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दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस रिपोर्ट

  • 12 Oct 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस रिपोर्ट, विश्व बैंक

मेन्स के लिये:

COVID-19 और सामाजिक असमानता, शिक्षा क्षेत्र पर COVID-19 का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व बैंक (World Bank) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 महामारी के कारण लंबे समय तक स्कूलों के बंद रहने से भारत में भविष्य की आय में भारी गिरावट देखी जा सकती है।

प्रमुख बिंदु:

  • विश्व बैंक द्वारा जारी ‘बीटन ऑर ब्रोकन? इंफोर्मैलिटी एंड COVID-19’ (Beaten or Broken? Informality and Covid-19) के नाम से जारी दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस (South Asia Economic Focus) रिपोर्ट में COVID-19 महामारी के दौरान स्कूलों के बंद होने से अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावों की समीक्षा की गई है।
  • विश्व बैंक द्वारा इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि COVID-19 महामारी के कारण दक्षिण एशिया में लगभग 55 लाख बच्चे स्कूलों से बाहर हो सकते हैं।
  • विश्व बैंक के अनुसार, इस महामारी के दौरान स्कूलों में पंजीकृत बच्चों के लिये सीखने के अवसरों में भारी नुकसान के साथ स्कूली तंत्र से बाहर हुए बच्चों के कारण दक्षिण एशिया को भविष्य की आय और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 622 बिलियन अमेरिकी डॉलर की क्षति हो सकती है।
  • गौरतलब है कि यूनेस्को (UNESCO) द्वारा जारी ‘वैश्विक शिक्षा निगरानी-2020’ (Global Education Monitoring- GEM) रिपोर्ट में COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक शिक्षा अंतराल में वृद्धि की बात कही गई थी।

कारण:

  • COVID-19 महामारी के कारण स्कूलों का संचालन पूरी तरह से रुक गया है और स्कूलों के बंद रहने के दौरान बच्चों को पढ़ाने का प्रयास चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है।
  • COVID-19 महामारी के कारण लगभग 391 मिलियन छात्रों की प्राथमिक और माध्यमिक स्कूली शिक्षा बाधित हुई है, इस नई चुनौती ने शिक्षा संकट के समाधान हेतु किये जा रहे प्रयासों को अधिक जटिल बना दिया है।
  • विश्व बैंक के अनुसार, छात्रों के सीखने के स्तर में गिरावट के कारण इसका प्रभाव आगे चलकर उत्पादकता में गिरावट के रूप में देखने को मिलेगा।
  • दक्षिण एशियाई देशों की सरकारों द्वारा प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पर प्रतिवर्ष मात्र 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किया जाता है, जिसके कारण आर्थिक उत्पादन में होने वाली क्षति काफी ज़्यादा होगी।

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अन्य चुनौतियाँ:

  • इस महामारी के कारण बच्चे लगभग पिछले 5 माह से स्कूल नहीं जा पाए हैं। इतने लंबे समय तक स्कूल से बाहर रहने का अर्थ है कि बच्चे न केवल नई चीज़ों को सीखना बंद कर देते हैं, बल्कि वे पहले से सीखी गई चीज़ों में से भी बहुत कुछ भूल जाते हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के अनेक प्रयासों के बावजूद बच्चों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से जोड़े रख पाना काफी चुनौतीपूर्ण रहा है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा और प्रशिक्षण में अवरोध के अतिरिक्त COVID-19 महामारी के कारण श्रम उत्पादकता पर पिछली किसी भी प्राकृतिक आपदा से अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा।

अर्थव्यवस्था पर COVID-19 का प्रभाव:

  • वैश्विक अर्थव्यवस्था के बढ़ते एकीकरण के कारण COVID-19 संक्रमण के प्रसार में वृद्धि हुई है।
  • संक्रमण के प्रसार को रोकने हेतु सोशल डिस्टेंसिंग जैसे प्रयासों के कारण आतिथ्य क्षेत्र (होटल आदि) के संचालन हेतु बड़े बदलावों की आवश्यकता होगी जिसमें काफी समय लग सकता है।
  • विनिर्माण, बैंकिंग और व्यवसाय जैसे क्षेत्र जहाँ इस महामारी का प्रत्यक्ष प्रभाव कम रहा है, वहाँ भी COVID-19 महामारी के प्रसार को कम करने के लिये लागू प्रतिबंधों के बीच उपलब्ध क्षमता के न्यून उपयोग के कारण उत्पादन में भारी गिरावट आई है।
  • वर्तमान में लोगों की आय में भारी गिरावट के बीच प्रशिक्षण, स्कूली शिक्षा और अन्य शिक्षा में आए व्यवधान का प्रभाव लॉकडाउन के प्रतिबंधों के हटने के बाद भी लंबी अवधि में मानव पूंजी एवं श्रम उत्पादकता में कमी के रूप में देखने को मिलेगा
  • इस रिपोर्ट में COVID-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिये लागू लॉकडाउन के कारण व्यवसायों को हुई क्षति, उपभोग के तरीकों और गरीब तथा कमज़ोर परिवारों (विशेषकर शहरी प्रवासियों एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों से संबंधित) के लिये उत्पन्न सामाजिक कठिनाइयों के अतिरिक्त इसके दूरगामी परिणामों की चेतावनी दी गई है।

भारत और दक्षिण एशिया पर प्रभाव:

  • रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशियाई देशों में स्कूलों की बंदी का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव भारत पर होगा, हालाँकि अन्य देशों की जीडीपी पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।
  • COVID-19 महामारी के दौरान स्कूलों के बंद रहने से भारत में भविष्य की आय में 420-600 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट देखने को मिल सकती है।
  • दक्षिण एशिया में एक औसत बच्चे के श्रम बाज़ार में प्रवेश करने के बाद उसे अपनी जीवन भर की कमाई में 4,400 अमेरिकी डॉलर की क्षति हो सकती है।

आगे की राह:

  • COVID-19 महामारी की वैक्सीन का सफल परीक्षण और बड़े पैमाने पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित होने तक इस महामारी के प्रसार में कमी हेतु अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के नए विकल्पों को अपनाना होगा।
  • COVID-19 महामारी के दौरान ई-लर्निंग के माध्यम से शिक्षा को जारी रखने का प्रयास किया गया परंतु इस दौरान अधिकांश विकासशील देशों में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लोगों के लिये ई-लर्निंग की पहुँच एक बड़ी चुनौती बनी रही जो समाज में फैली व्यापक असमानता को रेखंकित करता है।
  • COVID-19 की चुनौती से सीख लेते हुए शिक्षण में तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा देने के साथ ही सभी तक शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान देना होगा। केंद्र सरकार द्वारा जारी नई शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित बदलाव इस दिशा में एक सकारात्मक पहल है।
  • सरकार को प्राथमिक शिक्षा के साथ उच्च शिक्षा को सभी के लिये सुलभ और वहनीय बनाने पर विशेष ध्यान देना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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