उपयोगिता सिद्ध करता चंद्रयान -1 | 16 Sep 2017
चर्चा में क्यों?
वैज्ञानिकों द्वारा भारत के चंद्रयान -1 अंतरिक्ष यान (India’s Chandrayaan-1 spacecraft) पर उड़ने वाले एक उपकरण की सहायता से डेटा संग्रहित करते हुए चंद्रमा की मिट्टी की ऊपर परत में निहित जल का पहला नक्शा तैयार किया गया है। चन्द्रमा की मिट्टी के संबंध में किया गया यह अध्ययन वर्ष 2009 में जल एवं इससे संबंधित एक अणु (हाइड्रॉक्सीयल जिसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के एक-एक परमाणु होते है) के संबंध में गई प्रारंभिक खोज आधारित है।
- इस कार्य के लिये वैज्ञानिकों द्वारा नासा के मून मिनरलॉजी मैपर (NASA’s Moon Mineralogy Mapper) द्वारा प्रदत्त आंकड़ों का उपयोग किया गया।
- इसे भारत के प्रथम चंद्रयान -1 अभियान के तहत नासा द्वारा यह निर्धारित करने के लिये प्रदत्त किया गया था कि वैश्विक स्तर पर कितना पानी मौजूद है।
इस अध्ययन में क्या पाया गया?
- इस अध्ययन से प्राप्त जानकरी के अनुसार, चंद्रमा की सतह पर लगभग हर जगह पानी के चिन्ह मौजूद हैं, जैसा कि पहले बताया गया था यह मात्र ध्रुवीय क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं हैं ।
- ध्रुवों की ओर पानी की मात्रा बढ़ती जाती है और अलग-अलग रचनात्मक इलाकों में इसमें कोई महत्त्वपूर्ण अंतर नहीं दिखायी पड़ता है।
- उच्च अक्षांशों में पानी की एकाग्रता तकरीबन 500 से 750 पी.पी.एम तक पाई गई है। यह पृथ्वी के सबसे सूखे रेगिस्तान के रेत की तुलना में बहुत कम है।
- जिस तरह से चंद्रमा की सतह पर पानी का वितरण है, उसके इसके स्रोत के बारे में पता लगाया जा सकता है पानी का यह वितरण स्थान–स्थान पर विभाजित होने के बजाय बड़े पैमाने पर एक समरूप दिखाई पड़ता है, हालाँकि इसकी सांद्रता भूमध्य रेखा की तरफ धीरे-धीरे कम हो जाती है।
- यह पैटर्न सौर हवाओं के चालन के अनुरूप प्रतीत होता है
- हालाँकि जल के इस वितरण के लिये केवल सौर हवाओं को ही ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, इसके और भी कारण हो सकते हैं, जिनके विषय में और अधिक गहन अध्ययन किये जाने की आवश्यकता है।
चंद्रयान – 1 क्या है?
- चंद्रयान-1, भारत का प्रथम चंद्रमा मिशन है, 22 अक्तूबर, 2008 को इसका सफलतापूर्वक विमोचन किया गया था।
- यह अंतरिक्षयान चंद्रमा के रासायनिक, खनिजीय और प्रकाश-भौमिकी मानचित्रण के लिये चंद्रमा की परिक्रमा करता है। इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह के विस्तृत नक्शे एवं पानी के अंश और हीलियम की तलाश करना है
- इसके अतिरिक्त इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह के मैग्नीशियम, एल्यूमिनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, आयरन और टाइटेनियम जैसे खनिजों और रासायनिक तत्वों के वितरण के साथ-साथ राडोण, यूरेनियम और थोरियम जैसे उच्च परमाणु संख्या वाले तत्वों की तलाश करना है।