कृषि
रबर उद्योग
- 07 Jun 2022
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:रबर के विकास के लिये आवश्यक शर्तें, रबर, एफटीए, एमएसएमई के उत्पादन और वितरण। मेन्स के लिये:भारत में रबर उद्योग, उत्पादन और वितरण एवं संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
ऑल इंडिया रबर इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन (AIRIA) के अनुसार, 2 अरब डॉलर के गैर-टायर रबर क्षेत्र ने वर्ष 2025 तक अपने निर्यात को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
- वैश्विक बाज़ार में रबर उत्पादों की हिस्सेदारी वर्तमान में लगभग 212 बिलियन डॉलर की है, जिसके वर्ष 2025 तक बढ़ने की उम्मीद है।
- सरकार को यह सुनिश्चित काना चाहिये कि मुक्त व्यापार समझौता (FTA) की शर्तों के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यम (MSME) को अंतर्राष्ट्रीयकरण का लाभ ंप्राप्त हो।
- चूंँकि MSME भारत की अर्थव्यवस्था और वाणिज्य के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है, इसलिये विदेशी बाज़ारों में व्यापार करते समय MSME को जिन विशेष चिंताओं, मांगों और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, उन्हें दूर करने के लिये भारत को FTA प्रावधानों को शामिल करना चाहिये।
ऑल इंडिया रबर इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन (AIRIA):
- अखिल भारतीय रबर उद्योग संघ (AIRIA) उद्योग के हितों की रक्षा और उसे बढ़ावा देने के उद्देश्यों के साथ रबर उद्योग एवं व्यापार संबंधी सुविधा प्रदान करने वाला एक गैर-लाभकारी निकाय है।
रबर की प्रमुख विशेषताएंँ:
- परिचय:
- प्राकृतिक रबर आइसोप्रीन का बहुलक है, जो एक कार्बनिक यौगिक है।
- रबर एक सुसंगत लोचदार ठोस पदार्थ है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रो में पाए जाने वाले पेड़ों के लेटेक्स से प्राप्त होता है, जिसमें हेवेया ब्रासीलिएन्सिस सबसे महत्त्वपूर्ण है।
- रबर के पेड़ों के रोपण के बाद लगभग 32 वर्षों तक ये आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं।
- स्रोत:
- प्राकृतिक रबर विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होता है, सबसे आम पारा रबर का पेड़ (हेवेया ब्रासीलिएन्सिस) है। यह अपने पूर्ण विकास के साथ कई वर्षों तक लेटेक्स उत्पन्न करता है।
- लैंडोल्फिया (Landolphia) वर्ग की लताओं से कांगो रबर का उत्पादन होता है। इन लताओं को खेतों में नहीं उगाया जा सकता जिसके परिणामस्वरूप कांगो में जंगली पौधों का बड़े पैमाने पर दोहन हुआ।
- सिंहपर्णी दूध में भी लेटेक्स मौजूद होता है जिसका उपयोग रबर के उत्पादन के लिये किया जा सकता है।
- रबर के पेड़ के लिये अनुकूल वातावरण:
- मृदा:
- ये पेड़ अच्छी जल-निकास प्रणाली वाले और मौसम के अनुकूल मृदा में विकास करते हैं।
- इन पेड़ों की वृद्धि के लिये लैटेराइट, जलोढ़, तलछटी और गैर-लैटेराइट लाल मिट्टी सबसे अच्छी होती है।
- वर्षा और तापमान:
- वर्ष में कम-से-कम 100 वर्षा वाले दिनों के साथ समान रूप से वितरित वर्षा और लगभग 20 से 34°C की तापमान सीमा हेविया रबर के पेड़ के विकास के लिये अनुकूल स्थितियाँ प्रदान करते हैं।
- सर्वोत्तम परिणामों के लिये लगभग 80% आर्द्रता, 2000 घंटे की धूप और तेज़ हवाओं की अनुपस्थिति भी आवश्यक है।
- मृदा:
- उपयोग:
- रबर का उपयोग पेंसिल के निशान मिटाने से लेकर टायर, ट्यूब और बड़ी संख्या में औद्योगिक उत्पादों के निर्माण तक विभिन्न उद्देश्यों के लिये किया जाता है।
- विदार प्रतिरोधी (Tear Resistance) होने के साथ-साथ इसकी उच्च तन्यता क्षमता व कंपन प्रतिरोधी गुणों के कारण सिंथेटिक रबर के स्थान पर प्राकृतिक रबर को प्राथमिकता दी जाती है।
- यह गुण निर्माण और ऑटोमोबाइल उद्योगों के लिये इसे और महत्त्वपूर्ण बनाता है।
- देशों में ऑटोमोबाइल बाज़ार की वृद्धि से प्राकृतिक रबर उत्पादन की मांग बढ़ने का अनुमन लगाया जा रहा है।
- लेटेक्स उत्पादों, जैसे- कैथेटर, दस्ताने और बेल्ट की मांग में वृद्धि भी एक ऐसा कारक है जो रबर बाज़ार के विकास को बढ़ावा दे सकता है।
- उत्पादन और वितरण:
- वर्ष 2019 के खाद्य और कृषि संगठन कॉर्पोरेट सांख्यिकीय डेटाबेस (FAOStat) के अनुसार, थाईलैंड दुनिया में रबर का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके बाद इंडोनेशिया, मलेशिया, भारत और चीन का स्थान है।
भारत में रबर उत्पादन की वर्तमान स्थिति:
- FAOStat 2019 के अनुसार, भारत दुनिया में रबर का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है
- खपत:
- रबर की अधिकांश खपत परिवहन क्षेत्र में होती है, इसके बाद फुटवियर उद्योग का स्थान आता है।
- निर्यात:
- वित्तीय वर्ष 2020 के दौरान भारत से निर्यात किये जाने वाले प्राकृतिक रबर की मात्रा 12 हज़ार मीट्रिक टन से अधिक थी।
- भारत से प्राकृतिक रबर का आयात करने वाले प्रमुख देशों में जर्मनी, ब्राज़ील, संयुक्त राज्य अमेरिका और इटली शामिल हैं।
- निर्यात उत्पादों में ऑटोमोटिव टायर और ट्यूब, जूते, चिकित्सा सामान, कोट और एप्रन शामिल हैं।
- वितरण:
- भारत में पहला रबर बागान वर्ष 1895 में केरल की पहाड़ी ढलानों पर स्थापित किया गया था।
- हालांँकि वाणिज्यिक पैमाने पर रबर की खेती वर्ष 1902 में शुरू की गई थी।
- केरल भारत में प्राकृतिक रबर का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- प्रमुख क्षेत्र: इस राज्य के कोट्टायम, कोल्लम, एर्नाकुलम, कोझीकोड सभी ज़िले रबर का उत्पादन करते हैं।
- तमिलनाडु:
- नीलगिरि, मदुरै, कन्याकुमारी, कोयंबटूर और सलेम तमिलनाडु के मुख्य रबर उत्पादक ज़िले हैं।
- कर्नाटक:
- चिकमंगलूर और कोडागु मुख्य उत्पादक ज़िले हैं।
- त्रिपुरा, असम, अंडमान और निकोबार, गोवा आदि कुछ अन्य रबर उत्पादक राज्य हैं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नप्रश्न. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये और सूचियों के नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (2008) सूची-I सूची-II (बोर्ड) (मुख्यालय) कूट: A B C D उत्तर: (B) व्याख्या:
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