स्वतंत्र निर्देशकों की तलाश | 07 Feb 2017

एक स्वतंत्र निर्देशक  (Independent Director) कौन होता है?

  • कंपनी अधिनियम (Companies Act), 2013 के अनुसार, एक स्वतंत्र निर्देशक किसी कम्पनी का वह व्यक्ति होता है जिसका उस कंपनी में न तो कोई शेयर होता है, न ही उस कंपनी के साथ कोई आर्थिक संबंध ही होता है और न ही वह व्यक्ति उस कंपनी का निर्देशक एवं प्रमोटर (Promoters) ही होता है|
  • एक स्वतंत्र निर्देशक एक प्रबंध निर्देशक (Managing Director) नहीं हो सकता है, वह किसी कंपनी अथवा उसकी सहायक कंपनी का एक पूर्णकालिक निर्देशक अथवा प्रमोटर होता है| 
  • इसका सीधा सा अर्थ है कि कंपनी द्वारा किसी भी प्रमोटर के परिवार के सदस्य अथवा मित्र को उस कंपनी का स्वतंत्र निर्देशक नहीं चुना जा सकता है| 
  • स्वतंत्र निर्देशक चुने जाने के लिये योग्यता क्या होनी चाहिये?
  • एक स्वतंत्र निर्देशक को किसी अन्य कंपनी के साथ व्यापार करने के लिये वित्त, कानून, प्रबंधन, बिक्री, विपणन, प्रशासन, अनुसंधान, कॉर्पोरेट प्रशासन, तकनीकी संचालन में से किसी एक अथवा एक से अधिक क्षेत्र के विषय में कौशल, अनुभव तथा पर्याप्त ज्ञान होना आवश्यक है|

एक स्वतंत्र निर्देशक का चुनाव कैसे किया जाता है?

  • कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार, सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध हर कंपनी के एक-तिहाई निर्देशक स्वतंत्र निर्देशक होने चाहिये|
  • भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (The Securities and Exchange Board of India - SEBI) के नियमों के अनुसार, किसी भी सूचीबद्ध कंपनी के बोर्ड का अध्यक्ष एक गैर-कार्यकारी निर्देशक (Non-Executive Director) होता है |
  • यदि किसी कंपनी में नियमित रूप से एक गैर – कार्यकारी निर्देशक नियुक्त नहीं किया जाता है तो, सेबी के नियमों में यह विशेष रूप से उल्लिखित किया गया है कि उक्त कंपनी के बोर्ड के कम से कम आधे सदस्य स्वतंत्र निर्देशक के तौर पर कार्य करेंगे|
  • स्वतंत्र निर्देशकों की नियुक्ति शेयरधारकों (Shareholders) की एक आम बैठक (General Meeting) में एक प्रस्ताव (Resolution) पारित करके की जाती है| 
  • मौजूदा नियमों के अनुसार, एक व्यक्ति सात से अधिक सूचीबद्ध कंपनियों में स्वतंत्र निर्देशक के रूप में कार्य नहीं कर सकता है|
  • ऐसा कोई व्यक्ति जो किसी सूचीबद्ध कंपनी में एक पूर्णकालिक निर्देशक के रूप में कार्य करता है, वह तीन से अधिक सूचीबद्ध कंपनियों में स्वतंत्र निर्देशक के तौर पर कार्य नहीं कर सकता है|


स्वतंत्र निर्देशक के कार्य की अवधि तथा पारिश्रमिक कितना होता है? 

  • एक स्वतंत्र निर्देशक का अधिकतम कार्यकाल पाँच वर्ष को होता है| हालाँकि कपंनी द्वारा एक विशेष प्रस्ताव पारित करके उसे पुन: पाँच वर्षों के लिये नियुक्त किया जा सकता है|
  • वर्ष 2015 में आईआईएएस ( Institutional Investor Advisory Services - IiAS) जो कि एक प्रॉक्सी सलाहकार फर्म (Proxy advisory firm) है, द्वारा एक लेख में यह स्पष्ट किया गया कि वर्तमान में देश में बहुत सी ऐसी कम्पनियाँ हैं जिनमें पिछले 10 सालों से एक ही स्वतंत्र निर्देशक कार्य कर रहे हैं|
  • स्पष्ट है कि इतने लम्बे समय तक एक ही स्थान पर कार्य करने के कारण इन स्वतंत्र निर्देशकों की तटस्थता एवं निष्पक्षता संदेह के दायरे में आ जाती है| 
  • ध्यातव्य है कि स्वतंत्र निर्देशकों का प्रति बोर्ड शुल्क 1 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिये|
  • हालाँकि यदि कंपनी के शेयरधारक मंजूरी प्रदान करते हैं तो स्वतंत्र निर्देशकों को लाभ संबंधित कमीशन (Profit-related Commission) प्रदान किया जा सकता है|


स्वतंत्र निर्देशकों का कार्य क्या होता है?

  • इनका मुख्य कार्य अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हितों की रक्षा करना तथा कंपनी के कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार लाना होता है| 
  • स्वतंत्र निर्देशकों का कार्य प्रबंधन के कार्य प्रदर्शन की समीक्षा करने के साथ-साथ प्रबंधन तथा शेयरधारकों के हितों के मध्य उपजे विवादों की मध्यस्थता करना होता है|
  • आमतौर पर, किसी कंपनी के अध्यक्ष तथा गैर-स्वतंत्र निर्देशकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिये वर्ष में एक बार उस कंपनी के स्वतंत्र निर्देशकों की बैठक (बिना कंपनी के प्रबंधन समूह के योगदान के) आयोजित की जाती है| 
  • आईआईएएस द्वारा जारी किये गए लेख के अनुसार, किसी कंपनी के स्वतंत्र निर्देशकों का तटस्थ एवं निष्पक्ष प्रतिनिधित्व उस कंपनी के आंतरिक तंत्र को नियंत्रित करने तथा उसे मज़बूती प्रदान करने में एक अहम भूमिका अदा कर सकता है| 


क्या अतीत में स्वतंत्र निर्देशकों की भूमिका के मुद्दे पर कोई विवाद उत्पन्न हुआ है? 

  • गौरतलब है कि जनवरी 2009 में जब रामलिंगा राजू (सत्यम कम्पूटर के अध्यक्ष) द्वारा पिछले कईं सालों में कंपनी को 7,136 करोड़ रुपए का चूना लगाने का मामला सामने आया तो निवेशकों द्वारा कंपनी के स्वतंत्र निर्देशकों की वास्तविक भूमिका के सन्दर्भ में गंभीर चिंता व्यक्त की गई|
  • वर्ष 2014 में जब यूनाइटेड बैंक ऑफ़ इंडिया (United Bank of India) में गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों (Non-Performing Assets) में वृद्धि का मामला सामने आया तो इसके किसी स्वतंत्र निर्देशक (जिनमें एक राजनेता, एक मीडिया मैनेजर तथा एक व्यापारी शामिल हैं) की योग्यता बैंक को इस समस्या से बाहर निकाल पाने में सफल साबित नहीं हो सकी|
  • हाल ही में टाटा संस के अवकाशप्राप्त अध्यक्ष रतन टाटा तथा टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष साईरस मिस्त्री के मध्य शेयरधारकों को आगामी जोखिमों के प्रति सचेत करने तथा उक्त जोखिमों की जिम्मेदारी लेने की स्वतंत्र निर्देशक की भेद्यता के मुद्दे पर विवाद की स्थिति बनी हुई है |