संत मदर-टेरेसा की नीली बार्डर वाली साड़ी अब एक बौद्धिक संपदा | 10 Jul 2017

संदर्भ
हाल ही में मदर टेरेसा की प्रसिद्ध नीली बार्डर वाली साड़ी को चैरिटी ऑफ मिशनरी ने बौद्धिक संपदा के रूप में मान्यता दी है।द्रष्टव्य है कि वेटिकन सिटी द्वारा टेरेसा को कोलकाता के संत के रूप में मान्यता दी गई थी।

मदर टेरेसा

  • इनका जन्म मैसेडोनिया स्थित स्कोपजे के एक कैथोलिक परिवार में वर्ष 1910 में हुआ था और इनका नाम अगनेस गोंक्ष्हा बोजाक्ष्यु (Agnes Gonxha Bojaxhiu) रखा गया था। 
  • वह वर्ष 1929 में सिस्टर मैरी टेरेसा के रूप में भारत आई थी और अपने शुरुआती दिनों में दार्जिलिंग में कार्य किया।
  • बाद में वह कलकत्ता आईं और उन्हें लड़कियों के लिये स्थापित सेंट मैरी हाई स्कूल में शिक्षण का कार्य सौंपा गया।
  • उन्हें वर्ष 1948 में गरीबों के लिये कार्य करने हेतु कॉन्वेंट द्वारा सहमति प्रदान की गई थी।
  • उसी वर्ष उन्होंने नीला पट्टी वाली सफेद साड़ी को सार्वजनिक रूप से जीवनभर पहनने का निर्णय किया।
  • तीन नीली पट्टियों वाली साड़ी उत्तरी 24 परगना स्थित टिटागढ़ में बुनी जाती थी।
  • करीब 4,000 साड़ियाँ सालाना बुनी जाती थीं और पूरे विश्व में ननों को वितरित की जाती थीं।

बौद्धिक संपदा क्या है?

  • बौद्धिक संपदा (IP) किसी के मस्तिष्क की कृतियों को दर्शाता है जैसे – आविष्कार, साहित्यिक और कलात्मक कार्य, डिज़ाइन और वाणिज्य हेतु उपयोग किये जाने वाले प्रतीक, नाम और छवियाँ। 
  • आई.पी. को कानून द्वारा संरक्षण प्रदान होता है, उदाहरण के लिये पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क। 
  • यह लोगों को उनके आविष्कारों के लिये मान्यता या वित्तीय लाभ अर्जित करने में सक्षम बनाता है।
  • आविष्कारक और व्यापक सार्वजनिक हित के मध्य सही संतुलन स्थापित करने के लिये आई.पी. सिस्टम एक ऐसे वातावरण का निर्माण करता है, जिसमें रचनात्मकता और नवीनता को बढ़ावा मिल सके।

अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • व्यापार चिह्न रजिस्ट्री (भारत सरकार) ने साड़ी के नीले बार्डर वाले पैटर्न को व्यापार चिह्न के लिये  पंजीकरण प्रदान किया है।
  • इसके लिये 12 दिसंबर, 2013 को ही ट्रेडमार्क रजिस्ट्री में आवेदन किया गया था।
  • सफेद साड़ियों पर नीले रंग के पैटर्न का उपयोग मिशनरी ऑफ चैरिटी का अनन्य अधिकार है। यह पहली बार है कि बौद्धिक संपदा अधिकारों के तहत किसी यूनिफार्म को संरक्षित किया गया है।