अंतर्राष्ट्रीय संबंध
शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक
- 29 Jul 2021
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:शंघाई सहयोग संगठन, आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन मेन्स के लिये:भारत के हितों को शामिल करते हुए जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, आर्थिक विकास जैसी चुनौतियों से निपटने में शंघाई सहयोग संगठन की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दुशांबे, ताजिकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई।
- बैठक को संबोधित करते हुए भारत के रक्षामंत्री ने कहा कि भारत एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण क्षेत्र बनाने तथा बनाए रखने में मदद करने के लिये एससीओ ढाँचे के भीतर काम करने हेतु प्रतिबद्ध है।
प्रमुख बिंदु
रक्षामंत्री के संबोधन की प्रमुख विशेषताएँ:
- आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिये सबसे गंभीर खतरा है तथा आतंकवाद के किसी भी कृत्य का समर्थन मानवता के खिलाफ अपराध है।
- भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने के अपने संकल्प की पुष्टि करता है।
- भारत की भू-रणनीतिक स्थिति इसे "यूरेशियन भूमि शक्ति" (Eurasian Land Power) के साथ-साथ भारत-प्रशांत में एक हितधारक बनाती है।
- महामारी, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, जल सुरक्षा और संबंधित सामाजिक व्यवधान जैसी गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियाँ राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य को प्रभावित कर सकती हैं।
- कोविड-19 महामारी से निपटने में भारत अपनी वैक्सीन कूटनीति के माध्यम से देशों को सहायता पहुँचाने में सबसे आगे रहा है।
- आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure) को लेकर भारत की पहल भी इस बात का एक उदाहरण थी कि कैसे देश मानवीय सहायता और आपदा राहत मुद्दों से निपटने के लिये क्षमताओं के निर्माण तथा उन्हें साझा करने हेतु एक साथ आ रहे थे।
शंघाई सहयोग संगठन
- इसकी स्थापना वर्ष 2001 में शंघाई में रूस, चीन, किर्गिज़ गणराज्य, कज़ाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा एक शिखर सम्मेलन में की गई थी।
- वर्तमान में इसके सदस्य देशों में कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं।
- एससीओ राष्ट्र एक साथ लगभग आधी मानव आबादी को शामिल करते हैं और यह भौगोलिक विस्तार के संदर्भ में यूरेशियन महाद्वीप के लगभग 3/5 हिस्से को कवर करता है।
- SCO, जिसे नाटो के प्रतिकार के रूप में देखा जाता है, आठ सदस्यीय आर्थिक और सुरक्षा ब्लॉक है तथा सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है।
- भारत को वर्ष 2005 में इसका पर्यवेक्षक बनाया गया था।
- वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके स्थायी सदस्य बने।
शंघाई सहयोग संगठन और भारत के लिये अवसर:
- क्षेत्रीय सुरक्षा: यूरेशियन सुरक्षा समूह के एक अभिन्न हिस्से के रूप में ‘शंघाई सहयोग संगठन’ भारत को धार्मिक उग्रवाद और आतंकवाद जैसे खतरों का मुकाबला करने में सक्षम बनाएगा।
- यही कारण है कि भारत ने ‘शंघाई सहयोग संगठन’ व इसके ‘क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढाँचे’ (RATS), जो विशेषतः सुरक्षा से जुड़े मुद्दों से संबंधित है, के साथ अपने सुरक्षा संबंधी सहयोग को और मज़बूत करने में दिलचस्पी दिखाई है।
- मध्य एशिया के साथ जुड़ाव: भारत की ‘कनेक्ट सेंट्रल एशिया’ नीति को आगे बढ़ाने के लिये ‘शंघाई सहयोग संगठन’ भी एक संभावित मंच है।
- ‘शंघाई सहयोग संगठन’ के साथ भारत के मौजूदा जुड़ाव को मध्य एशिया के साथ संबंधों को फिर से जोड़ने और सक्रिय बनाने के भारत के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है, जिसके साथ भारत के काफी अच्छे संबंध रहे हैं और इसे भारत का विस्तारित पड़ोस माना जाता है।
- पाकिस्तान और चीन का मुकाबला: यह संगठन भारत को एक ऐसा मंच प्रदान करता है, जहाँ चीन और पाकिस्तान दोनों को एक साथ क्षेत्रीय संदर्भ में संबोधित कर भारत के सुरक्षा हितों को प्रस्तुत किया जा सकता है।
- अफगानिस्तान में स्थिरता लाना: SCO अफगानिस्तान में तेज़ी से बदलती स्थिति में स्थिरता लाने के लिये एक वैकल्पिक क्षेत्रीय मंच भी है।
- भारत ने अब तक अफगानिस्तान में 500 परियोजनाएँ पूरी की हैं और 3 अरब डॉलर की कुल विकास सहायता के साथ कुछ अन्य परियोजनाओं को जारी रखा है।
- सामरिक महत्त्व: SCO के सामरिक महत्त्व को स्वीकार करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने यूरेशिया में 'SECURE' के मूलभूत आयाम को स्पष्ट किया था। SECURE शब्द अर्थ है:
- S हमारे नागरिकों की सुरक्षा के लिये,
- E सभी के आर्थिक विकास के लिये,
- C क्षेत्र को जोड़ने के लिये,
- U हमारे लोगों को एकजुट करने के लिये,
- R संप्रभुता और अखंडता के सम्मान के लिये,
- E पर्यावरण संरक्षण के लिये।
आगे की राह:
- SCO के भीतर सुरक्षा क्षेत्र में "विश्वास के सुदृढ़ीकरण" के साथ-साथ समानता, आपसी सम्मान और समझ के आधार पर समूह के भागीदारों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के लिये उच्च प्राथमिकता प्रदान करने की आवश्यकता है।
- SCO सदस्य देशों को संयुक्त संस्थागत क्षमता विकसित करनी चाहिये जो व्यक्तिगत राष्ट्रीय संवेदनशीलता का सम्मान करे और लोगों, समाज तथा राष्ट्रों के बीच संपर्क बनाने के लिये सहयोग की भावना पैदा करे।
- सदस्य देशों को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि उन्हें एक सुरक्षित और स्थिर क्षेत्र बनने के लिये यह एक सामूहिक दाँव हैं जो मानव विकास सूचकांकों की प्रगति एवं सुधार में योगदान दे सकता है।