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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

रूसी एवनगार्ड मिसाइल

  • 01 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

एवनगार्ड मिसाइल सिस्टम

मेन्स के लिये :

भारत-रूस द्विपक्षीय संबंध

चर्चा में क्यों?

27 दिसंबर, 2019 को रूसी सेना में एक नए अंतर महाद्वीपीय मिसाइल सिस्टम को शामिल किया गया। रूसी सेना के अनुसार, एवनगार्ड नामक यह हाइपरसोनिक मिसाइल ध्वनि की गति से 27 गुना अधिक तेज़ी से चलकर हमला करने में सक्षम है।

क्या है एवनगार्ड मिसाइल सिस्टम?

  • एवनगार्ड, हाइपरसोनिक श्रेणी का मिसाइल सिस्टम है।
    (हाइपरसोनिक श्रेणी = ध्वनि की गति से 5 गुना या उससे अधिक तेज़)

Avangard-missile

  • एवनगार्ड मिसाइल सिस्टम दो हिस्सों से मिलकर बना है जिसमें हमलावर मिसाइल को एक अन्य बैलिस्टिक मिसाइल पर री-एंट्री बॉडी की तरह ले जाया जाता है।
  • यह मिसाइल हमले से पूर्व के अंतिम क्षणों में तेज़ी से अपना मार्ग बदले में सक्षम है जिसके कारण इसके लक्ष्य का पूर्वानुमान लगाना और इसे निष्क्रिय करना लगभग असंभव है।
  • यह मिसाइल सिस्टम 6000 किमी. दूर स्थित लक्ष्य को सफलतापूर्वक नष्ट कर सकता है और लगभग 2000 किग्रा. भार के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
  • इसके साथ ही यह मिसाइल 2000°C तक तापमान सहन कर सकती है।
  • इस मिसाइल में स्क्रैमजेट इंजन का प्रयोग किया गया है जिससे यह MACH-27 या ध्वनि की गति से 27 गुना अधिक तेज़ गति से हमला करने में सक्षम है।
  • औपचारिक अनावरण से पहले इसे “Project 4202” के नाम से भी जाना जाता था।
  • मार्च 2018 में रूसी राष्ट्रपति ने घोषणा की थी कि रूस अगली पीढ़ी की मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है। एवनगार्ड भी इसी कार्यक्रम का हिस्सा है।

रूस-अमेरिकी संबंधों पर एवनगार्ड का प्रभाव:

  • मार्च 2018 की सैन्य परेड में रूसी राष्ट्रपति ने एवनगार्ड के साथ कई अन्य मिसाइलों के निर्माण की योजना को साझा किया था। रूसी राष्ट्रपति ने इस कार्यक्रम को अमेरिका (USA) के एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल संधि से 2002 में पीछे हटने से जोड़कर प्रस्तुत किया था।

एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल संधि (Anti-Ballistic Missile Treaty-ABM)- वर्ष 1972 में शीत युद्ध की पृष्ठभूमि में अमेरिका और सोवियत संघ (USSR) के बीच एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल संधि पर हस्ताक्षर किये गए। इस संधि के अंतर्गत दोनों पक्षों को आपसी सहमति से अपनी मिसाइलों की संख्या में कमी करना और उनके निर्माण पर रोक लगाना था। 1997 में USSR के विघटन के बाद रूस इस संधि से पुनः जुड़ गया था।

  • रूसी राष्ट्रपति ने इस मौके पर अमेरिका पर आरोप लगाया कि अमेरिका अनियंत्रित रूप से नई एंटी-बैलिस्टिक मिसाइलों के निर्माण की सहमति, उनकी क्षमता में सुधार और नए मिसाइल लॉन्चिंग क्षेत्रों का निर्माण कर रहा है।
  • रूसी राष्ट्रपति के अनुसार, ये एंटी-बैलिस्टिक मिसाइलें रूस की किसी भी मिसाइल का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम थीं, ऐसे में रूसी राष्ट्रपति ने नई और बेहतर मिसाइलों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया था।
  • हालाँकि अमेरिकी पक्ष के अनुसार, पहले से ही रूसी सेना में शामिल मिसाइलों के पूर्वानुमान के लिये जिस क्षमता की आवश्यकता होती है उस श्रेणी की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती अमेरिका द्वारा अब तक नहीं की गई है।
  • अमेरिकी पक्ष के अनुसार, नए एवनगार्ड सिस्टम से अमेरिका और रूस के बीच शक्ति संतुलन में कोई परिवर्तन नहीं होगा क्योंकि इसमें रूस का पलड़ा पहले से ही भारी था।

निष्कर्ष :

पिछले वर्ष अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मध्यम दूरी परमाणु शक्ति संधि (Intermediate-Range Nuclear Forces-INF Treaty) से अमेरिका के अलग होने की घोषणा किये जाने के बाद विश्व के विभिन्न देशों में मिसाइलों और अन्य हथियारों की प्रतिस्पर्द्धा अब खुलकर सामने आने लगी है। चीन और उत्तर कोरिया के बाद अब रूस द्वारा किये गए मिसाइल परीक्षण विश्व शांति के लिये सही संकेत नहीं हैं। भविष्य में किसी बड़ी अप्रिय घटना से बचने के लिये यह आवश्यक है कि विश्व के सभी देश एक बार इस प्रतिस्पर्द्धा के दुष्परिणामों पर विचार करें ताकि विश्व शांति के लिये इस पर आपसी सहमति से रोक लगाई जा सके।

स्रोत : द इंडियन एक्सप्रेस

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