सेबी के नए नियम: सचिवालय लेखा परीक्षा है अनिवार्य | 12 May 2018
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India) ने शेयर बाज़ार की सूची में सम्मिलित सभी कंपनियों तथा ऐसी कंपनियों की “महत्वपूर्ण गैर-सूचीबद्ध” (material unlisted) सहायक कंपनियों के लिये सचिवालय लेखा परीक्षा अनिवार्य कर दी है।
प्रमुख बिंदु:
- यह निर्णय कॉर्पोरेट प्रशासन पर उदय कोटक समिति द्वारा अनुशंसित समूहिक निगरानी को मज़बूत करने तथा सामूहिक स्तर पर अनुपालन में सुधार के उद्देश्य से, ‘लिस्टिंग दायित्वों और प्रकटीकरण आवश्यकताएँ (LODR)’ के नियमों के तहत लिया गया है।
- ध्यातव्य है कि कंपनी अधिनियम पहले से ही (2014 से) सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिये इस तरह की लेखापरीक्षा का प्रावधान करता है।
- सेबी ने अब यह भी स्पष्ट किया है कि कंपनी सचिवों और मुख्य वित्तीय अधिकारियों (CFOs) को विशेष रूप से "वरिष्ठ प्रबंधन" का हिस्सा माना जाना चाहिये।
- इसलिए बोर्ड की नामांकन तथा पारिश्रमिक समिति (Nomination and Remuneration Committee of the Board) द्वारा उनके पारिश्रमिक की सिफारिश की जानी चाहिये।
- वरिष्ठ प्रबंधन के हिस्से के रूप में मुख्य वित्तीय अधिकारियों (CFOs) का अनिवार्य समावेशन न केवल उनकी वैधानिक भूमिका को मान्यता देता है बल्कि समग्र बोर्ड प्रशासन में उनकी ज़िम्मेदारियों और स्थितियों का भी सम्मान करता है।
- सेबी को यह उम्मीद है कि कंपनी सचिव बोर्ड की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिये स्वयं को प्रशासनिक पेशेवरों के रूप में परिवर्तित करके इस मान्यता का सम्मान करेंगे।
सेबी-
- यह भारतीय प्रतिभूति बाज़ार की नियामक संस्था है, जिसकी स्थापना 1988 में हुई थी।
- सेबी अधिनियम, 1992 के माध्यम से 30 जनवरी 1992 को सेबी को वैधानिक शक्तियाँ प्रदान की गई थीं।
- सेबी अर्द्ध-विधायी, अर्द्ध-न्यायिक और अर्द्ध-कार्यकारी तीनों प्रकार के कार्य संपादित करता है।
उदय कोटक समिति
- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने भारतीय कंपनियों में कॉर्पोरेट प्रशासन से संबंधित मुद्दों पर सलाह देने के लिये 2 जून, 2017 को इस समिति का गठन किया था।
- इस समिति को चार माह के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी।
- इस समिति के अध्यक्ष कोटक महिंद्रा बैंक के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक उदय कोटक थे।