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जैव विविधता और पर्यावरण

तुर्की में 'सी स्‍नॉट' का प्रकोप

  • 09 Jun 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये 

सी ऑफ मरमारा, काला सागर, एजियन सागर, सी स्‍नॉट, विश्व महासागर दिवस

मेन्स के लिये

समुद्री प्रदूषण और इसका पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में तुर्की के सी ऑफ मरमारा (Sea of Marmara), जो काला सागर (Black Sea) को एजियन सागर (Aegean Sea) से जोड़ता है, में 'सी स्‍नॉट' (Sea Snot) का सबसे बड़ा प्रकोप देखा गया है।

  • इस देश में पहली बार वर्ष 2007 में 'सी स्‍नॉट' का प्रकोप दर्ज किया गया था।

Istanbul

प्रमुख बिंदु

सी स्‍नॉट और उसका गठन:

  • यह समुद्री श्लेष्म (Marine Mucilage) है जो शैवालों में पोषक तत्त्वों की अति-प्रचुरता हो जाने पर निर्मित होती है।
  • शैवालों में पोषक तत्त्वों की अति-प्रचुरता ग्लोबल वार्मिंग, जल प्रदूषण आदि के कारण गर्म मौसम होने पर होती है।
  • यह एक चिपचिपा, भूरा और झागदार पदार्थ जैसा दिखता है।

चिंताएँ:

  • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिये खतरा:
    • इससे बड़े पैमाने पर जलीय जीवों जैसे- मछली, कोरल, स्पंज आदि की मृत्यु हुई है।
    • यह अब समुद्र की सतह के साथ-साथ सतह से 80-100 फीट नीचे भी फैल गया है जो और भी नीचे तक पहुँच सकता है तथा समुद्र तल को ढक सकता है।
  • मछुआरों की आजीविका प्रभावित:
    • मछुआरों के जाल में यह कीचड़ जमा हो जाता है, जिससे इनके जाल भारी होकर  टूट जाते हैं।
    • इसके अलावा कीचड़ वाला जाल मछलियों को दिखाई देता है जिससे वे दूर भागा जाती हैं।
  • पानी से जन्म लेने वाली बीमारियाँ:
    • यह इस्तांबुल जैसे शहरों में हैजा जैसी जल जनित बीमारियों के प्रकोप का कारण बन सकता है।

उठाए जा रहे कदम:

  • संपूर्ण मरमारा सागर को संरक्षित क्षेत्र में बदल दिया जाएगा।
  • इसके अलावा तटीय शहरों और जहाज़ों से होने वाले प्रदूषण को कम करने तथा अपशिष्ट जल-उपचार में सुधार हेतु कदम उठाए जा रहे हैं।
  • तुर्की का सबसे बड़ा समुद्री सफाई अभियान शुरू किया जा रहा है और स्थानीय निवासियों, कलाकारों तथा गैर-सरकारी संगठनों से इस अभियान में शामिल होने के लिये कहा गया है।

पोषक तत्त्व प्रदूषण

पोषक तत्त्व प्रदूषण के विषय में: 

  • यह वह प्रक्रिया है जिसमें बहुत सारे पोषक तत्त्व, मुख्य रूप से नाइट्रोजन और फास्फोरस, पानी के स्रोत में मिल जाते हैं, जिससे शैवालों की अत्यधिक वृद्धि होने लगती है।
  • इस प्रक्रिया को यूट्रोफिकेशन (Eutrophication) भी कहा जाता है।

पोषक तत्त्वों के स्रोत:

  • इनका जलसंभर में प्रमुख स्रोत चट्टानों और मिट्टी का अपक्षय है परंतु ये जल धाराओं के मिश्रण के कारण समुद्र से भी आ सकते हैं।
  • हमारे तटीय जल में अपशिष्ट जल उपचार सुविधाओं, वर्षा के दौरान शहरी क्षेत्रों में भूमि से अपवाह और खेती से अधिक पोषक तत्त्व प्रवेश कर रहे हैं।

प्रभाव:

  • शैवालों की अत्यधिक वृद्धि उस प्रकाश को अवरुद्ध कर देती है जो समुद्री घास जैसे- पौधों आदि के विकास के लिये आवश्यक होता है।
  • शैवाल और समुद्री घास मरने के बाद सड़ने लगते  हैं और इस प्रक्रिया में पानी में घुलित ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है जिससे पानी में घुलित ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है। अतः कम ऑक्सीजन से मछली, कस्तूरी एवं अन्य जलीय जंतु मरने लगते हैं।

विश्व महासागर दिवस

  • 8 जून को पूरी दुनिया में विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day) के रूप में मनाया गया। यह दिवस महासागरों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिये मनाया जाता है।
    • इस दिवस को वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) द्वारा नामित किया गया था।
    • महासागरों को पृथ्वी का फेफड़ा माना जाता है, जो जीवमंडल का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है और भोजन तथा दवा का एक प्रमुख स्रोत है।
    • विश्व महासागर दिवस, 2021 की थीम 'द ओशन: लाइफ एंड लाइवलीहुड' (The Ocean: Life and Livelihood) है।
  • यह सतत् विकास के लिये महासागर विज्ञान का संयुक्त राष्ट्र दशक (UN Decade of Ocean Science for Sustainable Development) की अगुवाई में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जो वर्ष 2021 से वर्ष 2030 तक चलेगा।
  • इस दशक का उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान और नवीन प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करना है जो आधुनिक समाज की जरूरतों के साथ महासागर विज्ञान को जोड़ने में सक्षम हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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