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भेड़ियों को आकर्षित तथा मनुष्यों को प्रतिकर्षित करने वाले रक्त के अणुओं की खोज

  • 26 Oct 2017
  • 4 min read

संदर्भ 

हाल ही में एक खोज के दौरान वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि स्तनधारियों के रक्त के अणुओं (जिन्हें ई2डी कहा जाता है) के कारण ही कुछ जीव तो शिकारी प्रवृत्ति के बन जाते हैं, जबकि अन्य डरपोक (जिनमें मनुष्य भी शामिल है) प्रवृत्ति के।  

प्रमुख बिंदु 

  • इससे पहले ऐसे अणुओं के विषय में कोई जानकारी नहीं थी जिनसे सभी जीवों (हॉर्स फ्लाई से लेकर मानव) के व्यवहार तथा उनके विकासानुक्रम में अंतर पाया जाता है।
  • जीव (मुख्यतः स्तनधारी जीव) भोजन की तलाश, साथियों से जुड़ने और खतरे की पहचान करने के लिये अपनी सूँघने की क्षमता का प्रयोग करते हैं।
  • हालाँकि किसी प्रजाति में पाए जाने वाले कई रासायनिक गुण संयुक्त रूप से कार्य करते हैं परन्तु ई2डी की एक अलग ही प्रवृत्ति है। यह रक्त को एक धात्विक गंध प्रदान करता है। रक्त की इस गंध का कारण एक दुर्लभ सार्वभौमिकता है।
  • इससे पूर्व की शोधों में वैज्ञानिकों ने सूअर के खून से प्राप्त ई2डी का अध्ययन करके यह दर्शाया था कि जंगली कुत्ते और बाघों को रक्त की गंध अधिक आकर्षित करती है।
  • नई टीम ने उन्हीं प्रयोगों को इस बार भेड़ियों पर दोहराया और समान परिणाम प्राप्त किये।  
  • वैज्ञानिकों का मानना है कि शिकार प्रजातियाँ अपने विकास के लिये ई2 डी के प्रति बेहद संवेदनशील होती हैं क्योंकि यह उन्हें ऐसे क्षेत्र को से दूर रहने के लिये प्रेरित करता है, जहाँ खून खराबा चल रहा हो।

  • जब मनुष्यों की बात की जाती है तो शोधकर्ता इस बारे में सुनिश्चित नहीं हैं कि वे रक्त वासना दर्शाते हैं या उससे नहीं।
  • एक परीक्षण के दौरान यह पाया गया कि यदि मनुष्य सीधे खड़े रहते हैं तो इसका अर्थ आकर्षण होता है परन्तु यदि वे पीछे की ओर थोडा मुड़ जाते हैं तो यह खतरे का संकेत होता है।
  • वैज्ञानिकों द्वारा किये गए सभी प्रयोगों में यह पाया गया कि ई2डी तनाव और भय के संकेतों को दर्शाता है।
  • मानव भेड़िये की तुलना में चूहों के समान व्यवहार अधिक करता है।
  • यद्यपि मानवों को अवसरवादी शिकारी समझा जाता है तथापि पेलियोन्टोलॉजिकल आँकड़े दर्शाते हैं कि आरंभिक स्तनपायी छोटे शरीर वाले कीटों का ही शिकार करते थे।
  • रक्त में लिपिड्स अथवा वसा के उपोत्पाद के रुप में रहने वाले ई2डी अणुओं के टूटने से ऑक्सीजन का निष्कासन होता है। 
  • स्तनधारियों में आंतरिक गंध जैसे-शरीर, मूत्र, विष्ठा शिकारियों को आकर्षित करने अथवा शिकार प्रजातियों को उनसे बचाने का कार्य करती है। इस प्रकार की गंध मुख्यतः शिकारी और शिकार दोनों प्रजातियों  के जोड़ों के मध्य सूचनाओं के आदान-प्रदान में भी सहायता करती है। 
  • ई2डी एक वाष्पशील रसायन है जिसका रासायनिक नाम ट्रांस-4,5 इपोक्सी-ई-2-डीसेंटल है। यह स्तनधारियों के रक्त में उपस्थित रहता है। इसे लिपिड्स के ऑक्सीकरण से बनाया जाता है। यह शारीरिक प्रक्रिया सभी स्तनधारियों में होती है। अतः ई2डी शिकारी जीव के लिये घायल शिकार की उपस्थिति की ओर संकेत करता है, और व्यवहार संबंधी प्रतिक्रिया की शुरुआत करता है।
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