भारतीय अर्थव्यवस्था
म्यूच्यूअल फंड हेतु सेबी के नए नियम
- 28 Jun 2019
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चर्चा में क्यों?
निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिये भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India -SEBI) ऐसे सभी म्यूचुअल फंड के विरुद्ध कार्यवाही करेगा जिसमे डिफॉल्ट होने वाली कंपनी के प्रवर्तकों को शेयर के बदले ऋण दिया गया हो। इसके अतिरिक्त SEBI ने म्यूच्यूअल फंड हाउसेस (MF houses) के लिये कुछ नए और सख्त निवेश मापदंडों को भी मंज़ूरी दी है।
मुख्य बिंदु
- विशेषज्ञों के अनुसार SEBI द्वारा उठाए गए इस कदम का मुख्य उद्देश्य उधारकर्त्ताओं के डिफॉल्ट हो जाने की स्थिति में उत्पन्न होने वाले ऋण जोखिम से निवेशकों की रक्षा करना है।
- वर्तमान में म्यूच्यूअल फंड उद्योग एक भारी वित्तीय संकट का सामना कर रहा है जिसके लिये उन फंड प्रबंधकों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है जो ऋण योजनाओं के माध्यम से कंपनी प्रवर्तकों को उधार देते हैं।
- ‘फंड हाउस’ (fund houses) ने कंपनी प्रवर्तकों के साथ ऐसे समझौते किये हैं जिनके अनुसार, ‘डिफॉल्ट की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी वे कंपनी के अंशों को किसी एक निश्चित समय तक बेंच नहीं सकते हैं।’
- परन्तु SEBI ने ऐसे किसी भी समझौते को मान्यता नहीं दी है।
- SEBI के अनुसार म्यूच्यूअल फंड बैंक नहीं होते हैं इसलिये उन्हें ऋण देने के बजाय बाज़ार में निवेश करना चाहिये।
कौन होता है प्रमोटर या प्रवर्तक?
- प्रवर्तक का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह से है जो कंपनी के प्रवर्तन के बारे में कार्य करते है। सामान्य शब्दों में कहा जा सकता है कि व्यापार/कंपनी शुरू करने वाले व्यक्ति को ही प्रवर्तक कहते हैं।
नए निवेश मापदंड
- म्यूच्यूअल फंड अब केवल सूचीबद्ध ऋण या इक्विटी (Debt or Equity) में ही निवेश कर सकते हैं।
- नए मापदंडों के अनुसार अब से जोखिम की गणना परिशोधन (Amortisation) के आधार पर नहीं बल्कि मार्क-टू-मार्केट (mark-to-market) आधार पर की जाएगी।
- किसी भी म्यूच्यूअल फंड को ऋण में निवेश करने के लिये चार गुना कवर प्रदान करना होगा और इसे इक्विटी द्वारा भी सुरक्षा प्रदान करनी होगी।
- इसके अतिरिक्त तरल म्यूच्यूअल फंड योजनाओं (MF Liquid Schemes) को अपनी कुल निवेश परिसंपत्ति का 20 प्रतिशत हिस्सा नकद या गिल्ट फंड के रूप में बनाए रखना होगा, जो उन्हें प्रतिदान/शोधन/मोचन (Redemptions) में मदद कर सकता है।
तरल म्यूच्यूअल फंड योजना वह म्यूच्यूअल फंड योजना है जिसकी अधिकतम परिपक्वता अवधि मात्र 90 दिनों की होती है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड
(Securities and Exchange Board of India)
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई थी।
- इसका मुख्यालय मुंबई में है।
- इसके मुख्य कार्य हैं -
- प्रतिभूतियों (securities) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना।
- प्रतिभूति बाज़ार (securities market) के विकास का उन्नयन करना तथा उसे विनियमित करना और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना।