लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ए.एस.ई.आर. रिपोर्ट : देश की शिक्षा व्यवस्था का वास्तविक चित्रण

  • 17 Jan 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

एक ऐसी स्थिति में जब विश्व के कईं देश अपनी उम्रदराज़ होती आबादी को लेकर चिंताग्रस्त हैं, भारत की युवा जनसंख्या एक जनसांख्यिकीय लाभांश की स्थिति को इंगित करती है। लेकिन भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का परिणाम आर्थिक लाभांश के रूप में परिणत होता नज़र नहीं आ रहा है। भारत को अपनी विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिये एक प्रशिक्षित मानव शक्ति की ज़रूरत है, लेकिन भारतीय युवाओं की एक बड़ी संख्या बुनियादी रोज़गार तक में सक्षम प्रतीत नहीं होती है। इस संबंध में न केवल बुनियादी शिक्षा की कमी खलती है, बल्कि आधारभूत परीक्षण की कमी की भी एक अहम् भूमिका है। 

एन.जी.ओ. ‘प्रथम’ की रिपोर्ट 

  • इस संबंध में एन.जी.ओ. ‘प्रथम’ (Pratham) द्वारा प्रस्तुत 2017 की ए.एस.ई.आर. (Annual Status of Education Report - ASER) में चौंकाने वाले आँकड़े सामने आए हैं। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, 14 से 18 साल के आयु वर्ग के लगभग 25% युवा अपनी भाषा में स्पष्ट रूप से बुनियादी पाठ तक पढ़ने में सक्षम नहीं पाए गए हैं। 
  • आधे से अधिक बच्चों को विभाजन (3 अंकों की संख्या को 1 अंक की संख्या से विभाजन करने में) करने में समस्या का सामना करना पड़ा। केवल 43% बच्चे ऐसे पाए गए जो इस प्रकार की समस्याओं का सही ढंग से हल कर पाए।
  • इतना ही नहीं बल्कि, सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि इनमें से ज़्यादातर बच्चे सही से समय तक बताने में सक्षम नहीं हैं।
  • 14-18 साल के तकरीबन 14 फीसदी ग्रामीण युवा भारत के मानचित्र की पहचान करने में असफल रहे।
  • गौरतलब है कि सर्वेक्षण में शामिल 36% युवाओं को यह तक नहीं पता था कि दिल्ली भारत की राजधानी है।
  • इस रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि मात्र 79% बच्चे ही इस सवाल का जवाब दे पाए कि “वे किस राज्य में रहते हैं?' जबकि, मात्र 42% मानचित्र पर अपने गृह राज्य को इंगित कर सकने में सक्षम रहे।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • ए.एस.ई.आर. 2017 के अंतर्गत 14 से 18 साल के आयु वर्ग पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया।
  • पूर्व ए.एस.ई.आर. रिपोर्ट के तहत देश भर के लगभग सभी ग्रामीण ज़िलों तक पहुँच सुनिश्चित करते हुए आँकड़े प्रस्तुत किये गए थे, इनमें ज़िला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर के आँकड़े प्रस्तुत किये गए थे।
  • ए.एस.ई.आर. 2017 के अंतर्गत देश के 24 राज्यों के तकरीबन 28 ज़िलों में सर्वेक्षण किया गया तथा केवल ज़िला स्तर का अनुमान तैयार किया गया था।
  • 14-18 वर्ष तक के अधिकतर बच्चे औपचारिक शिक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं, केवल 14.4% बच्चे किसी स्कूल या कॉलेज में पंजीकृत नहीं हैं। 
  • हालाँकि, इस संख्या में उम्र के बढ़ने के साथ-साथ बहुत अधिक भिन्नता आती जाती है। उदाहरण के लिये, 14 साल की उम्र में केवल 5.3% बच्चे, 17 साल की उम्र में 20.7% तथा 18 साल की उम्र में तकरीबन 30.2% बच्चे किसी स्कूल या कॉलेज में पंजीकृत नहीं पाए गए हैं। 
  • वस्तुतः इस आयु वर्ग में भारत की लगभग 10% आबादी शामिल है, स्पष्ट रूप से ऐसी स्थिति में यह आँकड़े एक गंभीर स्थिति को ओर इशारा करते है। 
  • इसके अतिरिक्त इस रिपोर्ट में नामांकन के संबंध में लिंग आधारित पहलू पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें उम्र के साथ-साथ लड़कियों की संख्या में तेज़ी से आती कमी को भी इंगित किया गया है।
  • जहाँ एक ओर 14 वर्ष के आयु वर्ग में लड़कों और लड़कियों का नामांकन अनुपात लगभग बराबर हैं, वहीं दूसरी ओर 18 साल की उम्र में 28% लडकों की तुलना में तकरीबन 32% लड़कियाँ किसी स्कूल या कॉलेज में नामांकित नहीं पाई गई हैं।

वर्ष 2016 की ए.एस.ई.आर. रिपोर्ट 

  • इस रिपोर्ट में यह पाया गया कि एन.डी.पी. के चलन में आने के बाद बच्चों की सीखने की क्षमता में निरंतर कमी आई है।  
  • रिपोर्ट में निहित जानकारी के अनुसार, कक्षा पाँच में पढ़ने वाले मात्र 48 फीसदी बच्चे कक्षा दो के स्तर की किताब पढ़ने में योग्य पाए गए, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा तीन में पढ़ने वाले मात्र 43.2 फीसदी बच्चे ही सामान्य विभाजन करने में सक्षम पाए गए। 
  • इतना ही नहीं कक्षा पाँच में पढ़ने वाले प्रत्येक पाँच में से मात्र एक बच्चा ही अंग्रेज़ी पढ़ने में सक्षम पाया गया।  
  • उल्लेखनीय है कि केंद्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड (Central Advisory Board of Education) के साथ-साथ कैग (comptroller and auditor general) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में भी एन.डी.पी. को दोषपूर्ण पाया गया।  
  • इतना ही नहीं तकरीबन 20 से अधिक राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के द्वारा इस नीति को हटाने अथवा संशोधित करने की मांग की गई है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2