अंतर्राष्ट्रीय संबंध
पृथ्वी के सबसे बड़े ज्वालामुखीय क्षेत्र की खोज
- 16 Aug 2017
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चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक में बर्फ की चादर की सतह से दो किलोमीटर नीचे करीब 100 ज्वालामुखियों का पता लगाया है।
- वैज्ञानिकों का दावा है कि यह इलाका पृथ्वी का सबसे बड़ा ज्वालामुखीय क्षेत्र है।
47 ज्वालामुखियों की पहले हो चुकी है खोज
- दरअसल, इस क्षेत्र में कुछ समय पहले 47 ज्वालामुखी खोजे जा चुके हैं। अब ब्रिटेन में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं के अनुसार इस क्षेत्र में 91 और ज्वालामुखियों का पता चला है।
- इनमें से कुछ ज्वालामुखी स्विट्ज़रलैंड के 4 हज़ार मीटर ऊँचे ईगर पर्वत के बराबर हैं।
100 से 3850 मीटर ऊँचे हैं ज्वालामुखी
- वैज्ञानिकों के मुताबिक नए खोजे गए ज्वालामुखी 100 से लेकर 3850 मीटर ऊँचे हैं। ये सभी ज्वालामुखी बर्फ की मोटी चादरों से ढके हुए हैं। यह ज्वालामुखी पश्चिम अंटार्कटिक रिफ्ट सिस्टम में मौजूद हैं।
- ये ज्वालामुखी अंटार्कटिक प्रायद्वीप के ‘रोज़ आईस सेल्फ’ से तकरीबन 3500 किमी. दूर हैं। हालाँकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इन ज्वालामुखियों की संख्या ज़्यादा या कम भी हो सकती है।
विश्व का सबसे अधिक ज्वालामुखी वाला क्षेत्र
- ‘रोज़ आईस सेल्फ’ के नीचे स्थित समुद्र की सतह पर और भी ज्वालामुखी होने की संभावना है। उनके अनुसार यह क्षेत्र दुनिया के सबसे ज़्यादा ज्वालामुखी वाला क्षेत्र होगा, जो कि पूर्वी अफ्रीका के मुकाबले कहीं अधिक बड़ा होगा।
- विदित हो कि पूर्वी अफ्रीका में माउंट न्यिरोगोंगो, किलिमंजारो, लोंगोनॉट एवं अन्य सक्रिय ज्वालामुखियाँ मौजूद हैं।
यह घटनाक्रम चिंता का विषय क्यों ?
- वैज्ञानिकों के अनुसार यह अंटार्कटिका का यह क्षेत्र पृथ्वी का सबसे बड़ा ज्वालामुखीय क्षेत्र है। शोधकर्ताओं के मुताबिक इस क्षेत्र में कोई भी गतिविधि के हमारे लिये खतरनाक साबित हो सकती है।
- यदि इनमें से कोई ज्वालामुखी फूट पड़ा तो वह पश्चिम अंटार्कटिका की बर्फ की चादरों को अस्थिर कर सकता था।
- शोधकर्ताओं के अनुसार वर्तमान में अधिकांश ज्वालामुखी उन क्षेत्रों में हैं जहां ग्लेशियर खत्म हो चुके हैं, लेकिन फिर भी यहाँ ज्वालामुखी का फटना विघटनकारी परिणाम ला सकता है।