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भारतीय राजनीति

विधायिका में SC/ST आरक्षण

  • 06 Dec 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये 

विधायिका में SC/ST आरक्षण, अनुच्छेद-330, 331, 332 तथा 333 

मेन्स के लिये 

सामाजिक न्याय की दिशा में विधायिका में SC/ST आरक्षण का योगदान 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा तथा राज्य की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (Scheduled Castes- SC) एवं अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes- ST) के लिये आरक्षण को आगामी 10 वर्षों तक बढ़ाने का निर्णय लिया।

मुख्य बिंदु:

  • संविधान द्वारा SC तथा ST वर्ग को संसद में मिलने वाला आरक्षण जनवरी, 2020 में समाप्त हो रहा है। इस स्थिति में सरकार ने इस आरक्षण को जनवरी 2030 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। 
  • ध्यातव्य है कि लोकसभा में संविधान के अनुच्छेद-334(a) के तहत SC/ST वर्ग तथा 334(b) के तहत आंग्ल-भारतीय समुदाय (Anglo-Indian Community) के आरक्षण की अवधि को बढ़ाने की व्यवस्था है।
  • इसके द्वारा वर्ष 1950 में SC/ST तथा आंग्ल-भारतीयों हेतु आरक्षण की इस व्यवस्था को वर्ष 1960 तक के लिये बढ़ाया गया था एवं प्रत्येक 10 वर्षों के अंतराल पर इसे लगातार विस्तारित किया गया।  
  • वर्ष 2009 में 95वें संविधान संशोधन द्वारा इस आरक्षण को वर्ष 2020 तक बढ़ाया गया था।  
  • हालाँकि सरकार द्वारा जहाँ SC/ST हेतु आरक्षण की अवधि बढ़ाने पर अपनी सहमति ज़ाहिर की गई है, वहीं आंग्ल-भारतीय समुदाय के आरक्षण के विस्तार पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।  
  • इस निर्णय को लागू करने के लिये सरकार द्वारा संसद में संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा जिसके बाद यह नियम संसद तथा प्रत्येक राज्य विधानसभाओं में लागू होगा। 

विधायिका में आरक्षण हेतु संवैधानिक प्रावधान:   

  • संविधान के अनुच्छेद-330 के अनुसार, लोकसभा में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को जनसंख्या के अनुपात के आधार पर प्रतिनिधित्व दिया जाता है।
  • अनुच्छेद-331 राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि लोकसभा में यदि आंग्ल-भारतीय समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो वह उक्त समुदाय के दो प्रतिनिधियों को मनोनीत कर सकता है। 
  • संविधान का अनुच्छेद-332 राज्य की विधानसभाओं में SC/ST वर्ग के लिये जबकि अनुच्छेद-333 आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिये आरक्षण का प्रावधान करता है।
  • हालाँकि लोकसभा तथा राज्य की विधानसभाओं में SC/ST वर्ग के लिये सीटें आरक्षित की गई हैं लेकिन उनका चुनाव, निर्वाचन क्षेत्र के सभी मतदाताओं द्वारा किया जाता है।
  • SC/ST वर्ग के प्रतिनिधियों को सामान्य निर्वाचन क्षेत्र से भी चुनाव लड़ने का अधिकार है। 
  • लोकसभा तथा राज्य की विधानसभाओं में नामित आंग्ल-भारतीय सदस्यों को अन्य सदस्यों की भाँति मत देने का अधिकार होता है लेकिन ये राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू

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