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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वैज्ञानिकों ने विकसित की तेल-प्रतिकारक लेप

  • 06 Sep 2017
  • 2 min read

चर्चा में क्यों ?

मछलियों के शल्क के जल में तेल मुक्त रहने की उत्कृष्ट प्रकृति से प्रेरित होकर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने एक विशेष प्रकार का तेल-प्रतिकारक लेप विकसित किया है, जिससे लकड़ी, काँच या धातु, किसी भी पदार्थ का लेप करने पर वह जल में फैले तेल से सुरक्षित रह सकता है।

प्रमुख बिंदु 

  • दरअसल समुद्र में तेल रिसाव के कारण कई वस्तुएँ तेल में डूब जाती हैं, जिन्हें साफ करना काफी   मुश्किल होता है। कई बार बहुत सी उपयोगी वस्तुएँ बेकार भी हो जाती हैं। अतः इस समस्या से मुक्ति दिलाने के लिये आईआईटी गुवाहाटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह खास लेप तैयार किया है।    
  • इसकी लेप की विशेषता यह है कि यह सभी परीक्षणों में खरा उतरता है।
  • यह -15 डिग्री सेल्सियस से लेकर 100 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी अपनी प्रकृति बरकरार रख सकता है।
  • इसी तरह यह अत्यधिक अम्लीय ( 2 पीएच ) एवं अत्यधिक क्षारीय (11 पीएच ) घोल में भी यथावत् रह सकता है।  
  • इतना ही नहीं, बल्कि यह समुद्र के जल में लगभग 80 दिनों तक बिना प्रभावित हुए सक्रिय रह सकता है। इस तरह यह लेप भौतिक एवं रासायनिक दृष्टि से टिकाऊ और स्थाई प्रकृति का है।     
  • इसकी संरचना में फेरबदल करके, इसे तेल-दूषित सतहों से तेल को हटाने या समुद्र में फैले तेल को अवशोषित करने लायक भी बनाया जा सकता है।
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