नियम 12 | 27 Nov 2019
प्रीलिम्स के लिये:
नियम 12
मेन्स के लिये:
नियम 12, इससे संबंधित परिस्थितियाँ तथा महाराष्ट्र मामले में इसका प्रयोग
चर्चा में क्यों?
23 नवंबर, 2019 को बगैर केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री ने भारत सरकार (कार्यकरण) नियमावली, 1961 के नियम 12 के तहत प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटा दिया। इसके साथ ही कई प्रश्न चर्चा का विषय बन गए हैं, जैस- नियम 12 क्या है? यह सरकार को क्या-क्या अधिकार प्रदान करता है?
नियम 12 क्या है?
- भारत सरकार (कार्यकरण) नियमावली, 1961 का नियम 12 प्रधानमंत्री को अपने विवेक के आधार पर सामान्य नियमों से भटकाव की अनुमति है।
- "नियमों से प्रस्थान" (Departure from Rules) शीर्षक को नियम 12 कहा जाता है।
- नियम 12 के तहत लिये गए किसी भी निर्णय के लिये मंत्रिमंडल कुछ समय बाद तथ्यात्मक स्वीकृति दे सकता है।
नियम 12 का उपयोग किन परिस्थितियों में किया जाता है?
- आमतौर पर सरकार द्वारा प्रमुख निर्णयों के लिये नियम 12 का उपयोग नहीं किया जाता है।
- हालाँकि पूर्व में इसका उपयोग कार्यालय ज्ञापन को वापस लेने या एमओयू पर हस्ताक्षर करने जैसे मामलों में किया गया है।
- नियम 12 के माध्यम से आखिरी बड़ा फैसला 31 अक्तूबर, 2019 को तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य के संदर्भ में लिया गया था। जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन कर इसे केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के रूप में विभाजित कर दिया गया है।
- इसके विषय में मंत्रिमंडल ने 20 नवंबर, 2019 को एक्स-फैक्टो स्वीकृति प्रदान की।
महाराष्ट्र का मामला
- 23 नवंबर, 2019 की सुबह 5 बजकर 47 मिनट पर भारत सरकार के राजपत्र में महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन को हटाए जाने की अधिसूचना प्रकाशित हुई। इसका अर्थ है कि राष्ट्रपति ने इसके लिये ज़रूरी दस्तावेज़ पर इस समय से पहले ही हस्ताक्षर किये होंगे।
- इसके बाद 23 नवंबर, 2019 को ही सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर नए मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री को पद की शपथ दिला दी गई।
विवादास्पद क्यों?
- नियम 12 के क्रियान्वित होने से प्रतीत होता है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के शीर्ष नेताओं को भी आगे की कार्यवाही के बारे में जानकारी नहीं थी। जबकि सामान्य नियमों के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने तथा समाप्ति के लिये केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक आवश्यक होती है, इसके पश्चात् इसे राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिये भेजा जाता है।