सेबी ने हरित बांड की सूचीबद्धता के लिये नियमों को अंतिम रूप दिया | 01 May 2017

समाचारों में क्यों?
गौरतलब है कि बाज़ार नियामक सेबी ने हरित बांड जारी करने और उसे सूचीबद्ध करने के लिये नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। इससे अक्षय उर्जा खंड में निवेश के लिये पूंजी बाज़ार से कोष जुटाने में मदद मिलेगी।

महत्त्पूर्ण बिंदु

  • विदित हो कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वित्त, पर्यावरण के साथ नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा मंत्रालयों से टिप्पणी प्राप्त करने के बाद नियमों को अंतिम रूप दे दिया है।
  • सेबी ने जनवरी 2016 में ही हरित बांड जारी करने और उसे सूचीबद्ध कराने को लेकर नए मसौदे का प्रस्ताव किया था लेकिन अंतिम तौर पर नियम अधर में अटका रहा जिसका कारण विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से प्रस्तावित नियमों पर मिलने वाले जवाब का इंतजार था।
  • नियामक को नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से टिप्पणी मिल गई है जबकि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से पहले ही सुझाव मिल गए थे।
  • हरित बांड अन्य बांड की तरह होगा जो कोई इकाई निवेशकों से कोष जुटाने के लिये जारी करेगा। हालाँकि अन्य बांड के मुकाबले इसमें अंतर यह होगा कि इससे प्राप्त राशि का उपयोग हरित परियोजनाओं के वित्त पोषण में किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि फिलहाल हरित बांड के लिये कोई मानक नियम नहीं है।

निष्कर्ष
गौरतलब है कि भारत ने 2022 तक अक्षय ऊर्जा स्रोतों से 175 गीगावाट बिजली उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा है। इसके लिये 200 अरब डालर के वित्त पोषण की ज़रूरत होगी। इस संदर्भ में हरित बांड महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।