लोकपाल के समक्ष शिकायत संबंधी नियम | 04 Mar 2020
प्रीलिम्स के लिये:लोकपाल के समक्ष शिकायत दर्ज करने से संबंधित प्रावधान मेन्स के लिये:भारत में लोकपाल और सार्वजानिक भ्रष्टाचार से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
लोकपाल के गठन के लगभग एक वर्ष पश्चात् कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel and Training- DoPT) ने एक अधिसूचना जारी कर लोकपाल के समक्ष शिकायत दर्ज कराने हेतु नियम और प्रारूप को स्पष्ट किया है।
प्रमुख बिंदु
- विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, एक शिकायतकर्त्ता को पहचान का वैध प्रमाण देना होता है। इसके अलावा विदेशी नागरिक भी लोकपाल के समक्ष शिकायत दर्ज करा सकते हैं, इसके लिये उन्हें पहचान के प्रमाण के रूप में केवल पासपोर्ट की एक प्रति देनी होगी।
- शिकायत इलेक्ट्रॉनिक रूप से डाक के माध्यम से या व्यक्तिगत रूप से दर्ज की जा सकती है। यदि शिकायत इलेक्ट्रॉनिक रूप से दर्ज की जाती है तो इसकी हार्ड कॉपी 15 दिनों के भीतर लोकपाल को प्रस्तुत की जानी आवश्यक है।
- आमतौर पर शिकायत अंग्रेज़ी में दर्ज की जा सकती है, किंतु शिकायतकर्त्ता इस कार्य हेतु कन्नड़, हिंदी, मराठी, मलयालम, गुजराती और तेलुगु जैसे आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में से किसी का भी प्रयोग कर सकता है।
- आरोपी अधिकारी/अधिकारियों के विवरण, उन पर लगे आरोप और संबंधित साक्ष्यों के अतिरिक्त शिकायतकर्त्ता को एक हलफनामा भी प्रस्तुत करना होगा।
- नियमों के अनुसार, जाँच या अन्वेषण का निष्कर्ष प्राप्त होने तक लोकसेवक (जिसके विरुद्ध शिकायत दर्ज की गई है) की पहचान सुरक्षित रखी जाएगी।
- लोकपाल (शिकायत) नियम, 2020 के अनुसार कोई भी झूठी शिकायत दर्ज करना दंडनीय अपराध है और ऐसा करने पर कारावास की सज़ा (जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है) और (जुर्माना जिसे 1 लाख तक बढ़ाया जा सकता है) लगाया जा सकता है।
- निर्धारित नियमों के अनुसार, लोकपाल पीठ पहले चरण में प्रवेश स्तर पर शिकायत का फैसला करेगी और यदि आवश्यक हो तो लोकपाल अन्य विवरण भी मांग सकता है।
- नियम के अनुसार, प्रधानमंत्री के विरुद्ध दायर शिकायत का फैसला प्रवेश चरण पर संपूर्ण लोकपाल पीठ द्वारा किया जाएगा, जिसमें उसके अध्यक्ष और सभी सदस्य शामिल होंगे।
- नियमों के अनुसार, यदि प्रधानमंत्री के विरुद्ध कोई शिकायत दर्ज की जाती है और लोकपाल पीठ उसे खारिज कर देती है तो लोकपाल पीठ को इस संदर्भ कोई स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता नहीं होगी।
- कई विश्लेषक लोकपाल (शिकायत) नियम, 2020 के इस प्रावधान को लेकर अपनी असहमति दर्ज करा चुके हैं।
- ध्यातव्य है कि सेना अधिनियम, नौसेना अधिनियम, वायुसेना अधिनियम और तटरक्षक अधिनियम के तहत आने वाले लोकसेवकों के विरुद्ध शिकायत नहीं दर्ज की जा सकती है।
भारत में लोकपाल
- लोकपाल की परिकल्पना स्वच्छ एवं उत्तरदायी शासन हेतु सरकारी प्रतिबद्धता के साथ भ्रष्टाचार को रोकने एवं दंडित करने वाले प्रभावी निकाय के रूप में की गई है।
- यद्यपि विश्व के विभिन्न देशों में लोक शिकायतों के निवारण एवं भ्रष्टाचार को रोकने के लिये कई प्रकार की युक्तियाँ सृजित की गई हैं, जैसे- प्रशासनिक न्याय प्रणाली, ओम्बुड्समैन प्रणाली और प्रोक्यूरेटर प्रणाली। किंतु ओम्बुड्समैन या लोकपाल प्रणाली सबसे पुरानी संस्था है, जिसकी शुरुआत स्केंडिनेवियाई देशों में हुई थी।
- प्रसिद्ध ओम्बुड्समैन डोनल्ड सी. रॉबर्ट के अनुसार लोकपाल ‘नागरिकों की अन्यायपूर्ण प्रशासनिक कार्रवाइयों के खिलाफ शिकायतों को दूर करने के लिये विलक्षण रूप से उपयुक्त संस्था है।’
- भारत में भी इसी तर्ज़ पर लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अंतर्गत सार्वजनिक पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायतों की जाँच करने हेतु संघ के लिये लोकपाल एवं राज्यों के लिये लोकायुक्त की स्थापना करने का उपबंध किया गया है।
वैश्विक स्तर पर लोकपाल
- दुनिया में सबसे सर्वप्रथम लोकपाल का गठन वर्ष 1809 में स्वीडन में किया गया था। स्वीडन समेत दुनिया के अन्य देशों में लोकपाल को ओम्बुड्समैन (Ombudsman) कहा जाता है। इसे नागरिक अधिकारों का संरक्षक माना जाता है और यह एक ऐसा स्वतंत्र तथा सर्वोच्च पद है जो लोकसेवकों के विरुद्ध शिकायतों की सुनवाई करता है। साथ ही संबंधित जाँच-पड़ताल कर उसके खिलाफ उचित कार्रवाई के लिये सरकार को सिफारिश भी करता है।
- स्वीडन के बाद धीरे-धीरे ऑस्ट्रिया, डेनमार्क तथा अन्य स्केंडिनेवियन देशों और फिर अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका व यूरोपीय देशों में भी ओम्बुड्समैन नियुक्त किये गए। भारत से पहले 135 से अधिक देशों में ‘ओम्बुड्समैन’ की नियुक्ति की जा चुकी है।