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भारतीय अर्थव्यवस्था

सेबी के नए मानदंड

  • 20 Sep 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने ओपन एंडेड इक्विटी योजनाओं के लिये कुल व्यय अनुपात (Total  Expense Ratio- TER) को कम करते हुए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors- FPIs) के लिये KYC (know your Client) की आवश्यकताओं पर एच.आर. खान समिति की सिफारिशों को व्यापक रूप से स्वीकार कर लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • सेबी ने अप्रैल में जारी परिपत्र में संशोधन करने के लिये सहमति व्यक्त की है और नया परिपत्र जारी करने का फैसला किया है जो खान समिति की सिफारिशों के अनुरूप है।
  • कुल व्यय अनुपात को कम करने के फैसले से निवेशकों के लिये म्युचुअल फंड में निवेश करना पहले की तुलना में कम महँगा होगा।
  • एक और बड़े फैसले में, नियामक ने ओपन एंडेड इक्विटी स्कीमों के लिये अधिकतम व्यय अनुपात 1.05% निश्चित कर दिया है जिसमें प्रबंधन के तहत संपत्ति (Assets Under Management- AUM) का मूल्य 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
  • वर्तमान में, 300 करोड़ रुपये से अधिक AUM वाली योजनाओं के लिये कुल व्यय अनुपात 1.75% है।
  • इसके अलावा, योजना के AUM के आधार पर सेबी ने व्यय अनुपात के रूप में 1.05% से 2.25% की राशि निर्धारित की है। इससे पहले यह सीमा 1.75% से 2.5% थी।

अतिरिक्त व्यय अनुपात में कमी

  • हालाँकि नियामक ने शीर्ष 30 शहरों से खुदरा प्रवाह के लिये 30 आधार अंकों के अतिरिक्त व्यय अनुपात को अनुमति दी है लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि निगमों और संस्थानों द्वारा किये जाने वाले प्रवाह के लिये अतिरिक्त खर्च की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • नियामक के अनुसार व्यय अनुपात कम होने से निवेशकों को कमीशन में 1300 करोड़ रुपए से 1500 करोड़ रुपए की बचत होगी।

सेबी (निपटान कार्यवाही) विनियमन 2018

  • नियामक ने सेबी (निपटान कार्यवाही) विनियमन 2018 तैयार किया है, जो उन अपराधों पर प्रतिबंध लगाता है जिनका प्रभाव बाजारव्यापी हो, निवेशकों को नुकसान पहुँचाता हो या बाज़ार की अखंडता को प्रभावित करता हो तथा सहमति मार्ग के माध्यम से समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करता है।
  • सेबी का मानना है कि हालाँकि अंदरूनी व्यापार या फ्रंट रनिंग जैसे गंभीर अपराधों को सहमति के माध्यम से सुलझाया जा सकता है फिर भी नियामक इस तरह के मामलों पर निर्णय लेने के दौरान सिद्धांत-आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करेगा।
  • इस बीच, नियामक किसी भी कार्यवाही को नहीं रोकेगा जिसमें आवेदक एक विलफुल डिफाल्टर है या यदि उसी अपराध के लिये पहले आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया हो।

इस संबंध में और अधिक जानकारी के लिये क्लिक करें :

सेबी के नए मानदंड और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश

http://www.drishtiias.com/hindi/current-affairs/why-sebi-new-norms-spooked-fpis

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