EPF में योगदान पर कर लगाने का नियम | 03 Sep 2021
प्रिलिम्स के लियेकर्मचारी भविष्य निधि, बज़ट, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड मेन्स के लियेEPF में योगदान पर कर लगाने के नियम का कार्यान्वयन एवं उसका प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वित्त मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में किये गए योगदान से प्राप्त ब्याज़ की राशि पर कर लगाने के नियमों को अधिसूचित किया है।
कर्मचारी भविष्य निधि योजना
- कर्मचारी भविष्य निधि और विविध अधिनियम, 1952 के तहत EPF मुख्य योजना है।
- यह योजना कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में कार्य करने वाले कर्मचारियों को संस्थागत भविष्य निधि प्रदान करती है।
- कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना में नियोक्ता (Employer) और कर्मचारी (Employee) दोनों द्वारा कर्मचारी के मासिक वेतन (मूल वेतन और महँगाई भत्ता) के 12% का योगदान किया जाता है।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में सुझाव दिया गया था कि कर्मचारियों को यह चुनने की अनुमति दी जानी चाहिये कि वे अपने वेतन का 12% EPF में बचाएँ या इसे टेक होम पे (Take Home Pay) के रूप में रखें।
- EPF योजना उन कर्मचारियों के लिये अनिवार्य है जिनका मूल वेतन प्रतिमाह 15,000 रुपए तक है।
प्रमुख बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- फरवरी 2021 में बजट में प्रस्तावित किया गया कि भविष्य निधि (PF) में एक वर्ष में 2.5 लाख रुपए से अधिक के योगदान पर ब्याज़ आय पर कर छूट उपलब्ध नहीं होगी।
- मार्च 2021 में सरकार ने वित्त विधेयक, 2021 में एक संशोधन पेश किया, जिसमें उसने कर मुक्त ब्याज़ आय के लिये योगदान की सीमा को 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का प्रस्ताव रखा यदि योगदान किसी ऐसे फंड में किया जाता है, जहाँ नियोक्ता द्वारा कोई योगदान नहीं दिया जाता है।
- इसके साथ ही सरकार ने सामान्य भविष्य निधि में किये गए योगदान के लिये राहत प्रदान की जो केवल सरकारी कर्मचारियों हेतु उपलब्ध है और नियोक्ता द्वारा कोई योगदान नहीं दिया जाता है।
- नए नियम:
- कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में 2.5 लाख रुपए (निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिये) और 5 लाख रुपए (सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिये) से अधिक के योगदान पर ब्याज आय पर कर लगेगा।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 की शुरुआत से सरकार इन सीमाओं से अधिक के योगदान के मामले में ब्याज पर कर लगाएगी, जिसमें अलग-अलग खातों को भविष्य निधि खाते में 2021-22 एवं आगमी वर्षों में कर योग्य योगदान तथा एक व्यक्ति द्वारा किया गया योगदान को गैर-कर योग्य के लिये बनाए रखा जाएगा।
- एक वित्तीय वर्ष, जिसे बजट वर्ष के रूप में भी जाना जाता है, सरकार और व्यवसायों द्वारा वार्षिक वित्तीय विवरण एवं रिपोर्ट तैयार करने हेतु लेखांकन उद्देश्यों के लिये उपयोग की जाने वाली अवधि है।
- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर नियम, 1962 में नियम 9D का सृजन किया है, जिसके अनुसार पिछले वर्ष के दौरान अर्जित ब्याज के माध्यम से जिस आय पर छूट प्राप्त नहीं है (निजी कर्मचारी के लिये 2.5 लाख रुपए से अधिक तथा सरकारी कर्मचारी के लिये 5 लाख रुपए से अधिक) उसकी गणना कर योग्य योगदान खाते में विगत वर्ष के दौरान अर्जित ब्याज के रूप में की जाएगी।
- कर की निरंतरता:
- अधिसूचना के अनुसार, एक वर्ष के लिये अतिरिक्त योगदान (निजी के लिये 2.5 लाख रुपए से अधिक और सरकारी कर्मचारियों के लिये 5 लाख रुपए) पर ब्याज आय पर प्रत्येक वर्ष कर लगेगा।
- इसका मतलब यह है कि अगर वित्त वर्ष 2021-22 में PF में वार्षिक योगदान 10 लाख रुपए है, तो 7.5 लाख रुपए की ब्याज आय पर न केवल वित्त वर्ष 2021-22 हेतु बल्कि आगामी सभी वर्षों के लिये भी कर लगेगा।
- अधिसूचना के अनुसार, एक वर्ष के लिये अतिरिक्त योगदान (निजी के लिये 2.5 लाख रुपए से अधिक और सरकारी कर्मचारियों के लिये 5 लाख रुपए) पर ब्याज आय पर प्रत्येक वर्ष कर लगेगा।
- आवश्यकता :
- बजट प्रस्ताव में कहा गया था कि सरकार को ऐसे उदाहरण मिले हैं जहाँ कुछ कर्मचारी इन फंडों में व्यापक मात्रा में योगदान दे रहे हैं और सभी चरणों (योगदान, ब्याज संचय और निकासी) में कर छूट का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
- उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों (HNIs) को उनके व्यापक योगदान पर उच्च कर मुक्त ब्याज आय के लाभ से बाहर करने के उद्देश्य से सरकार ने कर छूट के लिये एक सीमा निर्धारित करने का प्रस्ताव किया है।