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सकुराजिमा ज्वालामुखी: जापान

  • 26 Jul 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ज्वालामुखी और प्रकार।

मेन्स के लिये:

ज्वालामुखी और इसके प्रभाव, पर्यावरण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जापान के प्रमुख पश्चिमी द्वीप क्यूशू में सकुराजिमा ज्वालामुखी में विस्फोट देखा गया।

 सकुराजिमा ज्वालामुखी

  • सकुराजिमा जापान के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है और इसमें विभिन्न स्तरों के विस्फोट नियमित आधार पर होते रहते हैं।
  • यह एक सक्रिय स्ट्रैटो वोलकानो है।
  • ऐतिहासिक रूप से सकुराजिमा में सबसे बड़े विस्फोट वर्ष 1471-76 के दौरान और 1914 में हुए थे।
  • इसमें विस्फोट 8वीं शताब्दी से दर्ज किया गया है।
  • कागोशिमा पर इसकी राख के लगातार जमा होने और इसकी विस्फोटक क्षमता के कारण इसे बहुत ही खतरनाक ज्वालामुखियों में से एक माना जाता है।

ज्वालामुखी:

volcano

  • परिचय:
    • ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह में एक उद्घाटन या टूटन है जिसमें मैग्मा के रूप में गर्म तरल और अर्द्ध-तरल चट्टानों, ज्वालामुखीय राख और गैसें बाहर निकलती है।
    • शेष सामग्री ज्वालामुखी विस्फोट का कारण बनती है। इसके कारण तीव्र विस्फोट हो सकता है जिससे अत्यधिक मात्रा में पदार्थों का निष्कासन होता है।
    • विस्फोटित सामग्री पृथ्वी पर तरल पदार्थ("लावा" जब यह सतह पर हो, "मैग्मा" जब यह भूमिगत हो), राख और/या गैस हो सकती है।
  • मैग्मा में वृद्धि का कारण:
    • मैग्मा का निष्कासन तब होता है जब पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट अभिसारी गति करते हैं। मैग्मा खाली स्थान को भरने के लिये ऊपर उठता है। जब ऐसा होता है तो जल के भीतर भी ज्वालामुखी निर्माण की प्रक्रिया हो सकती है।
    • जब ये टेक्टोनिक प्लेट एक-दूसरे की ओर बढ़ते हैं तो मैग्मा भी ऊपर उठता है और प्लेट के हिस्से इसके आंतरिक भाग में गहराई में चले जाते हैं तो उच्च ताप और दबाव के कारण पर्पटी पिघल जाती है तथा मैग्मा के रूप में ऊपर उठ जाती है।
    • मैग्मा अंतिम रूप से हॉट-स्पॉट से ऊपर उठता है। हॉट-स्पॉट पृथ्वी के अंदर के गर्म क्षेत्र हैं। ये क्षेत्र मैग्मा को गर्म करते हैं। जब यह मेग्मा कम घना होता है तो ऊपर उठता है। हालाँकि मैग्मा के ऊपर उठने के कारण भिन्न-भिन्न हैं, फिर भी इनमें प्रत्येक में ज्वालामुखी के निर्माण की क्षमता हो सकती है।

प्रकार:

  • शील्ड ज्वालामुखी:
    • यह ज्वालामुखी कम श्यानता, बहता हुआ लावा पैदा करता है जो स्रोत से बहुत दूर फैलता है और हल्का ढलान वाले ज्वालामुखी का निर्माण करता है।
    • अधिकांश शील्ड ज्वालामुखी तरल पदार्थ, बेसाल्टिक लावा प्रवाह से बनते हैं।
      • मौना केआ और मौना लोआ शील्ड ज्वालामुखी हैं। वे हवाई द्वीप के आसपास दुनिया के सबसे बड़े सक्रिय ज्वालामुखी हैं।

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  • स्ट्रैटो ज्वालामुखी:
    • स्ट्रैटो ज्वालामुखी में अपेक्षाकृत खड़ी ढलान होती हैं और शील्ड ज्वालामुखियों की तुलना में अधिक शंकु के आकार की होती है।
    • वे श्यान, चिपचिपे लावा से बनते हैं जो आसानी से नहीं बहते हैं।

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  • लावा गुंबद:
    • कैरिबियाई द्वीप मॉन्टसेराट पर स्थित सौफरिएर पहाड़ी ज्वालामुखी, ज्वालामुखी के शिखर पर अपने लावा गुंबद परिसर के लिये जाना जाता है, जो विकास और पतन के चरणों से गुज़रा है। चूँकि चिपचिपा लावा बहुत तरल नहीं होता है, इसलिये जब यह बाहर निष्कासित होता है तो आसानी से निकास छिद्र से ज़्यादा दूर नहीं जा सकता। इसके बजाय यह निकास के शीर्ष पर ढेर के रूप में जमा हो जाता है जो गुंबद के आकार की संरचना बनाता है।

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  • काल्डेरा:
    • मैग्मा ज्वालामुखी के नीचे मैग्मा कक्ष में जमा होता है। जब ज्वालामुखी विस्फोट होता है तो मैग्मा कक्ष से बाहर निष्कासित होता है, जिससे मैग्मा कक्ष की छत सतह पर खड़ी दीवारों के साथ अवसाद या कटोरा की भांति संरचना बनाता है।
    • ये काल्डेरा हैं और दसियों मील की दूरी पर हो सकते हैं।

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भारत में ज्वालामुखी:

  • बैरन द्वीप, अंडमान द्वीप समूह (भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी)
  • नार्कोंडम, अंडमान द्वीप समूह
  • बारातांग, अंडमान द्वीप समूह
  • डेक्कन ट्रैप्स, महाराष्ट्र
  • ढिनोधर पहाड़ी, गुजरात
  • ढोसी पहाड़ी, हरियाणा

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. बैेरन द्वीप ज्वालामुखी भारतीय क्षेत्र में स्थित एक सक्रिय ज्वालामुखी है।
  2. बैेरन द्वीप ग्रेट निकोबार से लगभग 140 किमी पूर्व में स्थित है।
  3. पिछली बार वर्ष 1991 में बैरेन द्वीप ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ था और तब से यह निष्क्रिय है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3 
(d) केवल 1 और 3

उत्तर: (a)

  • बैेरन द्वीप भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित है। अत: कथन 1 सही है।
  • यह अंडमान सागर में अंडमान द्वीप के दक्षिणी भाग पोर्ट ब्लेयर से लगभग 140 किमी. की दूरी पर स्थित है। बैेरन द्वीप से ग्रेट निकोबार के बीच की दूरी दी गई दूरी से अधिक है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • ज्वालामुखी का पहला रिकॉर्डेड विस्फोट वर्ष 1787 में हुआ था। पिछले 100 वर्षों में इसमें कम-से-कम पाँच बार विस्फोट हो चुका है। फिर अगले 100 वर्षों तक यह शांत रहा। वर्ष 1991 में बड़े पैमाने पर फिर से इसमें विस्फोट हुआ तथा तब से हर दो-तीन वर्षों में इसमें विस्फोट दर्ज किया गया है, इस शृंखला में नवीनतम विस्फोट फरवरी 2016 में हुआ था। अत: कथन 3 सही है।

प्रश्न. वर्ष 2021 में घटित ज्वालामुखी विस्फोटों की वैश्विक घटनाओं का उल्लेख करते हुए क्षेत्रीय पर्यावरण पर उनके द्वारा पड़े प्रभाव को बताइये। (2021)

स्रोत : द हिंदू

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