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आर.टी.आई. अधिनियम के दायरे से बाहर नहीं है 'सी.बी.आई.'

  • 20 Sep 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिये गए एक निर्णय में यह कहा गया है कि सूचना के अधिकार के अंतर्गत ‘केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो’ (Central Bureau of Investigation) भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से संबंधित सूचनाओं का खुलासा करने अथवा न करने हेतु मिलने वाली पर्याप्त छूट का दावा नहीं कर सकता है। विदित हो कि सी.बी.आई. ने सूचना के अधिकार की धारा 24 के अंतर्गत ऐसी सूचनाओं का खुलासा करने से इनकार कर दिया था।  

मामले की पृष्ठभूमि

  • हैदराबाद के आर.टी.आई. कार्यकर्त्ता सी.जे.करीरा के पास ऐसी कई सूचनाएँ थी, जिनसे यह स्पष्ट होता था कि सीबीआई के अनेक प्रमुख अधिकारी भ्रष्टाचार और मानवाधिकार से संबंधित आरोपों में शामिल थे। चूँकि इस एजेंसी को आर.टी.आई. अधिनियम के तहत छूट दी गई है, अतः वह ऐसी सूचनाओं को साझा नहीं करेगी।  
  • इसके अतिरिक्त यह भी कहा गया था कि भ्रष्टाचार और मानवाधिकार के आरोपों से संबंधित सूचनाओं का खुलासा तभी किया जा सकता है जब ये आरोप एजेंसी के किसी अधिकारी के विरुद्ध लगाए गए हों।
  • हालाँकि यह व्याख्या गलत है, क्योंकि आर.टी.आई. अधिनियम ऐसी सूचनाओं का खुलासा करता है, जिन्हें किसी सार्वजानिक प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इस संबंध में यह किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करता, भले ही ये आरोप उसके कर्मचारियों पर लगे हों अथवा नहीं।
  • वर्ष 2012 में तत्कालीन प्रमुख सूचना आयुक्त सत्यानन्द मिश्रा ने यह कहते हुए एजेंसी के दावों को अस्वीकार कर दिया था कि जब भी भ्रष्टाचार के दावों का खुलासा करने की बात आती है तो आर.टी.आई. अधिनियम की धारा 24 के अंतर्गत एजेंसी को दिये गए विशेषाधिकार मान्य नहीं होंगे। एजेंसी ने इसी कथन को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

क्या कहती है आर.टी.आई. अधिनियम की धारा 24?

  • इसमें कहा गया है कि इसके प्रावधान खुफिया और सुरक्षा संगठनों पर लागू नहीं होंगे। 
  • ध्यातव्य है कि खुफिया और सुरक्षा संगठनों के अंतर्गत खुफिया विभाग (Intelligence Bureau-IB), अनुसंधान एवं विश्लेषण विंग ( Research and Analysis Wing- RAW), राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency-NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) को भी शामिल किया गया है।
  • केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को कांग्रेस सरकार द्वारा इस सूची में शामिल किया गया था।
  • हालाँकि, इस अधिनियम में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आर.टी.आई. अधिनियम की धारा 24 के तहत इन संगठनों को प्राप्त छूट में भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के आरोपों से संबंधित सूचनाओं को शामिल नहीं किया गया है।  

सूचना का अधिकार

  • यह कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की एक पहल है।
  • इस अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत भारत का कोई भी नागरिक एक सार्वजानिक प्राधिकरण  (केंद्र अथवा राज्य सरकार के प्राधिकरण) से उसे सूचना उपलब्ध कराने का निवेदन कर सकता है। यह सूचना उसे 30 दिनों के भीतर उपलब्ध हो जानी चाहिये।  
  • इस अधिनियम के तहत प्रत्येक सार्वजानिक प्राधिकरण को कुछ श्रेणियों की जानकारियाँ उपलब्ध कराने के लिये अपने रिकॉर्ड को कंप्यूटर में सुरक्षित रखने की भी सलाह दी गई है, ताकि नागरिकों को सूचना प्राप्त करने हेतु कम से कम औपचारिकता का सहारा लेना पड़े। 
  • इस कानून को संसद में 15 जून 2005 को पारित किया गया था और यह 12 अक्टूबर 2005 को प्रभाव में आया।
  • भारत में सूचनाओं का खुलासा करने को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम,1923 और अन्य विशेष कानूनों द्वारा प्रतिबंधित किया गया था, जबकि सूचना के अधिकार में इन प्रतिबंधों से छूट प्रदान कर दी गई है। यह नागरिकों के मूल अधिकार को विधिबद्ध करता है।
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