सेबी ने तनावग्रस्त संपत्ति खरीदने के लिये मानदंडों को आसान किया | 22 Jun 2017
संदर्भ
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने बुधवार को तनावग्रस्त परिसंपत्तियों वाली और दिवालिया कानून की कार्रवाई का सामना कर रही कंपनियों से संपत्ति खरीदने वाले निवेशकों के लिये नियमों को आसान बना दिया है। उल्लेखनीय है कि तनावग्रस्त परिसंपत्तियाँ देश की बैंकिंग प्रणाली के लिये एक बड़ी चुनौती बन गए हैं।
- महत्त्वपूर्ण बिंदु
- सेबी ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) द्वारा ‘दिवालियेपन संहिता- 2016’ (Bankruptcy Code 2016) के तहत अनुमोदित प्रस्ताव के बाद भी अधिग्रहण के लिये छूट प्रदान करने का निर्णय किया है।
- सेबी ने ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (Offshore Derivative Instrument) के प्रत्येक ग्राहक पर 1,000 डॉलर का 'विनियामक शुल्क' लगाने का फैसला किया है। यह फीस पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FII) द्वारा वसूली जाएगी जो ओ.डी.आई. जारी करती है।
- उधारदाताओं से दांव (Stakes) खरीदने के बाद अधिग्रहणकर्त्ता को खुली बिक्री (Open Offers) करने की छूट दी गई है।
- नये निवेशकों के लिये तीन साल के लॉक-इन (Lock-in) जैसे प्रावधानों को शामिल किया गया है।
- सेबी मामले की जांच के लिये एक ‘फॉरेंसिक ऑडिटर’ की भी नियुक्ति करेगा।
तनावग्रस्त परिसंपत्तियों (Stressed Assets)
- गैर निष्पादित संपत्ति (NPA), पुनर्गठित ऋण (Restructured Loans) और लिखित-बंद संपत्ति (Written-off Assets) को सामूहिक रूप से तनावग्रस्त परिसंपत्ति मानी जाती है।