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सामाजिक न्याय

पॉक्सो मामलों के लिये विशेष अदालतें बनाई जाएं

  • 26 Jul 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय ने 100 से अधिक लंबित POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम-Protection of Children from Sexual Offences Act – POCSO) मामलों वाले ज़िलों में विशेष अदालतें स्थापित करने का आदेश दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने 60 दिनों के भीतर अदालतों को स्थापित करने का निर्देश दिया।
  • अदालतें केंद्रीय योजना के तहत स्थापित होंगी और पूरी तरह से केंद्र द्वारा वित्त पोषित होंगी।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को चार सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश बाल शोषण के मामलों में वृद्धि और अदालतों में लंबित मामलों को लेकर दायर जनहित याचिका पर दिया है।
  • न्यायलय ने इंगित किया कि POCSO मामलों की जाँच और अभियोजन हेतु पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम

(Protection of Children from Sexual Offences Act- POCSO), 2012

  • POCSO यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (Protection of Children from Sexual Offences Act) का संक्षिप्त नाम है।
  • POCSO अधिनियम, 2012 को बच्चों के हित और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए बच्चों को यौन अपराध, यौन उत्‍पीड़न तथा पोर्नोग्राफी से संरक्षण प्रदान करने के लिये लागू किया गया था।
  • यह अधिनियम ‘बच्चे’ को 18 वर्ष से कम आयु के व्‍यक्ति के रूप में परिभाषित करता है तथा बच्‍चे का शारीरिक, भावनात्‍मक, बौद्धिक एवं सामाजिक विकास सुनिश्चित करने के लिये हर चरण को ज़्यादा महत्त्व देते हुए बच्‍चे के श्रेष्‍ठ हितों तथा कल्‍याण की बात करता है।
  • इस अधिनियम की एक विशेषता यह है कि इसमें लैंगिक भेदभाव (Gender Discrimination) नहीं किया गया है।

स्रोत: द हिंदू

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