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सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के सोशल मीडिया हब को सर्विलांस स्टेट जैसा बताया

  • 14 Jul 2018
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा सभी कोर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के डिजिटल संवाद पर नज़र रखने की परियोजना को निगरानी राज्य (surveillance state) बताते हुए कड़ी टिप्पणी की गई है। न्यायालय ने इस संदर्भ में दो सप्ताह के भीतर सरकार से प्रतिक्रिया मांगी है।

प्रमुख बिंदु:

  • सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सोशल मीडिया के माध्यम से किये जाने वाले संवादों पर नज़र बनाए रखने के लिये एक ‘सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब’ स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है।
  • यह प्रस्तावित परियोजना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों की निगरानी करेगी और डेटा का विश्लेषण कर सरकार को अपनी प्रतिक्रिया मुहैया कराएगी।

सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब के कार्य:

  • यह देश भर के सभी ज़िलों से विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर ट्रेंडिंग न्यूज़ का संग्रह कर उसका विश्लेषण करेगी।
  • यह परियोजना सरकार को अपनी प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं की प्रगति की जानकारी इकट्ठा करने में मदद करेगी।
  • यह नीतियों को बनाने और उसे ज़मीनी स्तर पर कार्यान्वित करने में आने वाली बाधाओं को दूर करने में भी मददगार साबित होगी।
  • परियोजना द्वारा सरकार की विभिन्न योजनाओं का सोशल मीडिया पर पड़ने वाले प्रभाव का भी पता लगाएगा जाएगा।
  • यह परियोजना उन अफवाहों या झूठी खबरों के प्रसार को रोकने में मदद करेगी जो प्रतिकूल परिस्थितियों का कारण बन सकती है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • एक सोशल मीडिया विश्लेषणात्मक उपकरण
  • एक निजी डेटा सेंटर
  • विश्लेषण रिपोर्ट की तैयारी 
  • प्री-एंड पोस्ट स्थापना समर्थन (मानव संसाधन)
  • पूर्वानुमानित विश्लेषण 
  • एक ज्ञान प्रबंधन प्रणाली
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