नाबालिगों के लिये मृत्युदंड की सजा पर प्रतिबंध | 27 Apr 2020
प्रीलिम्स के लियेमृत्युदंड, एमनेस्टी इंटरनेशनल मेन्स के लियेमौजूदा समय में मृत्युदंड की प्रासंगिकता |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सऊदी अरब ने नाबालिगों द्वारा किये गए अपराधों के लिये मृत्युदंड की सजा के प्रावधान को समाप्त कर दिया है, ध्यातव्य है कि इससे पूर्व सऊदी अरब में कोड़े अथवा चाबुक मरने की सजा को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
प्रमुख बिंदु
- नाबालिगों के लिये मृत्युदंड की सजा को समाप्त करना सऊदी अरब के शाही परिवार द्वारा किये गए मानवाधिकार सुधारों की श्रृंखला में एक नवीनतम कदम है।
- यह घोषणा सऊदी अरब के राष्ट्र समर्थित मानवाधिकार आयोग द्वारा की गई है। आयोग के अनुसार, नवीनतम सुधार यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी व्यक्ति जो नाबालिग के तौर पर अपराध करता है, उसे मृत्युदंड की सजा न दी जाए।
- मृत्युदंड के स्थान पर उस नाबालिग अपराधी को अधिकतम 10 वर्ष के लिये जुवेनाइल डिटेंशन फैसिलिटी (Juvenile Detention Facility) में भेजा जाएगा।
सऊदी अरब- एक क्रूर देश के रूप में
- मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) ने ईरान और चीन के बाद सऊदी अरब को लोगों को मरने वाले दुनिया के सबसे क्रूर देश के रूप में सूचीबद्ध किया है।
- एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि सऊदी अरब में वर्ष 2019 में लगभग 184 लोगों को मृत्युदंड की सजा दी गई थी।
- वर्ष 2019 में मृत्युदंड देने वाले शीर्ष देशों में चीन (1000 मृत्यु); ईरान (251 मृत्यु); सऊदी अरब (184 मृत्यु); इराक (100 मृत्यु) और मिस्र (32 मृत्यु) शामिल हैं।
- सऊदी अरब में जिन लोगों को मृत्युदंड की सजा दी गई, उनमें से अधिक लोगों को नशीली दवाओं और हत्या के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था।
- एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में सऊदी अरब में अल्पसंख्यक शिया मुस्लिमों के विरुद्ध राजनीतिक हथियार के तौर पर मृत्युदंड के बढ़ते उपयोग पर चिंता ज़ाहिर की थी।
- एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार 23 अप्रैल, 2019 को सऊदी अरब में 37 लोगों की सामूहिक रूप से मृत्यु कर दी गई, जिनमें से 32 शिया पुरुष थे, जिन्हें ‘आतंकवाद’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
कोड़े अथवा चाबुक मरने की सजा प्रतिबंधित
- नाबालिगों के लिये मृत्युदंड को प्रतिबंधित करने से पूर्व सऊदी अरब ने कोड़े अथवा चाबुक मारने की सजा पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।
- इस प्रकार की सजा को समाप्त करने से पूर्व इसका प्रयोग हत्या, शांति भंग करना, समलैंगिकता, शराब का प्रयोग करने, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने और इस्लाम का अपमान करने जैसे अपराधों के लिये किया जाता था।
- वर्ष 2018 में महिला ड्राइवरों पर प्रतिबंध हटाए जाने से पूर्व, ड्राइविंग करने वाली किसी भी महिला को कोड़े मारने की सजा दी जा सकती थी।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में ब्लॉगर रायफ बदावी (Raif Badawi) को 10 वर्ष की सजा सुनाई गई थी और साथ ही ‘इस्लाम का अपमान’ करने के आरोप में उन्हें 1,000 चाबुक की सजा भी दी गई थी।
मौजूदा समय में मृत्युदंड
- मृत्युदंड (Capital Punishment) विश्व में किसी भी तरह के दंड कानून के तहत किसी व्यक्ति को दी जाने वाली उच्चतम सज़ा होती है। मानवाधिकार के दृष्टिकोण से मृत्युदंड सदैव ही एक विवादास्पद मुद्दा रहा है।
- मृत्युदंड का प्रावधान मानव समाज में आदिम काल से लेकर आज तक उपस्थित है, किंतु इसके पीछे के कारणों और इसके निष्पादन के तरीकों में समय के साथ निरंतर बदलाव आता गया।
- मृत्युदंड का पहला उल्लेख ईसा पूर्व अठारहवीं सदी के ‘हम्मूराबी की विधान संहिता’ में मिलता है जहाँ 25 प्रकार के अपराधों के लिये मृत्युदंड का प्रावधान था।
- एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, वर्ष 2017 तक 106 देश ऐसे थे जहाँ मृत्युदंड की सजा का प्रयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है। वहीं 7 देश ऐसे हैं जो असाधारण परिस्थितियों में गंभीर अपराधों के लिये मृत्युदंड की सजा की अनुमति देते हैं, जैसे कि युद्ध के समय में किये गए अपराध।
- विश्व में कुल 56 देश ऐसे है जिन्होंने अपने कानून में मृत्युदंड की सजा को बरकरार रखा है या अधिकारियों द्वारा इसका प्रयोग करने के संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
- यह एक प्रचलित अवधारणा है कि समय के साथ दंड विधान भी अधिक नरम होते जाते हैं और क्रूरतम प्रकृति की सजा क्रमशः चलन से बाहर हो जाती है।
- वहीं ऐसा कोई भी अध्ययन नहीं है जो यह स्पष्ट करता हो कि अपराध को रोकने में मृत्युदंड आजीवन कारावास की अपेक्षा अधिक कारगर है। अतः मात्र कल्पनाओं के आधार पर मृत्युदंड को अधिक कठोर नहीं माना जा सकता।
- इसके विपरीत मृत्युदंड के समर्थकों का मत है कि हत्या करने वाला व्यक्ति किसी के जीवन जीने का अधिकार छीन लेता है जिसके कारण उसके जीवन का अधिकार भी समाप्त हो जाता है। इस प्रकार मृत्युदंड एक प्रकार का प्रतिकार होता है।
आगे की राह
- सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्त्व में देश को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से कई सामाजिक और आर्थिक सुधारों की शुरुआत की गई है।
- हालाँकि यह सिर्फ एक शुरुआत ही है और सऊदी अरब में मानवाधिकार तथा समाज सुधार के क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।
- अंततः महात्मा गांधी ने कहा है कि ‘नफरत अपराधी से नहीं, अपराध से होनी चाहिये’।