ग्रामीण विकास विभाग हेतु एक मज़बूत व पारदर्शी जवाबदेही फ्रेमवर्क | 06 Feb 2018
चर्चा में क्यों?
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा अपने सभी कार्यक्रमों के लिये एक सशक्त और ठोस जवाबदेही फ्रेमवर्क विकसित किया गया है। यह फ्रेमवर्क सामाजिक-आर्थिक जनगणना 2011 को ध्यान में रखते हुए पात्रता के सिद्धांत तथा सामाजिक समीक्षा, वित्तीय अंकेक्षक, भौगोलिक-टैगिंग और सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग पर आधारित है।
प्रमुख बिंदु
- ग्रामीण विकास विभाग ने अपने कार्यक्रमों के संदर्भ में एक पारदर्शी फ्रेमवर्क को अपनाने में तथा भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है।
- आम लोगों की पहुँच कार्यक्रमों से संबंधित सभी लेन-देन की जानकारी तक है।
- इसमें भौगोलिक-टैगिंग वाली तस्वीरें तथा वास्तविक समय पर सूचनाएँ शामिल हैं।
- ग्राम संवाद, मेरी सड़क, आवास एप जैसे नागरिक आधारित एप विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
निगरानी संस्थानों की प्रणाली
- विभाग में राष्ट्रीय स्तर की निगरानी संस्थानों की एक प्रणाली है। यह प्रतिवर्ष 2 बार देश के 600 ज़िलों का भ्रमण करती है और प्रतिदर्शों की जाँच करती है।
- सभी महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों के लिये शोध तथा मूल्यांकन-अध्ययन का कार्य प्रारंभ किया गया है।
- एनआरएलएम (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) का मूल्यांकन आईआरएमए (Institute of Rural Management Anand) द्वारा, मनरेगा का मूल्यांकन आर्थिक विकास संस्थान, दिल्ली द्वारा तथा पीएमजेएसवाई (प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना) का मूल्यांकन आईआईएम (Indian Institutes of Management), अहमदाबाद द्वारा किया गया है।
- यह समस्त विवरण मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के मूल्यांकन कार्य का पहला भाग एनआईपीएफपी (National Institute of Public Finance and Policy-NIPFP) द्वारा पूरा किया गया है। यह मंत्रालय की वेबसाइट पर जल्द ही उपलब्ध होगा।
- इसके अलावा राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान और पंचायती राज ने भी मनरेगा के संदर्भ में कई अध्ययन किये हैं। ये जानकारियाँ भी जल्द ही वेबसाइट पर उपलब्ध होंगी।
- एनआरएलएम-डीएवाई (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन-दीनदयाल अंत्योदय योजना) के तहत स्वयं सेवी समूहों के 4.7 करोड़ सदस्यों से संबंधित जानकारियाँ सार्वजनिक की गई हैं।
- अप्रै 2017 में एनआरएलएम-डीएवाई ने लेन-देन आधारित एमआईएस लॉन्च किया है। इस प्रणाली को 25 राज्यों में फैले 1400 ब्लॉकों में लागू किया गया है।
सलाहकार समूह का गठन
- योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन का सुझाव देने के लिये विभाग ने एक सलाहकार समूह का गठन किया है।
- समूह ने आंतरिक लेखपरीक्षकों के लिये एक प्रमाण-पत्र कार्यक्रम लॉन्च करने की सिफारिश की है।
- इसके लिये पाठ्यक्रम विकसित कर लिया गया है और जल्द ही राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान और पंचायती राज, भारतीय आंतरिक लेखपरीक्षक संस्थान की सहायता से वर्तमान व अवकाश प्राप्त लेखा अधिकारियों तथा अन्य सरकारी कर्मियों के लिये प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम की शुरुआत करेंगे। 2018-19 तक पाँच हज़ार प्रमाणित आंतरिक लेखपरीक्षक तैयार हो जाएंगे।
- भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक के मार्दर्शन में सामाजिक लेखा समीक्षा के लिये पहली बार लेखा मानकों को अधिसूचित किया गया है।
- महिलाओं के स्वयं सेवी समूहों को सामाजिक लेखा समीक्षा के लिये उपयुक्त माना गया है। इस संबंध में नीति-निर्णय लिया जा चुका है। 2018-19 तक महिला स्वयं सेवी समूहों की सहायता से 50,000 सामाजिक लेखपरीक्षक तैयार हो जाएंगे।
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक संसद की लोक लेखा समिति की बैठकों में भाग ले सकता है।
- लोक लेखा समिति की कार्यवाही की मध्यस्थता नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक करता है, इसलिये इसे लोक लेखा समिति का मित्र और मार्गदर्शक कहा जाता है।
- नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक संघ और राज्यों की लोक निधियों के सभी व्ययों की लेखा-परीक्षा करता है। इसलिये इसे लोक वित्त/लोक निधि का संरक्षक/अभिभावक कहा जाता है।
- संविधान के अनुच्छेद 151(1) में उपबंध है कि कैग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपेगा और राष्ट्रपति उसे संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखवाएगा। इस आधार पर कैग की रिपोर्ट पर उचित कार्यवाही करने की अंतिम ज़िम्मेदारी संसद की है।
साइबर सुरक्षा से संबंधित पक्ष
- साइबर सुरक्षा को मज़बूत बनाने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित एक सलाहकार समूह का गठन किया गया है। यह आईटी आधारित भुगतान प्रणाली में पारदर्शिता को बनाए रखेगा।
- राज्यों में कार्यक्रमों की प्रगति के मूल्यांकन के लिये विभाग ने एक सामान्य समीक्षा मिशन (सीआरएम) प्रणाली की शुरुआत की है।
- 32 स्वतंत्र पेशेवरों ने 8 राज्यों का भ्रमण किया है। यह टीम प्रत्येक राज्य के 2 ज़िलों का भ्रमण करती है और अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपती है। अब तक 3 सीआरएम हो चुके हैं।
आंतरिक अंकेक्षण इकाई
- ग्रामीण विकास विभाग ने एक छोटे आंतरिक अंकेक्षण इकाई का गठन किया है जो स्थानीय स्तर पर वित्तीय प्रणाली की जाँच करता है और वित्तीय प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिये सलाह प्रस्तुत करता है।
जीआरआईपी पोर्टल (GRameen Internal audit Portal -GRIP)
- जीआरआईपी नाम का पोर्टल विकसित किया गया है, जो आंतरिक अंकेक्षण के अंतर्गत ऑनलाइन जाँच व विवेचना करता है।
- मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिये इसका उपयोग किया जा रहा है।
अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु
- उपरोक्त प्रणालियों के लागू होने से ग्रामीण विकास विभाग ने राज्यों के सहयोग से एक सशक्त और मज़बूत जवाबदेही फ्रेमवर्क अपनाया है।
- इससे नागरिकों की शिकायत को दूर करने में तथा एक पारदर्शी व्यवस्था लागू करने में सहायता मिली है।
- विभाग ग्राम पंचायत स्तर पर इन कार्यक्रमों को लागू करना चाहता है। इससे यह व्यवस्था और अधिक मज़बूत होगी।
- मनेरगा के तहत 2.43 परिसंपत्तियों तथा प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बनने वाले सभी घरों की भौगोलिक-टैगिंग की गई है।
- यह सार्वजनिक वेबसाइट पर उपलब्ध है। इससे पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व में बढ़ोतरी हुई है।