों को इस वर्ष के अंत तक भरा जाना चाहिये।

बाल अधिकारों के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय आयोग (NCPCR)
यह एक भारतीय सरकारी आयोग है जिसे संसद के बाल अधिकारों के संरक्षण के लिये अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित किया गया है अतः यह एक सांविधिक निकाय है। यह आयोग भारत के महिला और बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।