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सत्यमेव जयते: डिजिटल मीडिया साक्षरता

  • 02 Jan 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में फेक न्यूज़ के खतरे से निपटने के लिये केरल सरकार ने 'सत्यमेव जयते’ नामक एक डिजिटल मीडिया साक्षरता कार्यक्रम की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस कार्यक्रम के संबंध में स्कूलों और कॉलेजों में अवगत कराया जाएगा, ताकि डिजिटल मीडिया साक्षरता पर पाठ्यक्रम विकसित करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
  • कार्यक्रम में पाँच बिंदु शामिल होंगे:
    • गलत जानकारी क्या है?
    • वे क्यों तेजी से फैल रही हैं?
    • सोशल मीडिया की सामग्री का उपयोग करते समय किन सावधानियों को अपनाना होगा?
    • फेक न्यूज़ फैलाने वाले कैसे लाभ कमाते हैं?
    • नागरिकों द्वारा क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

सत्यमेव जयते:

सत्यमेव जयते (सत्य की सदैव विजय होती है) हिंदू धर्मग्रंथ मुंडका उपनिषद के एक मंत्र का हिस्सा है।

स्वतंत्रता के बाद इसे 26 जनवरी, 1950 को भारत के राष्ट्रीय आदर्श वाक्य के रूप में अपनाया गया था। 

यह भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी के निकट स्थित सारनाथ में मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए सिंह स्तम्भ पर देवनागरी में अंकित है और भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक का एक अभिन्न अंग है।

प्रतीक और शब्द "सत्यमेव जयते" सभी भारतीय मुद्रा और राष्ट्रीय दस्तावेज़ों के एक तरफ अंकित है।

फेक न्यूज़ के खतरे:

  • फेक न्यूज़ एक प्रकार की असत्य सूचना होती है जिसे समाचार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। अक्सर इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति या संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाना या विज्ञापन राजस्व के माध्यम से पैसा कमाना होता है।
  • बार प्रिंट और डिजिटल मीडिया में फैलने के बाद से, सोशल मीडिया तथा वाहकों के कारण फेक न्यूज़ का प्रसार बढ़ गया है।
  • राजनीतिक ध्रुवीकरण, पोस्ट-ट्रुथ पॉलिटिक्स, पुष्टि पूर्वाग्रह और सोशल मीडिया को फेक न्यूज़ के प्रसार में फँसाया गया है।

संबंधित खतरे:

  • फेक न्यूज़ वास्तविक समाचार के प्रभाव को कम करके उसका स्थान प्राप्त कर सकती है।
  • भारत में फेक न्यूज़ का प्रसार अधिकतर राजनीतिक और धार्मिक मामलों में हुआ है।
    • हालांकि COVID-19 महामारी से संबंधित गलत सूचना भी व्यापक रूप से प्रसारित की गई थी।
  • देश में सोशल मीडिया के माध्यम से फैलने वाली फेक न्यूज़ एक गंभीर समस्या बन गई है, इसके कारण भीड़ द्वारा हिंसा किये जाने की घटनाएँ भी देखी गई हैं।

नियंत्रण हेतु उपाय:

  • प्रायः सरकार सोशल मीडिया पर प्रसारित अफवाहों को फैलने से रोकने के लिये ‘इंटरनेट शटडाउन’ को एक उपाय के रूप में प्रयोग करती है।
  • ‘फेक न्यूज़’ की समस्या का मुकाबला करने के लिये कई विशेषज्ञों ने आधार को सोशल मीडिया अकाउंट से जोड़ने जैसे विचार भी सुझाए हैं।
  • भारत के कुछ हिस्सों, जैसे- केरल के कन्नूर में सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में ‘फेक न्यूज़’ के प्रति जागरूकता हेतु कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है।
  • सरकार द्वारा आम लोगों को झूठे समाचारों के बारे में अधिक जागरूक बनाने के लिये कई अन्य सार्वजनिक-शिक्षा पहलें शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।
  • ‘फेक न्यूज़’ की सत्यता की जाँच करने के लिये भारत में कई फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट आ गई हैं, जिनके माध्यम से आसानी से किसी भी खबर की सत्यता जानी जा सकती है।
  • हाल ही में एक मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने टेलीविज़न न्यूज़ चैनलों पर दिखाए जा रहे कंटेंट के विरुद्ध शिकायतों और फेक न्यूज़ की गंभीर समस्या से निपटने के लिये मौजूदा कानूनी तंत्र के बारे में केंद्र सरकार से सूचना मांगी थी और साथ ही यह निर्देश भी दिया था कि ऐसा कोई तंत्र नहीं है तो जल्द-से-जल्द इसे विकसित किया जाए।

आगे की राह:

  • सरकार को समाज के सभी वर्गों को ‘फेक न्यूज़’ के विरुद्ध चल रही लड़ाई की वास्तविकता के बारे में जागरूक करने का प्रयास करना चाहिये। ‘फेक न्यूज़’ फैलाने वाले लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिये।
  • सरकार को सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किये जा रहे डेटा को सत्यापित करने के लिये एक स्वतंत्र एजेंसी गठित करनी चाहिये। इस एजेंसी का प्राथमिक कार्य वास्तविक तथ्यों और आँकड़ों को आम जनता के समक्ष प्रस्तुत करना होगा चाहिये।
  • सोशल मीडिया वेबसाइटों को किसी भी प्रकार की ‘फेक न्यूज़’ के लिये जवाबदेह बनाया जाना चाहिये, ताकि वे ‘फेक न्यूज़’ के नियंत्रण को अपनी ज़िम्मेदारी के रूप में स्वीकार कर सकें।
  • ‘फेक न्यूज़’ की समस्या का मुकाबला करने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक, विशेष तौर पर ‘मशीन लर्निंग’ और ‘नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग’ आदि का प्रयोग किया जा सकता है।
  • केरल सरकार के 'सत्यमेव जयते’ कार्यक्रम जैसे अन्य कार्यक्रम देश के दूसरे राज्यों में भी लागू किये जाने चाहिये, ताकि देश भर के छात्रों को ‘फेक न्यूज़’ की समस्या से अवगत करवाया जा सके, और वे स्वयं इस समस्या से निपट सकें तथा साथ ही अपने परिवारजनों को भी इस संबंध में जागरूक कर सकें।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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