इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सेमी-क्रायोजेनिक प्रोपेलेंट टैंक

  • 08 Oct 2021
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सेमी-क्रायोजेनिक प्रोपेलेंट टैंक

मेन्स के लिये:

सेमी-क्रायोजेनिक प्रोपेलेंट टैंक का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड’ (HAL) ने ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) को अब तक का सबसे भारी ‘सेमी-क्रायोजेनिक प्रोपेलेंट टैंक’ (SC120-LOX) प्रदान किया है।

  • वर्ष 2020 में, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इसरो को अब तक का सबसे बड़ा ‘क्रायोजेनिक लिक्विड हाइड्रोजन टैंक’ (C32-LH2) दिया था।

प्रमुख बिंदु 

  • सेमी क्रायो-लिक्विड ऑक्सीजन के विषय में:
    • सेमी क्रायो-लिक्विड ऑक्सीजन (LOX) टैंक- जो कि अब तक का पहला विकासात्मक वेल्डेड हार्डवेयर है- मौजूदा ‘Mk-III’ लॉन्च वाहन में ‘L110’ चरण को बदलकर पेलोड बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गए ‘SC120’ चरण का एक हिस्सा है।
      • GSLV Mk III इसरो द्वारा विकसित तीन चरणों वाला भारी-भरकम प्रक्षेपण यान है। वाहन में दो सॉलिड स्ट्रैप-ऑन, एक कोर लिक्विड बूस्टर और एक क्रायोजेनिक अपर स्टेज है।
  • क्रायोजेनिक इंजन:
    • क्रायोजेनिक इंजन/क्रायोजेनिक चरण अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों का अंतिम चरण है जो क्रायोजेनिक्स का उपयोग करता है।
      • क्रायोजेनिक्स का आशय अंतरिक्ष में भारी वस्तुओं को उठाने और रखने के लिये बेहद कम तापमान (-150 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे) पर सामग्री के व्यवहार का अध्ययन करने से है।
    • एक क्रायोजेनिक इंजन ठोस और तरल प्रणोदक रॉकेट इंजन की तुलना में अधिक बल प्रदान करता है और अधिक कुशल होता है।
    • यह तरल ऑक्सीजन (LOX) और तरल हाइड्रोजन (LH2) को प्रणोदक के रूप में उपयोग करता है, जो क्रमशः -183 डिग्री सेल्सियस और -253 डिग्री सेल्सियस पर द्रवित होता है। 
  • सेमी-क्रायोजेनिक इंजन:
    • क्रायोजेनिक इंजन के विपरीत, एक सेमी-क्रायोजेनिक इंजन तरल हाइड्रोजन के बजाय परिष्कृत केरोसीन का उपयोग करता है।
    • तरल ऑक्सीजन का उपयोग ऑक्सीडाइज़र के रूप में किया जाता है।
      • सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करने का यह फायदा है कि इसमें परिष्कृत केरोसीन की आवश्यकता होती है जो तरल ईंधन से हल्का होता है और इसे सामान्य तापमान में संग्रहीत किया जा सकता है।
    • तरल ऑक्सीजन के साथ संयुक्त केरोसीन रॉकेट को अधिक ऊर्जा प्रदान करता है।
    • परिष्कृत केरोसीन कम जगह घेरता है, जिससे सेमी-क्रायोजेनिक इंजन ईंधन डिब्बे में अधिक प्रणोदक ले जाना संभव हो जाता है।
    • क्रायोजेनिक इंजन की तुलना में सेमी-क्रायोजेनिक इंजन अधिक शक्तिशाली, पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी होता है।

स्रोत: इकोनॉमिक्स टाइम्स

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2