नगालैंड में अलग ध्वज और अलग संविधान की मांग | 26 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (National Socialist Council of Nagaland) के महासचिव ने प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा है कि जब तक ‘अलग ध्वज और अलग संविधान’ जैसे मुख्य मुद्दों को नहीं सुलझाया जाएगा तब तक नगा राजनीतिक मुद्दे का कोई हल निकाल पाना संभव नहीं होगा।
प्रमुख बिंदु:
- हाल ही में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाते हुए अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था, 370 की समाप्ति के साथ ही जम्मू-कश्मीर को अलग ध्वज और संविधान रखने का प्रावधान भी समाप्त हो गया है।
- 370 की समाप्ति के पश्चात् पहली बार नगा चरमपंथी समूह ने यह कहा है कि 22 वर्षों से नगा क्षेत्र में शांति स्थापित करने हेतु जो प्रक्रिया चली आ रही है उसके ‘सम्मानजनक समाधान’ के लिये ‘अलग झंडा और संविधान’ आवश्यक है।
- नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड द्वारा लिखे गए पत्र में वर्ष 2015 में हुए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (Framework Agreement) के तहत अलग झंडे और संविधान की मांग की गई है।
- पत्र में यह स्पष्ट कहा गया है कि फ्रेमवर्क एग्रीमेंट को लगभग चार साल हो गए हैं, परंतु अभी तक भारत सरकार द्वारा इस संदर्भ में कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है।
- ज्ञातव्य है कि नगा ध्वज और संविधान पर नगा समूहों और केंद्र के बीच सहमति होनी अभी बाकी है। नगा लोग अपने प्रतीकों के प्रति काफी संवेदनशील हैं और इन प्रतीकों को अपनी पहचान तथा गौरव से जुड़ा हुआ मानते हैं।
क्या है नगालैंड की समस्या?
- पूर्वोत्तर में स्थित नगा समुदाय और नगा संगठन ऐतिहासिक तौर पर नगा बहुल इलाकों को मिलाकर एक ग्रेटर नगालिम राज्य बनाने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं।
- ‘नगालिम' या ग्रेटर नगा राज्य का उद्देश्य मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश के नगा बहुल इलाकों का नगालिम में विलय करना है।
- यह देश की पुरानी समस्याओं में से एक है।
- प्रस्तावित ग्रेटर नगालिम राज्य के गठन की मांग के अनुसार मणिपुर की 60% ज़मीन नगालैंड में जा सकती है।
- मैतेई और कुकी दोनों समुदाय मणिपुर के इलाकों का नगालिम में विलय का विरोध करते हैं।
- अगस्त 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भारत सरकार और नगाओं के प्रतिनिधियों के बीच एक नए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुए थे।
फ्रेमवर्क एग्रीमेंट लागू होने में बाधाएँ
- नगा संगठनों को सरकार बता चुकी है कि उनकी मांगों का समाधान नगालैंड की सीमा के भीतर ही होगा और इसके लिये पड़ोसी राज्यों की सीमाओं को बदलने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है।
- असम सरकार का भी कहना है कि किसी भी कीमत पर राज्य का नक्शा नहीं बदलने दिया जाएगा और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा हर हाल में की जाएगी।
- मणिपुर की सरकार का यह मत रहा है कि नगा समस्या के समाधान से राज्य की शांति भंग नहीं होनी चाहिये।
- साथ ही अरुणाचल प्रदेश सरकार ने भी साफ कर दिया है कि उसे ऐसा कोई समझौता मंज़ूर नहीं होगा जिससे राज्य की सीमा प्रभावित हो।
- दूसरी ओर क्षेत्रीय एकीकरण अर्थात् नगा इलाकों का एकीकरण नहीं होने की स्थिति में नगा विद्रोही गुट किसी प्रकार का समझौता करने के इच्छुक नहीं हैं।
- विभिन्न नगा समूहों में गहरे मतभेद भी रहे हैं, इसलिये किसी समझौते को आगे बढ़ाने में कठिनाई आती है, अतीत में बार-बार ऐसा देखने को मिला है।
- इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में नगा-बहुल क्षेत्रों के एकीकरण की मांग को दूसरे समुदायों से भी चुनौती मिल सकती है।