अंतर्राष्ट्रीय संबंध
स्वच्छ भारत के अंतर्गत ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 85% से अधिक
- 09 Jun 2018
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चर्चा में क्यों?
विश्व के सबसे बड़े व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत भारत का ग्रामीण स्वच्छता कवरेज बढ़कर 85 प्रतिशत हो गया है। ग्रामीण समुदायों को सक्रिय बनाने के लिये ग्रामीण भारत में 7.4 करोड़ शौचालय बनाए गए, जिसके परिणामस्वरूप 3.8 लाख से अधिक गाँव और 391 ज़िले खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किये गए हैं।
मुख्य बिंदु
- यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत इस मिशन को लॉन्च किये जाने के समय से कवरेज बढ़कर दोगुना से अधिक हो गया है।
- एक स्वतंत्र सत्यापन एजेंसी द्वारा हाल में 6000 से अधिक गाँवों के 90 हज़ार परिवारों के कराए गए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई कि इन परिवारों में से तकरीबन 93.4 प्रतिशत द्वारा शौचालयों का उपयोग किया जा रहा है।
- 2017 में भारतीय गुणवत्ता परिषद तथा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन द्वारा 2017 में कराए गए सर्वेक्षणों में शौचालयों का उपयोग क्रमश: 91 प्रतिशत और 95 प्रतिशत पाया गया था। यह सफलता स्वच्छ भारत मिशन द्वारा स्वच्छता के लिये अलग दृष्टिकोण अपनाने के कारण मिली है।
स्वच्छ भारत मिशन
- सर्वव्यापी स्वच्छता कवरेज के प्रयासों में तेज़ी लाने और स्वच्छता पर बल देने के लिये प्रधानमंत्री ने 2 अक्तूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की थी।
- दो उप मिशन, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के लिये मिशन समन्वयकर्त्ता पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के सचिव हैं।
- दोनों मिशनों का उद्देश्य महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगाँठ को सही रूप में श्रद्धांजलि देते हुए वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य की प्राप्ति करना है।
- इससे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस और तरल अपशिष्ट पदार्थ प्रबंधन की गतिविधियों के माध्यम से स्वच्छता के स्तरों में वृद्धि होगी और गाँवों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ), स्वच्छ तथा शुद्ध बनाया जाएगा।
विज़न
- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का उद्देश्य 02 अक्तूबर, 2019 तक स्वच्छ एवं खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) भारत के लक्ष्य की प्राप्ति करना।
उद्देश्य
- स्वच्छता, साफ-सफाई तथा खुले में शौच के उन्मूलन को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की सामान्य गुणवत्ता में सुधार लाना है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के कवरेज को बढ़ावा देकर 02 अक्तूबर, 2019 तक स्वच्छ भारत के सपने को साकार करना।
- जागरूकता लाकर और स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा के माध्यम से स्थायी स्वच्छता प्रक्रियाएँ और सुविधाएँ अपनाने के लिये समुदायों को प्रेरित करना।
- पारिस्थितिकीय रूप से सुरक्षित और स्थायी स्वच्छता के लिये लागत प्रभावी एवं उपयुक्त प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में संपूर्ण स्वच्छता की स्थिति लाने के लिये वैज्ञानिक ठोस एवं तरल अपशिष्ट पदार्थ प्रबंधन पर बल देते हुए समुदायिक प्रबंधित स्वच्छता प्रणालियों का आवश्यकतानुसार विकास करना।
- जेंडर पर महत्त्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव ड़ालना और विशेषकर सीमांत समुदायों के बीच स्वच्छता व्यवस्था सुधार करके उन्हें समाज से जुड़ने के लिये प्रोत्साहित करना।
कार्यनीति
- कार्यनीति पर बल देने का तात्पर्य राज्य सरकारों को स्वच्छ भारत के कार्यान्वयन में लचीलापन प्रदान करना है। चूँकि स्वच्छता राज्य का विषय है इसलिये राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ भारत मिशन की कार्यान्वयन नीति तथा तंत्रों और निधियों के उपयोग पर निर्णय लेना आवश्यक है।
- इसमें देश के लिये इसकी आवश्यकताओं को समझते हुए मिशन को पूरा करने पर संकेंद्रित कार्यक्रम के ज़रिये राज्य सरकारों के प्रयासों को पूरा करने में भारत सरकार की अहम भूमिका है।
कार्यनीति के मुख्य तत्त्व निम्नलिखित हैं
- ज़मीनी स्तर पर गहन व्यवहारगत परिवर्तन से संबंधित गतिविधियाँ चलाने के लिये ज़िलों की संस्थागत क्षमता को बढ़ाना।
- कार्यक्रम को समयबद्ध तरीके से चलाने और परिणामों को सामूहिक रूप से मापने के लिये कार्यान्वयन एजेंसियों की क्षमताओं को सुदृढ़ करना।
- समुदायों में व्यवहारगत परिवर्तन गतिविधियों के कार्यान्वयन हेतु राज्य स्तर की संस्थाओं के कार्यनिष्पादन को प्रोत्साहन देना।
व्यवहारगत परिवर्तन पर बल
- स्वच्छ भारत मिशन को मुख्य रूप से भिन्नता प्रदान करने वाला कारक व्यवहारगत परिवर्तन है और इसलिये व्यवहारगत परिवर्तन संवाद (बीसीसी) पर अत्यधिक बल दिया जा रहा है।
- बीसीसी, एसबीएम (जी) के घटक के रूप में अपनाई जाने वाली एक ‘स्टैण्डअलोन’ पृथक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह प्रभावी बीसीसी के माध्यम से समुदायों को सुरक्षित और स्थायी स्वच्छता प्रथाओं को अपनाने के लिये परोक्ष रूप से दबाव डालने के विषय में है।
- जागरूकता सृजन, लोगों की मानसिकता को प्रेरित कर समुदाय में व्यवहारगत परिवर्तन लाने और घरों, स्कूलों, आँगनवाड़ी, सामुदायिक समूहों संबंधी स्थलों में स्वच्छता सुविधाओं की मांग सृजित करने तथा और ठोस एवं तरल अपशिष्ट पदार्थ प्रबंधन गतिविधियों पर बल दिया जा रहा है।
- चूँकि सभी परिवारों और व्यक्तियों द्वारा प्रतिदिन एवं प्रत्येक बार शौचालय के उपयोग पर वांछित व्यवहार अपनाए बिना खुले में शौच मुक्त गाँवों की प्राप्ति नहीं की जा सकती है।
राज्यों को छूट
- वैयक्तिक पारिवारिक शौचालय के प्रोत्साहन और उपयोग के संबंध में राज्यों को छूट प्राप्त है। गहन प्रेरणादायी और व्यवहारगत परिवर्तन कार्य-कलापों (आईईसी घटक में से) के अलावा, ग्रामीण परिवारों के लिये वैयक्तिक पारिवारिक शौचालयों को प्रोत्साहन देने का प्रावधान राज्यों (आईएचएचएल घटक से) के पास उपलब्ध है। अतः कवरेज को और अधिक बढ़ाने के लिये भी इसे उपयोग में लाया जा सकता था ताकि समुदायिक परिणामों को प्राप्त किया जा सके।
स्वच्छ भारत के ज़मीनी सैनिक
- स्वच्छाग्राही : ग्राम पंचायत स्तर पर समर्पित, प्रशिक्षित और उचित प्रोत्साहन प्राप्त स्वच्छता कार्य बल की आवश्यकता है। ‘ज़मीनी सैनिक’ अथवा ‘स्वच्छाग्राही’ जिन्हें पहले ‘स्वच्छता दूत’ कहा जाता था, की एक सेना तैयार की गई है और उन्हें वर्तमान व्यवस्थाओं, जैसे- पंचायती राज संस्थाओं, को-आपरेटिव्स, आशा, आँगनवाड़ी कार्यकताओं, महिला समूहों, समुदायिक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, वॉटर लाइनमैन/पंप ऑपरेटरों आदि के माध्यम से नियोजित किया गया है जो पहले से ग्राम पंचायतों में कार्य कर रहे थे अथवा विशेष रूप से इस प्रयोजनार्थ स्वच्छाग्राहियों के रूप में नियोजित किये गए थे।
- यदि संबद्ध विभागों में वर्तमान कार्मिकों का उपयोग किया जाता है तो उनके मूल संबद्ध विभाग, स्वच्छ भारत मिशन के तहत गतिविधियों को शामिल करने के लिये इनकी भूमिकाओं के विस्तार की स्पष्ट व्यवस्था करेंगे।
स्वच्छता प्रौद्योगिकियाँ
- परिवार और समुदाय दोनों स्तरों पर स्वामित्त्व और स्थायी उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिये शौचालयों की संस्थापना में वित्तीय अथवा अन्य रूप से लाभार्थी/समुदायों की पर्याप्त भागीदारी की सलाह दी गई है।
- बहुत से विकल्पों की सूची में निर्माण संबंधी दी गई छूट यह है कि गरीबों और लाभ न प्राप्त करने वाले परिवारों को उनकी आवश्यकताओं और वित्तीय स्थिति पर निर्भरता को देखते हुए उन्हें अपने शौचालयों की स्थिति को निरन्तर बेहतर बनाने के लिये अवसर दिये जाएँ और यह सुनिश्चित किया जाए कि वे स्वच्छ शौचालयों का निर्माण कर सकें जिसमें कंफाइनमेंट मल का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित हो।
- उपयोगकर्त्ता की पसंद और स्थान-विशिष्ट ज़रूरतों को पूरा करने के लिये प्रौद्योगिकी विकल्पों तथा उन पर आने वाली लागत की विस्तृत सूची उपलब्ध कराई गई है। जैसे-जैसे नई प्रौद्योगिकियाँ सामने आती हैं इस सूची को निरंतर अद्यतन किया जाता है और प्रौद्योगिकियों से जुड़े विकल्प उपलब्ध कराते हुए लाभार्थियों को सूचित किया जाता है।
मॉनीटरिंग पद्धति
- गाँवों की खुले में शौच मुक्त स्थिति, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं का कार्यान्वयन तथा पारिवारिक शौचालयों, स्कूल और आंगनवाड़ी शौचालयों तथा समुदायिक स्वच्छता परिसरों के निर्माण और उपयोग की निगरानी करने के लिये एक सुदृढ़ निगरानी व्यवस्था की गई है।
- इस निगरानी पद्धति में सामाजिक ऑडिट जैसी एक सुदृढ़ समुदाय चालित प्रणाली का भी उपयोग किया जाता है। समुदाय आधारित मॉनीटरिंग और सतर्कता समितियाँ, लोगों में दबाव पैदा करने में सहायक होती हैं। राज्य, समुदाय की जरूरतों को पूरा करने के लिये अपनाए जाने वाले डिलीवरी पद्धति के बारे में निर्णय लेते हैं।
ओडीएफ समुदायों का सत्यापन
- ‘ओडीएफ’ को भारत सरकार द्वारा परिभाषित किया गया है और इसके लिये संकेतक बनाए गए हैं। इन संकेतकों के अनुरूप गाँवों का सत्यापन करने के लिये विश्वसनीय प्रक्रिया लाने हेतु एक प्रभावशाली सत्यापन पद्धति बहुत आवश्यक है।
- चूँकि स्वच्छता राज्य का विषय है और राज्य ही कार्यक्रम के कार्यान्वयन में मुख्य निकाय है, अतः ओडीएफ सत्यापन के लिये राज्य स्वयं एक बेहतर पद्धति तैयार कर सकते हैं।
- केंद्र की भूमिका विभिन्न राज्यों द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाओं को आपस में साझा करना है और राज्यों द्वारा ओडीएफ घोषित ग्राम पंचायतों/गाँवों के एक छोटे प्रतिशत का मूल्यांकन करने के लिये पद्धति विकसित करना है तथा आगे केंद्र/राज्य के अवमूल्यन में भारी अंतर होने पर राज्यों को सहायता देना और उनका मार्गदर्शन करना है।
ओडीएफ समुदायों में स्थायित्व लाना
- ओडीएफ की स्थिति प्राप्त करने में काफी हद तक व्यवहारगत परिवर्तन पर कार्य करना शामिल है, इसे बनाए रखने के लिये समुदाय द्वारा समन्वित प्रयास किये जाने की ज़रूरत है। बहुत से ज़िलो और राज्यों ने ओडीएफ की निरंतरता को बनाए रखने के लिये पैरामीटर विकसित किये हैं।
स्वच्छता : सब का कार्य
- एमडीडब्ल्यूएस (Ministry of Drinking Water and Sanitation) जिसे एसबीएम-ग्रामीण का प्रभार आवंटित किया गया है, के अलावा स्वच्छ भारत की प्राप्ति के लिये यह सभी गतिविधियों और पहलों के लिये नोडल मंत्रालय भी है।
- इस ज़िम्मेदारी को पूरा करने के लिये यह मंत्रालय भारत सरकार के सभी अन्य मंत्रालयों, राज्य सरकारों, स्थानीय संस्थानों, गैर सरकारी और अर्द्ध सरकारी एजेंसियों, कॉरपोरेट, एनजीओ, धार्मिक संगठनों, मीडिया तथा शेष हिस्सेदारों के साथ मिलकर निरंतर कार्य कर रहा है।
- यह दृष्टिकोण प्रधानमंत्री के आह्वाहन पर आधारित है जिसमें स्वच्छता, मात्र स्वच्छता विभाग का कार्य न रहकर सभी का कार्य है।
- इस प्रक्रिया में कई विशेष पहलें और परियोजनाएँ तेज़ी से सामने आई हैं। उन संगठनों की स्वच्छता में भागीदारी, जिनका मुख्य कार्य स्वच्छता नहीं है, से स्वच्छ भारत के इस आह्वान को अत्यधिक प्रेरणा मिली है।
निष्कर्ष
स्वच्छ भारत मिशन देश का पहला स्वच्छता कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य आउटपुट (शौचालय) के स्थान पर परिणामों (ओडीएफ) को मापना है। स्वच्छ भारत मिशन का बल ज़मीनी स्तर पर ग्रामीण स्वच्छता के प्रति व्यवहार परिवर्तन पर है। इस संबंध में हुई प्रगति का कठोरता से सत्यापन किया जाता है। स्वच्छ भारत मिशन एक जन आंदोलन है और जन भागीदारी की वज़ह से मिशन के अंतर्गत इसकी सफलता देखी जा रही है। यह मिशन अक्तूबर 2019 तक भारत को ओडीएफ बनाने के निर्धारित रास्ते पर है।