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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारतीय अनुसंधानकर्त्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिये योजनाएँ

  • 23 Sep 2020
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये 

वज्र फैकल्टी योजना, रामानुजन अध्येतावृत्ति, बायो-मेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)

मेन्स के लिये

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research&Development Organisation- DRDO) द्वारा ओडिशा के बालासोर रेंज से अभ्यास (ABHYAS) ‘हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट’ (High Speed Expandable Aerial Target-HEAT) का सफल उड़ान परीक्षण किया गया, प्रमुख योजनाओं का विवरण 

चर्चा में क्यों?

स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्‍वी विज्ञान मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने राज्य सभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से यह जानकारी दी है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने  विदेशों में रह रहे भारतीय अनुसंधानकर्त्ताओं को भारतीय संस्थानों और विश्वविद्यालयों में काम करने हेतु आकर्षक विकल्‍प और अवसर प्रदान करने के लिये कई योजनाओं का निर्माण किया है

प्रमुख योजनाओं का विवरण 

  • वज्र  (Visiting Advanced Joint Research-VAJRA) फ़ैकल्टी योजना
    •  यह योजना अनिवासी भारतीयों (NRIs) और विदेशी भारतीय नागरिकों (OCIs) सहित विदेशी वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों को भारत के सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों और विश्वविद्यालयों में एक विशिष्ट अवधि तक काम करने के लिये  प्रोत्साहित करने हेतु प्रारंभ की गई  है। 
    • यह योजना भारतीय शोधकर्त्ताओं सहित विदेशी वैज्ञानिकों को एक या एक से अधिक भारतीय सहयोगियों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अत्याधुनिक क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले सहयोगशील अनुसंधान करने के लिये एडजंक्‍ट/विज़िटिंग फैकल्टी असाइनमेंट (Adjunct/Visiting Faculty Assignment) प्रदान करती है ।
  • रामानुजन अध्येतावृत्ति (Ramanujan Fellowship)
    • यह अध्येतावृत्ति विदेशों में रह रहे क्षमतावान भारतीय शोधकर्त्ताओं को भारतीय संस्थानों/विश्वविद्यालयों में काम करने के लिये विज्ञान, इंजीनियरिंग और चिकित्सा के सभी क्षेत्रों में आकर्षक विकल्प‍ और अवसर प्रदान करती है। 
    • यह विदेशों से भारत लौटने के इच्छुक 40 वर्ष से कम उम्र के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को लक्षित कर प्रारंभ की गई है।
  • रामालिंगस्वामी पुनः प्रवेश अध्येतावृत्ति (Ramalingaswami Re entry Fellowship)
    • यह योजना देश के बाहर काम कर रहे भारतीय मूल के उन वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिये निर्मित की गई है, जो जीवन विज्ञान (Life Sciences), आधुनिक जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और अन्य संबंधित क्षेत्रों में अपने अनुसंधान को जारी रखने के लिये भारत लौटने के इच्छुक हैं।
  • बायो-मेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम (Bio-medicall Research Carrier Prograame-BRCP)
    • यह कार्यक्रम प्रारंभिक, मध्यवर्ती और वरिष्ठ स्तर के शोधकर्त्ताओं को भारत में आधारभूत जैव-चिकित्सा या नैदानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य में अपने अनुसंधान और शैक्षणिक कैरियर को जारी रखने के लिये अवसर प्रदान करता है। 
    • ये अध्येतावृत्तियाँ उन सभी पात्र शोधकर्त्ताओं के लिये उपलब्ध हैं जो भारत में शोधकार्य जारी रखने/प्रारंभ करने  के इच्छुक हैं।
  • भारतीय अनुसंधान प्रयोगशाला में भारतीय मूल के वैज्ञानिक/प्रौद्योगिकीविद् (Scientists/Technologists of Indian Origin-STIO)
    • भारतीय मूल के वैज्ञानिकों/प्रौद्योगिकीविदों को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Counsil for Scientific & Industrial Research-CSIR) की प्रयोगशालाओं में अनुबंध के आधार पर नियुक्त‍ करने का उपबंध किया गया है।
  • वरिष्ठ अनुसंधान एसोसिएटशिप (Senior Research Associateship-SRA) (वैज्ञानिक पूल योजना)
    • यह योजना मुख्य रूप से विदेशों से भारत लौट रहे उच्च योग्यता वाले उन भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, प्रौद्योगिकीविदों और चिकित्सा कार्मिकों को अस्थायी प्लेसमेंट प्रदान करने के उद्देश्य से निर्मित की गई है, जिनका भारत में कोई स्थायी रोज़गार नहीं है। 
    • वरिष्ठ अनुसंधान एसोसिएटशिप नियमित नियुक्ति नहीं है, बल्कि एक अस्थायी सुविधा है। जिससे एसोसिएट नियमित पद की तलाश करते हुए भारत में अनुसंधान/अध्‍यापन करने में समर्थ हो सकेंगे।

 विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत की स्थिति 

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अंतर्गत राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रबंधन सूचना प्रणाली (National Science and Technology Management Information System-NSTMIS) द्वारा किये गए राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी सर्वेक्षण-2018 पर आधारित अनुसंधान और विकास सांख्यिकी तथा संकेतक 2019-20 के अनुसार, अनुसंधान और विकास में भारत का सकल व्यय वर्ष 2008 से वर्ष 2018 के मध्य बढ़कर तीन गुना हो गया है
  • वर्ष 2000 से प्रति मिलियन आबादी में शोधकर्त्ताओं की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है भारत में प्रति मिलियन आबादी पर शोधकर्त्ताओं की संख्या बढ़कर वर्ष 2017 में 255 हो गई जो  वर्ष 2015 और वर्ष 2010 में क्रमशः 218 और 110 थी।
  • रेजिडेंट पेटेंट फाइलिंग गतिविधि के मामले में भारत विश्व में 9वें स्थान पर है वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान भारत में कुल 47,854 पेटेंट दर्ज किये गए थे, जिसमें से 15,550 (32%) पेटेंट भारतीयों द्वारा दायर किये गए थे।
  • भारत में दायर किये गए पेटेंट आवेदनों में मैकेनिकल (यांत्रिकी), केमिकल (रासायनिक), कंप्यूटर/इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन (संचार) जैसे विषयों की संख्या अधिक थी।
  • WIPO के अनुसार, भारत का पेटेंट कार्यालय विश्व के शीर्ष 10 पेटेंट दाखिल करने वाले कार्यालयों में 7वें स्थान पर है।

आगे की राह 

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत से प्रतिभा पलायन को रोकने के लिये विभिन्न प्रतिस्पर्द्धात्मक योजनाओं/कार्यक्रमों, जैसे- कोर रिसर्च ग्रांट, रिसर्च फैलोशिप, (जे.सी. बोस और स्वर्ण जयंती फैलोशिप) आदि के कार्यान्वयन के माध्यम से वैश्विक स्तर के अनुसंधान को बढ़ावा दे रहा है। 
  • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता प्राप्त करने की दिशा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय लगभग 80 देशों और विभिन्न बहुपक्षीय संगठनों/एजेंसियों के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय स्‍तर पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय S & T सहयोग के माध्यम से भारतीय अनुसंधान को वैश्विक अनुसंधान से भी जोड़ रहा है। 

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)

  • WIPO बौद्धिक संपदा (IP) सेवाओं, नीति, सूचना और सहयोग के लिये स्थापित  वैश्विक मंच है। यह 193 सदस्य राष्ट्रों के साथ संयुक्त राष्ट्र का एक स्व-वित्तपोषित  अभिकरण (Agency) है। 
  • WIPO का मिशन एक संतुलित और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) प्रणाली के विकास का नेतृत्त्व करना है, जो नवाचार और रचनात्मकता को सक्षम बनाता है। 
  • WIPO का मैंडेट, शासी निकाय और प्रक्रियाएँ WIPO कन्वेंशन में तय की गई हैं। इस कन्वेंशन के अंतर्गत ही वर्ष 1967 में WIPO की स्थापना की गई थी।

स्रोत: पीआईबी 

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