स्कॉर्पियंस की सहनशक्ति में वृद्धि। | 27 Jun 2017
संदर्भ
भारतीय नौसेना अपने सभी छ: पनडुब्बियों की सहनशक्ति में वृद्धि करने के लिये उनमें एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्सन मॉड्यूल लगाने की योजना बना रही है।
प्रमुख बिंदु
- एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्सन मॉड्यूल तब लगाया जाता है, जब पनडुब्बियों को सामान्य मरम्मत के लिये जाना पड़ता है, जो उनके प्रवर्तन के छह साल बाद होता है। हालाँकि यह एक लम्बी एवं खर्चीली प्रक्रिया है, जिसमें फिर से डिज़ाइन किया जाना शामिल है।
- भारत की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को इस वर्ष अगस्त तक नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा। इसकी मरम्मत 2023 में होगी। शेष पाँच पनडुब्बियों को नौ माह बाद शामिल किया जाएगा।
प्रदर्शन क्षमता में वृद्धि
- एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्सन मॉड्यूल स्कॉर्पियन सौदे के मुख्य हिस्से में नहीं था, परन्तु नौसेना इस तकनीक को अंतिम दो पनडुब्बियों में लगवाना चाहती है। इन पनडुब्बियों को मझगाँव डॉकयार्ड लिमिटेड, मुंबई द्वारा तैयार किया जा रहा है।
- ये मॉड्यूल पारंपरिक पनडुब्बियों को पानी के अंदर लंबे समय तक रहने की क्षमता प्रदान करते हैं, जिससे उनकी स्टील्थ क्षमता बढ़ जाती है।
आईएनएस कलवरी
- भारतीय नौसेना के छह कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों में यह पहली पनडुब्बी है, जिसका निर्माण भारत में हो रहा है। यह एक डीज़ल-इलेक्ट्रिक हमला करने वाली पनडुब्बी है जिसे फ्रांसीसी नौसैनिक रक्षा और ऊर्जा कंपनी द्वारा डिज़ाइन किया गया है और इसे मझगाँव डॉकयार्ड लिमिटेड, मुंबई द्वारा तैयार किया गया है।
- आईएनएस कलवरी में पिछली डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में बेहतर छुपने वाली प्रौद्योगिकी है। यह सटीक निर्देशित हथियारों के माध्यम से बड़े पैमाने पर हमले भी शुरू कर सकती है। इस पनडुब्बी के माध्यम से पानी की सतह पर या नीचे की सतह से एंटी-शिप मिसाइल प्रक्षेपित की जा सकती है।
- कलवरी को विशेष इस्पात से बनाया जा रहा है। यह उच्च तनाव एवं उच्च तीव्रता के हाइड्रोस्टेटिक बल का सामना कर सकती है और महासागरों में गहराई से गोता लगा सकती है। आईएनएस कलवरी उन छः पनडुब्बियों में से एक है, जिनका सतह और पानी के नीचे सख्ती से डेढ़ साल तक परीक्षण किया गया है।