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भारतीय अर्थव्यवस्था

सेबी ने ऋण प्रकटीकरण के लिये रखा कड़े मानदंडों का प्रस्ताव

  • 26 May 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

सूचीबद्ध कंपनियों को जल्द ही ऋण प्रतिभूतियों पर डिफ़ॉल्ट की स्थिति में त्वरित प्रकटीकरण करना पड़ सकता है। कंपनियों को ऐसा प्रकटीकरण उस स्थिति में भी करना पड़ेगा, जब कंपनी केवल ब्याज या मूल राशि के भुगतान में संभावित देरी या डिफ़ॉल्ट की अपेक्षा कर रही हो।

प्रमुख बिंदु 

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India) ने पिछले साल बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिये गए और डिफॉल्ट हुए ऋणों के प्रकटीकरण से संबंधित मानदंडों को कड़ा करने का प्रयास किया था। लेकिन उसे विरोध का सामना करना पड़ा, परिणामतः मानदंडों को सख्त नहीं किया जा सका। 
  • अब सेबी इस तरह के प्रकटीकरणों को अनिवार्य बनाने हेतु लिस्टिंग विनियमनों में संशोधन करने की योजना बना रहा है।
  • पूंजी बाजार नियामक ने लिस्टिंग बाध्यताएँ और प्रकटीकरण अपेक्षाएँ विनियमन, 2015 (Listing Obligations and Disclosure Requirements Regulation, 2015) में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है, जिसका सभी सूचीबद्ध कंपनियों का पालन करना होगा।
  • सेबी ने ऐसे बदलावों का प्रस्ताव दिया है, जिनके अंतर्गत कंपनी को 24 घंटे के भीतर किसी भी डिफ़ॉल्ट या अपेक्षित डिफ़ॉल्ट या ब्याज भुगतान में देरी या गैर-परिवर्तनीय ऋण प्रतिभूतियों (non-convertible debt securities) पर लाभांश या गैर-परिवर्तनीय प्रतिदेय वरीयता शेयर  (non-convertible redeemable preference shares) पर लाभांश के मामले में अनिवार्यतः प्रकटीकरण करना होगा।
  • इसके अलावा, यदि कोई ऐसी कोई ऐसी कार्रवाई या प्रस्ताव है, जो ऋण प्रतिभूतियों के प्रतिदान, रूपांतरण, रद्दीकरण, निवृत्ति को आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है, उसका भी जल्द से जल्द प्रकटीकरण करना होगा और यह समयावधि किसी भी स्थिति में 24 घंटे से अधिक नहीं होगी।
  • पिछले साल ऋण डिफॉल्ट प्रकटीकरण पर सेबी द्वारा जारी किये गए सर्कुलर के बारे में विचार व्यक्त किया गया था कि यह प्रतिभूति बाजार की सीमाओं से परे चला गया था, इस कारण वह अवरुद्ध हो गया।
  • इस बार सेबी ने अपनी सीमाओं में रहकर कार्य किया है और एलओडीआर नियमों में संशोधन करके प्रकटीकरण के लिए नियमों को सख्त बनाने का प्रस्ताव रखा है।
  • इसके अतिरिक्त, सेबी चाहता है कि सूचीबद्ध कपनियाँ प्रत्येक तिमाही के दौरान सभी एनसीडी या एनसीआरपीएस पर देय ब्याज या लाभांश से संबंधित विवरण का पाँच दिन पूर्व प्रकटीकरण कर दें।
  • तत्पश्चात्, तिमाही के अंत से दो कार्य दिवसों के भीतर एक प्रमाणपत्र द्वारा ऐसे सभी भुगतानों की पुष्टि करने की आवश्यकता होगी।
  • कंपनियों को प्रत्येक तीन माह में किसी भी आगम के उपयोग में, यदि कोई भी ‘मेटेरियल डेविएशन’ (material deviation) का मामला आता है, तो इसकी जानकारी सेबी को देनी होगी।
  • बाजार प्रतिभागियों को प्रस्ताव पर अपना फीडबैक देने हेतु 11 जून, 2018 तक का समय दिया गया है।
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