उड़ान योजना का दूसरा चरण | 25 Jan 2018
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (Regional Connectivity Scheme-RCS) ‘उड़ान’ के दूसरे चरण के तहत 73 हवाई अड्डों और हेलीपैडस को जोड़ा जाएगा।
- इस योजना के तहत प्रतिवर्ष लगभग 26.5 लाख सीटें उपलब्ध कराई जाएंगी जिसमें अधिकतम किराया 2500 रुपए / घंटे की दर से वसूला जाएगा।
- इस योजना के तहत हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों से पहली बार बोली प्राप्त की गई है, जिसका उपयोग पहाड़ी राज्यों में एयर कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिये किया जाएगा।
- उड़ान के दूसरे चरण में हिमाचल प्रदेश में 6, उत्तराखंड में 15, अरुणाचल प्रदेश में 8, उत्तर प्रदेश में 9, असम और मणिपुर में 5 शहरों में एयर कनेक्टिविटी प्रदान कराई जाएगी।
- कारगिल, दरभंगा, इलाहाबाद, कसौली, बोकारो, दुमका, हुबली, कन्नूर और पकयोंग जैसे शहर इससे लाभान्वित होने वाले मुख्य शहर हैं। इस योजना के तहत कारगिल को पहली बार हवाई सेवा उपलब्ध होगी और उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा।
- इन प्रस्तावों को अमलीजामा पहनाने के लिये प्रतिवर्ष 487 करोड़ रुपए की व्यवहार्यता अंतराल अनुदान (Viability Gap Funding- VGF) और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों (उत्तर-पूर्वी और पहाड़ी राज्य) में हेलीकॉप्टर संचालन के लिये 130 करोड़ रूपए की आवश्यकता होगी।
- इसके लिये केंद्र सरकार ने उड़ान योजना के वित्तीयन हेतु प्रमुख मार्गों पर उड़ान भरने वाली एयरलाइनों से वसूली जाने वाली 5,000 रुपए की क्षेत्रीय एयर कनेक्टिविटी लेवी में वृद्धि नहीं करने का निर्णय लिया है।
- अब इसे आंशिक रूप से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (Airports Authority of India-AAI) द्वारा भारत सरकार को दिये जाने वाले लाभांश में से निधि प्रदान कराई जाएगी।
उड़ान (Ude Desh Ka Aam Naagrik-UDAN) योजना
- उड़ान देश में क्षेत्रीय विमानन बाज़ार को विकसित करने की दिशा में एक नवोन्मेषी कदम है।
- क्षेत्रीय संयोजकता योजना-उड़ान 15 जून, 2016 को नागर विमानन मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय नागर विमानन नीति (National Civil Aviation Policy - NCAP) का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
- क्षेत्रीय एयर कनेक्टिविटी को सुविधाजनक बनाने के मुख्य उद्देश्य के साथ अक्टूबर, 2016 में इस योजना को शुरू किया गया था।
- इसमें रुचि रखने वाले ऑपरेटर प्रस्ताव करके अभी तक संपर्क से नहीं जुड़े मार्गों पर संचालन शुरू कर सकते हैं।
- यह वैश्विक स्तर पर अपनी तरह की पहली योजना है जो क्षेत्रीय मार्गों पर सस्ती, आर्थिक रूप से व्यवहार्य एवं लाभप्रद उड़ानों को बढ़ावा देगी ताकि आम आदमी वहनीय कीमत पर हवाई यात्रा कर सके।
- इसके तहत विमान की आधी सीटों के लिये प्रति घंटा एवं 500 किमी. की यात्रा उड़ान हेतु अधिकतम 2500 रुपए किराया वसूला जाएगा एवं इससे एयरलाइनों को होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा की जाएगी।
- इसमें मौजूदा हवाई-पट्टियों एवं हवाई अड्डों के पुनरुत्थान के माध्यम से देश के उन हवाई अड्डों पर भी कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी जो कम उपयोग में आते हैं अथवा जिनका उपयोग नहीं किया जाता है।
व्यवहार्यता अंतर फंडिंग
- यह एक ऐसा अनुदान होता है जो सरकार द्वारा उन आधारभूत ढाँचा परियोजनाओं को प्रदान किया जाता है जो आर्थिक रूप से लाभकारी हों लेकिन उनकी वित्तीय व्यवहार्यता कम हो (Economically Justified but not financially viable)।
- ऐसा अनुदान दीर्घ परिपक्वता अवधि वाली परियोजनाओं को प्रदान किया जाता है।