अंतर्राष्ट्रीय संबंध
समुद्री खाद्य निर्यात के लिये अमेरिका और यूरोप के विकल्प की तलाश
- 10 Aug 2017
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चर्चा में क्यों
- समुद्री खाद्य आयात पर लगाम लगाने के लिये यूरोपीय संघ और अमेरिका द्वारा अपनाए गए विभिन्न प्रतिरोधात्मक उपायों के कारण भारतीय निर्यातकों को नए बाज़ार खोजने पड़ रहे हैं।
- विदित हो कि वर्ष 2016-17 में भारत ने बड़े स्तर पर समुद्री खाद्य उत्पादों का निर्यात किया था जिसके लिये अमेरिका सबसे बड़ा बाज़ार था वहीं यूरोपीय संघ तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार था।
- भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक अब जापान, कोरिया और खाड़ी देशों का रुख कर रहे हैं। भारत के उत्पादों के लिये इन बाज़ारों का और विकसित होना, समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) और उद्योग जगत को राहत देने वाला है।
- चीन और वियतनाम लगातार मज़बूत खरीदार बने हुए हैं और इन दोनों बाज़ारों में भारतीय निर्यात की मज़बूत उपस्थिति के संकेत भी मिल रहे हैं।
अमेरिका और यूरोपीय संघ के विकल्पों की तलाश क्यों ?
- विदित हो कि अमेरिका ने भारतीय समुद्री खाद्य उत्पादों पर अगले पाँच सालों के लिये एंटी डंपिंग शुल्क लगा दिया है तथा यूरोपीय संघ ने भारत से निर्यात किये जाने वाले मत्स्य उत्पादों के लिये अपने जाँच संबंधी नियमों को और भी सख्त बना दिया है।
क्या है एंटी डंपिंग शुल्क
- किसी देश द्वारा दूसरे मुल्क में अपने उत्पादों को लागत से भी कम दाम पर बेचने को डंपिंग कहा जाता है। इससे घरेलू उद्योगों के उत्पाद महँगे हो जाते हैं जिसके कारण वे बाज़ार में पिट जाते हैं।
- सरकार इसे रोकने के लिये निर्यातक देश में उत्पाद की लागत और अपने यहाँ मूल्य के अंतर के बराबर शुल्क लगा देती है। इसे ही डंपिंगरोधी शुल्क यानी एंटी डंपिंग ड्यूटी कहा जाता है।
इस सन्दर्भ में डब्लूटीओ समझौते का महत्त्व
- विदित हो कि वैश्विक व्यापार को प्रतिस्पर्द्धी बनाने के उद्देश्य से विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों के बीच एक समझौता हुआ, जिसके अधीन सदस्य देश अपने उत्पाद एक दूसरे के यहाँ बेरोक-टोक निर्यात कर सकें।
- इस समझौते में शामिल देशों ने एक-दूसरे को अनुकूल सुविधाएँ प्रदान करने, कस्टम ड्यूटी कम करने तथा अन्य प्रतिबंध हटाने पर प्रतिबद्धता जताई थी। हालाँकि, व्यापार में सरलता लाने के साथ-साथ कुछ अन्य शर्तें भी तय की गईं थी, ताकि कोई देश इसका नाजायज़ फायदा न उठा सके।
- यदि एक देश के किसी उत्पाद की क़ीमत 100 रुपए है तो वह उसी क़ीमत पर दूसरे देश को निर्यात कर सकता है। यदि उसने वह सामान 70 या 80 रुपए में निर्यात किया तो आयात करने वाले देश की सरकार उस सामान पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगा सकती है, जिससे देश की उन इकाईयों को नुक़सान न हो, जो उस तरह का उत्पाद तैयार कर रही हैं।