‘सागरमाला’ को 52वें स्कॉच सम्मेलन 2018 में स्वर्ण पुरस्कार मिला | 30 Jun 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित 52वें स्कॉच सम्मेलन 2018 में जहाजरानी मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम ‘सागरमाला’ को बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में स्वर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ‘सागरमाला’ को यह पुरस्कार भारत के सामाजिक-आर्थिक रूपांतरण में इसके योगदान तथा त्वरित एवं बुनियादी क्षेत्र के विकास में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए प्रदान किया गया है।
- इस सम्मेलन के दौरान सागरमाला कार्यक्रम को ‘ऑर्डर ऑफ मेरिट’ से भी सम्मानित किया गया।
- स्कॉच पुरस्कार सामाजिक-आर्थिक बदलावों में तेज़ी लाने में उचित नेतृत्व एवं उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिये प्रदान किया जाता है।
सागरमाला परियोजना
- सागरमाला सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य देश में बंदरगाहों की अगुवाई में विकास की गति तेज़ करना है।
- यह योजना निम्नलिखित चार रणनीतिक पहलुओं पर आधारित है-
- घरेलू कार्गो की लागत घटाने के लिये मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट का अनुकूलन करना।
- निर्यात-आयात कार्गो लॉजिस्टिक्स में लगने वाले समय एवं लागत को न्यूनतम करना।
- बल्क उद्योगों को कम लागत के साथ स्थापित करना तथा कर लागत में कमी करना।
- बंदरगाहों के पास पृथक विनिर्माण क्लस्टरों की स्थापना कर निर्यात के मामले में बेहतर प्रतिस्पर्द्धी क्षमता प्राप्त करना।
- सागरमाला परियोजना का मुख्य उद्देश्य बंदरगाहों के आसपास प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष विकास को प्रोत्साहन देना तथा बंदरगाहों तक माल के शीघ्रगामी, दक्षतापूर्ण और किफायती ढंग से आवागमन के लिये आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना है।
- साथ ही इंटर-मॉडल समाधानों के साथ विकास के नए क्षेत्रों तक पहुँच विकसित करना तथा श्रेष्ठतम मॉडल को प्रोत्साहन देना और मुख्य मंडियों तक संपर्क साधनों में सुधार लाना तथा रेल, अंतर्देशीय जलमार्गों, तटीय एवं सड़क सेवाओं में सुधार करना है।
सागरमाला परियोजना में विकास के तीन स्तंभों पर ध्यान दिया जा रहा है:
- समेकित विकास के लिये समुचित नीति एवं संस्थागत हस्तक्षेप तथा एजेंसियों, मंत्रालयों एवं विभागों के बीच परस्पर सहयोग को मज़बूत करने के लिये संस्थागत ढाँचा उपलब्ध कराने जैसे कार्यों द्वारा बंदरगाह आधारित विकास को समर्थन देना और उसे सक्षम बनाना।
- बंदरगाहों के आधुनिकीकरण सहित बुनियादी ढाँचे का विस्तार और नए बंदरगाहों की स्थापना।
- बंदरगाहों से प्रदेश के भीतरी क्षेत्रों तक माल लाने के लिये और वहाँ से बंदरगाहों तक माल ले जाने के काम में दक्षता लाना।