अंतर्राष्ट्रीय संबंध
फॉरेंसिक जाँच के लिये अधिकृत किये गए स्टॉक एक्सचेंज
- 23 Sep 2017
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चर्चा में क्यों?
- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने स्टॉक एक्सचेंजों को संदिग्ध सूचीबद्ध कंपनियों के खिलाफ फॉरेंसिक जाँच करने के लिये अधिकृत कर दिया है।
- विदित हो कि इन संदिग्ध कंपनियों का इस्तेमाल शेयर बाज़ार में अवैध फंड प्रवाह के लिये एक माध्यम के तौर पर किया जाता रहा है।
- इस संबंध में स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित कर दिया गया है कि वे ऐसी कंपनियों के खिलाफ स्वत: संज्ञान ले सकते हैं।
स्टॉक एक्सचेंजों को क्यों दिया गया है यह अधिकार?
- दरअसल, सेबी के सतर्कता विभाग ने स्टॉक एक्सचेंज के ज़रिये इस तरह के अवैध फंड प्रवाह को नियंत्रित करने के तौर-तरीकों पर स्टॉक एक्सचेंजों के साथ व्यापक चर्चा की थी।
- सेबी चाहता है कि स्टॉक एक्सचेंज संदिग्ध कंपनियों की साप्ताहिक आधार पर समीक्षा करें और उसके आधार पर फॉरेंसिक ऑडिट के लिये इनका चयन करें। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में एक्सचेंजों के पास स्वयं फॉरेंसिक ऑडिट करने का अधिकार नहीं है।
क्या है फॉरेंसिक ऑडिट?
- फॉरेंसिक ऑडिट, जाँच प्रक्रिया का हिस्सा है जिसमें कंपनी के वित्तीय विवरण की नियमित जाँच के दौरान अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों का ही इस्तेमाल किया जाता है।
- लेकिन, फॉरेंसिक ऑडिट में धोखाधड़ी की आशंकाओं के बीच किसी कंपनी के वित्तीय विवरण की जाँच या मूल्यांकन के लिये एक निश्चित अवधि के दौरान हुए सभी लेनदेन की जानकारी जुटाई जाती है।
क्या होगा प्रभाव?
- फॉरेंसिक ऑडिट का अधिकार मिलने की बाद संदिग्ध कंपनियों पर लगाम लगाने के लिये एक्सचेंज अब संबंधित कंपनी को ऑडिट प्रमाण-पत्र सौंपने का निर्देश दे सकता है।
- साथ ही कंपनी को तीन साल के सालाना इनकम-टैक्स रिटर्न और लंबित कर विवादों की जानकारी आदि के बारे में भी जानकारियाँ मांग सकता है। एक्सचेंज ऐसी किसी संदिग्ध कंपनी के बिज़नेस मॉडल की समीक्षा भी कर सकेंगे।
क्यों महत्त्वपूर्ण है यह पहल?
- सेबी द्वारा हाल ही में 332 संदिग्ध एवं फर्जी कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिया गया था। मौजूदा समय में स्टॉक एक्सचेंज कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा मुहैया कराई गई 331 संदिग्ध कंपनियों की सूची में से कम से कम 90 की फॉरेंसिक जाँच करने के लिये फॉरेंसिक विशेषज्ञों की नियुक्ति की प्रक्रिया में हैं।
- विदित हो कि सेबी ने इन सभी कंपनियों को दैनिक कारोबार से प्रतिबंधित कर दिया था। हालाँकि, कुछ कंपनियाँ प्रतिभूति एवं अपीलीय प्राधिकरण से आंशिक तौर पर राहत पाने में कामयाब हो गई हैं।
- 331 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नोटबंदी के दौरान उनके व्यापार में देखी गई संदिग्ध तेज़ी के बाद की गई थी, जबकि कई कंपनियों को नियामकीय और आयकर नियमों के उल्लंघन में लिप्त पाए जाने के बाद कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।