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कृषि

प्राकृतिक रबर क्षेत्र के सतत् एवं समावेशी विकास की योजना

  • 22 Feb 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पॉलीआइसोप्रीन, प्राकृतिक रबर क्षेत्र, प्राकृतिक रबर, रबर उत्पादक समितियों (RPS) का सतत् एवं समावेशी विकास।

मेन्स के लिये:

प्राकृतिक रबर क्षेत्र का सतत् एवं समावेशी विकास, देश के विभिन्न हिस्सों में प्रमुख फसल प्रणाली।

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

'प्राकृतिक रबर क्षेत्र के सतत् एवं समावेशी विकास (SIDNRS)' के तहत रबर क्षेत्र के लिये वित्तीय सहायता अगले 2 वित्तीय वर्षों (2024-25 एवं 2025-26) के लिये 576.41 करोड़ रुपए से 23% बढ़ाकर 708.69 करोड़ रुपए कर दी गई है।

  • सरकार द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र में रबर आधारित उद्योगों के विकास को बढ़ावा देने के लिये तीन नोडल रबर प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की है।
  • यह रबर उत्पादकों के सशक्तीकरण के लिये रबर उत्पादक सोसायटी (RPS) के गठन को भी बढ़ावा देगा।

प्राकृतिक रबर क्षेत्र का सतत् एवं समावेशी विकास (SIDNRS) योजना क्या है?

  • परिचय:
    • SIDNRS योजना भारत में प्राकृतिक रबर क्षेत्र के सतत् एवं समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई एक पहल है।
      • SIDNRS योजना वित्त वर्ष 2017-18 में लॉन्च की गई थी।
    • इसे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय रबर बोर्ड द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
  • योजना के उद्देश्य:
    • प्राकृतिक रबर उत्पादन की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में सुधार करना।
    •  सतत् रबर उत्पादन पद्धतियों को अपनाने को बढ़ावा देना।
    • रबर उत्पादकों की आय एवं आजीविका में सुधार करना।
    • रबर क्षेत्र में रोज़गार के अवसर सृजित करना।
    • रबर आधारित उद्योग के विकास को बढ़ावा देना।
  • योजना के घटक:
    • पुराने तथा अलाभकारी रबर के पेड़ों को दोबारा लगाने के लिये सब्सिडी: अधिक उपज देने वाले और रोग प्रतिरोधी किस्मों वाले पुराने एवं अलाभकारी रबर के पेड़ों को दोबारा लगाने के लिये रबर उत्पादकों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • पुराने और अलाभकारी रबर के पेड़ों को दोबारा लगाने हेतु सब्सिडी: पुराने और अलाभकारी रबर के पेड़ों को उच्च उपज देने वाली तथा रोग प्रतिरोधी किस्मों के साथ दोबारा लगाने के लिये रबर उत्पादकों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
    • इंटरक्रॉपिंग को बढ़ावा देना: अनानास, केला और कोको जैसी अन्य फसलों के साथ रबर की इंटरक्रॉपिंग कृषि के लिये रबर उत्पादकों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई। इंटरक्रॉपिंग से मिट्टी की उर्वरता में सुधार, नमी का संरक्षण तथा रबर उत्पादकों को अतिरिक्त आय प्रदान करने में मदद मिलती है।
    • क्षमता निर्माण के लिये सहायता: रबर उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन में सर्वोत्तम प्रथाओं पर रबर उत्पादकों को प्रशिक्षण तथा विस्तार सेवाएँ प्रदान की गईं।
    • बुनियादी ढाँचे का विकास: रबर उगाने वाले क्षेत्रों में सड़कों, जल संचयन संरचनाओं और प्रसंस्करण इकाइयों जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
    • रबर आधारित उद्योगों को बढ़ावा: रबर आधारित उद्योगों जैसे टायर निर्माण, जूते निर्माण और लेटेक्स प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना तथा विस्तार के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की गई।

प्राकृतिक रबर से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • प्राकृतिक रबर:
    • प्राकृतिक रबर एक बहुपयोगी और आवश्यक कच्चा माल है जो कुछ पौधों की प्रजातियों (मुख्य रूप से रबर के पेड़) के लेटेक्स अथवा दूधिया तरल पदार्थ से प्राप्त होता है, जिसे वैज्ञानिक रूप से हेविया ब्रासिलिएन्सिस के नाम से जाना जाता है।
      • इस लेटेक्स में कार्बनिक यौगिकों का एक जटिल मिश्रण होता है, जिसका प्राथमिक घटक पॉलीआइसोप्रीन नामक बहुलक होता है।
    • इसे 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में ब्रिटिश सरकार द्वारा उष्णकटिबंधीय एशिया और अफ्रीका में पेश किया गया था।
  • स्थितियों में वृद्धि:
    • इसकी खेती के लिये 2000-4500 मि.मी. वार्षिक वर्षा वाली उष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त होती है।
    • न्यूनतम और अधिकतम तापमान 25 से 34 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिये जिसमें 80% सापेक्ष आर्द्रता खेती के लिये आदर्श है।
      • तीव्र पवनों की संभावना वाले क्षेत्रों से बचना चाहिये।
    • इसके उत्पादन हेतु संपूर्ण अवधि के दौरान प्रति दिन 6 घंटे की दर से वर्ष भर में लगभग 2000 घंटे के सूर्य प्रकाश की आवश्यकता होती है।
  • रबर उत्पादन और खपत:
    • भारत वर्तमान में प्राकृतिक रबर क्षेत्र का विश्व का छठा सबसे बड़ा उत्पादक है तथा वैश्विक स्तर पर (चीन के बाद) रबर सामग्री का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
      • थाईलैंड विश्व का अग्रणी प्राकृतिक रबर उत्पादक देश है (वर्ष 2022 में कुल वैश्विक प्राकृतिक रबर उत्पादन में लगभग 35% योगदान)।
    • दक्षिण एशिया में, थाईलैंड, इंडोनेशिया और वियतनाम के बाद चौथा सबसे बड़ा योगदान भारत का है।
    • भारत की कुल प्राकृतिक रबर खपत का लगभग 40% वर्तमान में आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है।
  • रबर वितरण:
    • वर्तमान में भारत में लगभग 8.5 लाख हेक्टेयर रबर के बागान मौजूद हैं।
    • प्रमुख रबर उत्पादक राज्यों में केरल, तमिलनाडु, त्रिपुरा और असम शामिल हैं।
      • रबर उत्पादन का बड़ा हिस्सा, लगभग 5 लाख हेक्टेयर, दक्षिणी राज्यों केरल और तमिलनाडु के कन्याकुमारी ज़िले में केंद्रित है।
      • इसके अतिरिक्त, त्रिपुरा रबर उत्पादन परिदृश्य में लगभग 1 लाख हेक्टेयर का योगदान देता है।
  • प्रमुख अनुप्रयोग:
    • ऑटोमोबाइल: रबर अपनी उत्कृष्ट पकड़ और घिसावट-रोधी प्रकृति के परिणामस्वरूप टायर उत्पादन में एक प्रमुख घटक है। इसका उपयोग वाहनों के लिये सील, गैसकेट, होज़ और विभिन्न घटकों में किया जाता है।
      • प्राकृतिक रबर का मुख्य उपयोग ऑटोमोबाइल में होता है। लगभग 65% प्राकृतिक रबर की खपत ऑटोमोबाइल उद्योग द्वारा की जाती है।
    • फुटवियर: सामान्यतः रबर के कुशनिंग और स्लिप-रोधी गुणों के कारण इसका उपयोग जूतों के सोल बनाने के लिये किया जाता है।
    • औद्योगिक उत्पाद: कन्वेयर बेल्ट, होसेस और मशीनरी घटकों में रबर का उपयोग किया जाता है।
    • चिकित्सा उपकरण: रबर का उपयोग दस्ताने, सिरिंज प्लंजर और अन्य चिकित्सा उपकरणों में किया जाता है।
    • उपभोक्ता वस्तुएँ: गुब्बारे, इरेज़र और घरेलू दस्ताने जैसे उत्पादों में उपयोग किया जाता है।
    • खेल का सामान:  टेनिस बॉल, गोल्फ बॉल और सुरक्षात्मक गियर जैसी वस्तुओं में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

रबर बोर्ड क्या है?

  • रबर बोर्ड रबर अधिनियम, 1947 की धारा (4) के तहत गठित एक वैधानिक संगठन है जो वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत कार्य करता है।
  • इस बोर्ड का नेतृत्व केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अध्यक्ष द्वारा किया जाता है और इसमें प्राकृतिक रबर उद्योग के विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले 28 सदस्य हैं।
    • बोर्ड का मुख्यालय केरल के कोट्टायम में स्थित है।
  • यह बोर्ड रबर से संबंधित अनुसंधान, विकास, विस्तार और प्रशिक्षण गतिविधियों को सहायता एवं प्रोत्साहित करके देश में रबर उद्योग के विकास में योगदान देता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

निम्नलिखित में से कौन-सा एक पादप-समूह को 'नवीन विश्व (न्यू वर्ल्ड)' में कृषि-योग्य बनाया गया तथा इसका 'प्राचीन विश्व (ओल्ड वर्ल्ड)' में प्रचलन शुरू किया गया? (2019)

(a) तंबाकू, कोको और रबर
(b) तंबाकू, कपास और रबर
(c) कपास, कॉफी और गन्ना
(d) रबर, कॉफी और गेहूँ 

उत्तर: (a)


Q. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कर सूचियों के नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (2008)

सूची-I (बोर्ड)

सूची-II (मुख्यालय)

A.

कॉफी बोर्ड

1.

बेंगलुरु

B.

रबर बोर्ड

2.

गुंटूर

C.

चाय बोर्ड

3.

कोट्टायम

D.

तंबाकू बोर्ड

4.

कोलकाता

कूट: A B C D

(a) 2 4 3 1
(b) 1 3 4 2 
(c) 2 3 4 1
(d) 1 4 3 2

उत्तर: (b)

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