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भारतीय राजव्यवस्था

गुजरात उच्च न्यायालय का नियम 151

  • 05 Mar 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005

मेन्स के लिये:

सूचना का अधिकार तथा न्यायिक दस्तावेज़

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ द्वारा दिये गए एक निर्णय के अनुसार, न्यायिक दस्तावेज़ जैसे कि निर्णय की कॉपी और याचिकाओं को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

मुख्य बिंदु:

  • जस्टिस भानुमती, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने मुख्य सूचना आयुक्त बनाम गुजरात उच्च न्यायालय व अन्य के मामले में कहा कि न्यायालय के दस्तावेज़ों की प्रमाणित प्रतियाँ प्राप्त करने के लिये न्यायालय के नियमों के तहत आवेदन किया जाना चाहिये।
  • पीठ ने नवंबर वर्ष 2019 में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय के फैसले को आधार नहीं बनाया बल्कि उसने दिल्ली उच्च न्यायालय के 2017 के फैसले का संदर्भ दिया, जिसमें अदालत ने एक याचिकाकर्त्ता को इस बात की जानकारी देने से इनकार कर दिया था कि उसकी याचिका क्यों खारिज की गई।
  • पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय के नियम 151 की वैधता को बरकरार रखा।
  • इस नियम के अनुसार, निर्धारित कोर्ट फीस के साथ आवेदन दाखिल करने पर वादी को दस्तावेज़ों/निर्णयों आदि की प्रतियाँ प्राप्त करने का अधिकार है।
  • तृतीय पक्षों को सहायक रजिस्ट्रार के आदेश के बिना निर्णय तथा अन्य दस्तावेज़ों की प्रतियाँ नहीं दी जाएंगी एवं दस्तावेज़ों की मांग के उचित कारण से संतुष्ट होने पर प्रतियाँ प्राप्त करने की अनुमति दी जाएगी।
  • बॉम्बे, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और मद्रास उच्च न्यायालय में तीसरे पक्ष के लिये सूचना या प्रमाणित प्रतियाँ प्राप्त करने के समान प्रावधान हैं।

गुजरात उच्च न्यायालय का नियम 151:

  • यह नियम केवल न्यायालय के एक अधिकारी के आदेश के तहत किसी तीसरे पक्ष को या जो किसी मामले में पक्षकार नहीं है, के निर्णयों, आदेशों और वादों की प्रमाणित प्रतियाँ प्राप्त करने की अनुमति देता है।

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005:

  • सूचना का अधिकार (Right to Information-RTI) अधिनियम, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिये लागू किया गया है।
  • इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर सकता है, यह सूचना 30 दिनों के अंदर उपलब्ध कराई जाने की व्यवस्था की गई है। यदि मांगी गई सूचना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो ऐसी सूचना को 48 घंटे के भीतर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय:

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India-CJI) का कार्यालय सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण है।
  • गोपनीयता का अधिकार एक महत्त्वपूर्ण पहलू है और भारत के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय से जानकारी देने का निर्णय पारदर्शिता के साथ संतुलित होना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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