भारतीय विरासत और संस्कृति
ग्रामीण पर्यटन
- 21 Feb 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:ग्रामीण पर्यटन, पर्यटन मंत्रालय, भारतीय विरासत स्थल, ग्राम समूह, भारत भ्रमण 2023। मेन्स के लिये:ग्रामीण पर्यटन, महत्त्व और चुनौतियाँ। |
चर्चा में क्यों?
पर्यटन मंत्रालय के ग्रामीण पर्यटन और ग्रामीण होमस्टे (CNA- RT & RH) प्रभाग ने ग्रामीण भारत में आने के इच्छुक पर्यटकों हेतु छह विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान की है, जिनमें कृषि पर्यटन, कला एवं संस्कृति, इकोटूरिज़्म, वन्य जीवन, जनजातीय पर्यटन तथा होमस्टे शामिल हैं।
- पर्यटन मंत्रालय प्रतिस्पर्द्धी और स्थायी तथा ज़िम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने के व्यापक लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु राज्य मूल्यांकन एवं रैंकिंग मानदंड स्थापित करने पर भी काम कर रहा है।
प्रमुख बिंदु
- उद्देश्य:
- इस पहल का उद्देश्य बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचे के विकास के बजाय धारणीय विकास पर ज़ोर देना है।
- इसका उद्देश्य स्थानीय संसाधनों तथा गाँवों में रोज़गार के अवसरों को बढ़ावा देकर समुदायों को अद्वितीय जैविक अनुभव प्रदान करना है।
- पर्यटन मंत्रालय बजट तैयार करने की प्रक्रिया में है, जिसमें ज़िला स्तर पर कुछ प्रशिक्षण मॉड्यूल्स 100% केंद्र द्वारा वित्तपोषित किये जाएंगे, जबकि अन्य मामलों में 60% केंद्र और 40% राज्य द्वारा वित्तपोषित होंगे।
- ग्राम समूह:
- लगभग पाँच से सात गाँवों के समूह/क्लस्टर चिह्नित किये जाएंगे।
- ये क्लस्टर लंबी दूरी के साथ अलग-अलग गाँवों की ग्रामीण पर्यटन परियोजनाओं की तुलना में पर्यटकों को अधिक आकर्षित करेंगे।
- ये शिल्प बाज़ारों के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के विपणन में ग्राम समूह को सहायता प्रदान करेंगे।
ग्रामीण पर्यटन की अवधारणा:
- परिचय:
- भारत में ग्रामीण पर्यटन, ग्रामीण जीवन-शैली और संस्कृति की खोज तथा अनुभव पर केंद्रित है।
- इसमें स्थानीय संस्कृति और जीवन के प्रति गहरी समझ विकसित करने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों की यात्रा करना और खेती, हस्तशिल्प एवं गाँव की सैर जैसी विभिन्न गतिविधियों में भाग लेना शामिल है।
- उदाहरण के लिये तमिलनाडु का कोलुक्कुमलाई विश्व का सबसे ऊँचा चाय बागान है; केरल में देवलोकम नदी के किनारे एक योग केंद्र है; नगालैंड का कोन्याक टी रिट्रीट आदि आगंतुकों/पर्यटकों को आदिवासी संस्कृति को समझने-जानने में मदद करते हैं।
- विस्तार:
- भारत की ग्रामीण पर्यटन क्षमता इसकी विविध और जीवंत संस्कृति, हस्तशिल्प, लोक कलाओं, त्योहारों और मेलों में निहित है।
- एक अमेरिकी मार्केट रिसर्च कंपनी, ग्रैंड व्यू रिसर्च के अनुसार, कृषि-पर्यटन उद्योग वर्ष 2022 से 2030 तक 11.4% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने की संभावना है।
- महत्त्व:
- ग्रामीण पर्यटन न केवल स्थानीय कला और शिल्प को नई ऊर्जा प्रदान करने के साथ व्यवहार्य पारंपरिक व्यवसायों को विस्थापित होने से रोक सकता है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों के पुनर्विकास एवं ग्रामीण जीवन को पुनः जीवंत करने, रोज़गार तथा नए व्यावसायिक अवसर पैदा करने में भी मदद करेगा।
- लाभ:
- बाह्य-प्रवासन में कमी, वैकल्पिक व्यापार के अवसरों में वृद्धि
- उद्यमशीलता के दायरे में वृद्धि
- गरीबी उन्मूलन में मदद
- सामुदायिक सशक्तीकरण
- कला और शिल्प
- विरासत संरक्षण
भारत में ग्रामीण पर्यटन के लिये चुनौतियाँ:
- बुनियादी ढाँचे की कमी:
- ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर अच्छी सड़कों, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव होता है, इसे पर्यटकों को आकर्षित करने की दिशा में एक बाधा के रूप में देखा जाता है।
- अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा भी आगंतुकों/पर्यटकों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करने की स्थानीय समुदायों की क्षमता को कम कर सकता है।
- जागरूकता की कमी:
- पर्यटकों और स्थानीय समुदायों के बीच ग्रामीण पर्यटन के बारे में जागरूकता की कमी पर्यटन क्षेत्र के विकास में बाधा उत्पन्न करती है।
- बड़ी संख्या में लोग पर्यटन स्थलों के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों की क्षमता और पर्यटन से स्थानीय समुदायों को होने वाले लाभों से अनजान हैं।
- निम्न आय और बेरोज़गारी:
- ग्रामीण क्षेत्र अधिकांशतः निम्न-आय स्तर और उच्च बेरोज़गारी दर से पीड़ित होते हैं।
- इससे स्थानीय समुदायों के लिये पर्यटन के बुनियादी ढाँचे में निवेश करना और आगंतुकों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करना मुश्किल हो सकता है।
- पारिस्थितिकी के लिये खतरा:
- यदि इसे ठीक से प्रबंधित नहीं किया गया, तो ग्रामीण पर्यटन में स्थानीय समुदायों और पर्यावरण को नुकसान होने की संभावना है।
- भीड़भाड़, प्रदूषण और प्राकृतिक आवासों का विनाश स्थानीय पारिस्थितिकी तथा संस्कृति को नुकसान पहुँचा सकता है, जो लंबे समय तक आगंतुकों को यहाँ आने से रोक सकता है।
- सुरक्षा चिंताएँ:
- उचित सुरक्षा व्यवस्था की कमी के कारण पर्यटक ग्रामीण क्षेत्रों में असुरक्षित महसूस कर सकते हैं, जिससे पर्यटन अनुभव और गंतव्य के प्रति नकारात्मक छवि बन जाती है।
संबंधित पहल:
- सरकार ग्रामीण पर्यटन स्थलों के रूप में विकास के लिये परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट इन नॉर्थ ईस्ट रीजन (MOVCD-NER) के तहत विकसित जैविक कृषि क्षेत्रों की खोज कर रही है।
- देश भर से सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव का चयन करने और देश में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये हाल ही में बेस्ट टूरिज़्म विलेज कॉम्पिटिशन पोर्टल लॉन्च किया गया।
- 'सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम प्रतियोगिता' तीन चरणों में आयोजित की जाएगी और इसके लिये ज़िला स्तर, राज्य स्तर और अंत में राष्ट्रीय स्तर पर प्रविष्टियाँ मांगी जाएंगी।
- पर्यटन मंत्रालय ने देश की विभिन्न पर्यटन पेशकशों को उजागर करने और उन्हें वैश्विक पर्यटकों के सामने प्रदर्शित करने के लिये भारत में आने वाले यात्रियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विज़िट इंडिया ईयर- 2023 की शुरुआत की है।
- ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्द्धन अभियान’ (National Mission on Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual Heritage Augmentation Drive- PRASHAD) को पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था।
- अभी तक प्रसाद (PRASHAD) योजना के तहत 1586.10 करोड़ रुपए की कुल 45 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी जा चुकी है।
- वर्ष 2014-15 में आरंभ स्वदेश दर्शन योजना देश में थीम-आधारित पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।
- थीम- इको, हेरिटेज, हिमालयन एवं तटीय सर्किट आदि जैसे विभिन्न विषयों के तहत 5315.59 करोड़ रुपए की राशि के साथ 76 परियोजनाएँ मंज़ूर की गई थीं।
आगे की राह
- ग्रामीण पर्यटन स्थल विशिष्ट रूप से उन क्षेत्रों के नज़दीक होने चाहिये जहाँ लोग आमतौर आवागमन करते हैं।
- ग्रामीण पर्यटन के लिये विकसित किये जाने वाले गंतव्यों के चयन हेतु गंतव्यों तक पहुँच पहला मानदंड होना चाहिये।
- गंतव्यों का प्रचार-प्रसार कारीगरों को अपने उत्पादों को बेहतर ढंग से बेचने में मदद करेगा और पर्यटकों की संख्या बढ़ाने हेतु परियोजना के उचित पर्यवेक्षण की आवश्यकता होती है।
- पर्यटन से उत्पन्न आय का उपयोग कला, नृत्य और लोकगीतों के जातीय रूपों के संरक्षण में किया जा सकता है। यह ग्रामीण लोगों के हितों की रक्षा करेगा तथा घरों से मीलों दूर जाकर आजीविका कमाने के उनके दबाव को कम करेगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रश्न. विकास की पहल और पर्यटन के नकारात्मक प्रभाव से पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे बहाल किया जा सकता है? (मुख्य परीक्षा- 2019) प्रश्न. जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य पर्यटन के कारण अपनी पारिस्थितिक वहन क्षमता की सीमा तक पहुँच रहे हैं। समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिये। (मुख्य परीक्षा- 2015) |