भारतीय अर्थव्यवस्था
आईपीओ की नीलामी में यूपीआई के उपयोग का प्रस्ताव
- 26 Jul 2018
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चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेशकों को इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) में शेयरों की बोली के दौरान मौजूदा पब्लिक इश्यू टाइमलाइन T+6 को T+3 करने के लिये एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) का उपयोग करने की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया है।
प्रमुख बिंदु:
- उल्लेखनीय है कि एप्प्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड अमाउंट (ASBA) द्वारा दो वर्ष पूर्व भी टाइमलाइन को कम करने में मदद मिली थी। लेकिन वर्तमान में प्रस्तावित एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) का उपयोग समग्र रूप से टाइमलाइन को कम करने में कारगर होगा।
- भुगतान प्रणाली में हो रहे महत्त्वपूर्ण विकास से यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) एप्प्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड अमाउंट (ASBA) के साथ मिलकर को इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) की दक्षता में सुधार लाएगा।
- टी +3 ऐसी प्रणाली को संदर्भित करता है जिसमें इक्विटी शेयर आईपीओ की सदस्यता समाप्ति के तीन दिन पश्चात् बाज़ार में सूचीबद्ध होते हैं।
- सेबी ने जनवरी 2016 में सभी निवेशकों के लिये एप्प्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड अमाउंट (ASBA) प्रणाली को अनिवार्य कर आईपीओ टाइमलाइन को T+12 से कम कर T+6 कर दिया था।
- गौरतलब है कि जब एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से धन हस्तातंरण की अधिकतम सीमा 2 लाख रुपए तक थी, उस स्थिति में संस्थागत निवेशकों और उच्च मूल्य स्तर के निजी निवेशकों व्यक्तियों द्वारा मौजूदा एप्प्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड अमाउंट (ASBA) प्रणाली का प्रयोग किया
- जाता होगा।