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कृषि

सीवीड की खेती

  • 21 Apr 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सीवीड, विशेष आर्थिक क्षेत्र। 

मेन्स के लिये:

सीवीड की खेती का महत्त्व और लाभ।

चर्चा में क्यों? 

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय मछुआरों की आजीविका में सुधार करने हेतु तमिलनाडु में एक सीवीड/समुद्री शैवाल पार्क को स्थापित करेगा। 

  • तमिलनाडु से सीवीड की खेती के लिये एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone) हेतु स्थान चुनने के लिये  कहा गया है।
  • वर्ष 2021 में प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (TIFAC) ने एक सीवीड मिशन शुरू किया था।

सीवीड

  • सीवीड के बारे में : 
    • ये  शैवाल जड़, तना और पत्तियों रहित बिना फूल वाले होते हैं, जो समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
    • सीवीड पानी के नीचे जंगलों का निर्माण करते हैं, जिन्हें केल्प फारेस्ट (Kelp Forest) कहा जाता है। ये जंगल मछली, घोंघे आदि के लिये नर्सरी का कार्य करते हैं।
    • सीवीड की अनेक प्रजातियाँ हैं जैसे- ग्रेसिलिरिया एडुलिस, ग्रेसिलिरिया क्रैसा, ग्रेसिलिरिया वेरुकोसा, सरगस्सुम एसपीपी और टर्बिनारिया एसपीपी आदि।
  • लाभ: 
    • पोषण के लिये:
      • सीवीड विटामिन, खनिज और फाइबर का स्रोत होते हैं तथा कई सीवीड स्वादिष्ट भी होते हैं ।
    • औषधीय उद्देश्य के लिये:
      • कई सीवीड में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल एजेंट विद्यमान होते हैं। उनके ज्ञात औषधीय प्रभाव हज़ारों वर्षों से विरासत में प्राप्त हुए हैं। 
      • कुछ सीवीड में कैंसर से लड़ने वाले शक्तिशाली एजेंट भी पाए जाते हैं अत: शोधकर्त्ताओं को उम्मीद है कि ये अंततः लोगों में घातक ट्यूमर और ल्यूकेमिया के उपचार में प्रभावी साबित होंगे। 
    • आर्थिक विकास के लिये:
      • सीवीड आर्थिक विकास में भी सहायक होते हैं। विनिर्माण में उनके कई उपयोगों में, टूथपेस्ट और फलों की जेली जैसे वाणिज्यिक सामानों में प्रभावी बाध्यकारी एजेंट (पायसीकारक) और कार्बनिक सौंदर्य प्रसाधन तथा त्वचा देखभाल उत्पादों में लोकप्रिय सॉफ्नर (इमोलियेंट्स) के रूप में उपयोग किया जाता हैं।
    • जैव संकेतक:
      •  जब कृषि, जलीय कृषि (Aquaculture), उद्योगों और घरों से निकलने वाला कचरा समुद्र में प्रवेश करता है, तो यह पोषक तत्वों के असंतुलन का कारण बनता है, जिससे शैवाल प्रस्फुटन (Algal Bloom) होता है। सीवीड अतिरिक्त पोषक तत्त्वों को अवशोषित करते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करते हैं। 
    • आयरन सीक्वेस्टर: 
      • सीवीड प्रकाश संश्लेषण के लिये लौह खनिज पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं। जब इस खनिज की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ जाती है तो सीवीड इसका अवशोषण करके समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान से बचा लेते हैं। सीवीडों द्वारा समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले अधिकांश भारी धातुओं को अवशोषित कर लिया जाता है।
    • ऑक्सीजन और पोषक तत्त्वों का पूर्तिकर्त्ता:  
      • सीवीड प्रकाश संश्लेषण और समुद्री जल में मौजूद पोषक तत्त्वों के माध्यम से भोजन प्राप्त करते हैं। ये अपने शरीर के हर हिस्से से ऑक्सीजन छोड़ते हैं। ये अन्य समुद्री जीवों को भी जैविक पोषक तत्त्वों की आपूर्ति करते हैं।

सीवीड की खेती क्या है और इसका महत्त्व क्या है?

  • सीवीड की खेती:
    • यह सीवीड की खेती और कटाई का अभ्यास है।
    • यह अपने प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले प्रारूपो के सरलतम रूप का प्रबंधन करता है।
    • अपने सबसे उन्नत रूप में इसमें शैवाल के जीवन चक्र को पूरी तरह से नियंत्रित करना शामिल है।
    • तमिलनाडु और गुजरात तटों तथा लक्षद्वीप तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के आसपास सीवीड प्रचुर मात्रा पाया जाता हैं।
  • महत्त्व: 
    • एक अनुमान के अनुसार यदि सीवीड की खेती भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) क्षेत्र के 10 मिलियन हेक्टेयर या 5% क्षेत्र में की जाती है, तो यह
      • पाँच करोड़ लोगों को रोज़गार मिल सकता है।
      • एक नया सीवीड उद्योग स्थापित हो सकता है।
      • यह राष्ट्रीय जीडीपी में बड़ा योगदान कर सकता है।
      • समुद्री उत्पादों में वृद्धि कर सकता है।
      • शैवालों की जल क्षेत्रों में अनावश्यक भरमार को कम कर सकता है।
      • लाखों टन कार्बन डाइआक्साइड (CO2) को अवशो​षित कर सकता है।
      • जैव ईंधन का 6.6 अरब टन उत्पादन कर सकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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