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भारतीय अर्थव्यवस्था

‘रोज़गार सेतु’ योजना

  • 30 May 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये 

‘रोज़गार सेतु’ योजना

मेन्स के लिये

लॉकडाउन जनित प्रवासी संकट, महामारी के दौर में राज्य सरकारों द्वारा किये जा रहे विविध प्रयास, राज्यों की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये विभिन्न प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा राज्य में देश के अन्य हिस्सों से लौटे कुशल श्रमिकों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘रोज़गार सेतु’ (Rozgar Setu) योजना की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

  • इस संबंध में घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राज्य सरकार उन सभी कुशल श्रमिकों का सर्वेक्षण कर रही है जो महामारी से पूर्व किसी उद्योग में कार्यरत थे और महामारी के कारण राज्य में वापस लौटे हैं।
    • इसके साथ ही श्रमिकों के कौशल की भी पहचान की जा रही है।
  • रोज़गार की आवश्यकता वाले ऐसे श्रमिकों की पहचान करने के बाद सरकार कारखाने और कार्यशाला मालिकों तथा बुनियादी ढाँचे संबंधी विभिन्न परियोजनाओं की देख-रेख कर रहे ठेकेदारों से संपर्क करेगी।
  • राज्य सरकार का प्रयास है कि मध्यप्रदेश में सभी कुशल श्रमिकों को एक मंच पर एकत्रित किया जाए और इसके पश्चात् इन्हें उन लोगों के साथ जोड़ा जाए जिन्हें इस कौशल की आवश्यकता है। इस प्रकार राज्य सरकार श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगी ताकि दोनों को लाभ मिल सके और राज्य की अर्थव्यवस्था में भी सुधार हो सके।

महत्त्व

  • राज्य सरकार का यह निर्णय मध्यप्रदेश के उद्योगों के लिये श्रमशक्ति (Manpower) की आवश्यकता को पूरा करने के साथ-साथ कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के दौरान श्रमिकों को रोज़गार भी प्रदान करेगा।

प्रवासी संकट की चुनौती

  • भारत में अंतर-राज्य प्रवासियों (Inter-State Migrants) का कोई आधिकारिक आँकड़ा नहीं है, किंतु वर्ष 2011 की जनगणना, NSSO के सर्वेक्षण और आर्थिक सर्वेक्षण पर आधारित अनुमानों के अनुसार, देश में कुल 65 मिलियन अंतर-राज्य प्रवासी हैं, जिनमें से 33 प्रतिशत प्रवासी श्रमिक हैं।
  • ध्यातव्य है कि देश भर में कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के प्रसार को रोकने के लिये केंद्र सरकार ने 25 मई को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी, इस लॉकडाउन के कारण देश भर में सभी आर्थिक और गैर-आर्थिक गतिविधियाँ पूरी तरह से रुक गई थीं।
  • ऐसे समय में देश भर के प्रवासी श्रमिकों के लिये अपनी आजीविका चलाना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है तथा वे सभी अपने-अपने गृह राज्य वापस लौट रहे हैं, जिसके कारण गृह राज्य पर दबाव और अधिक बढ़ गया है। 
  • एक अनुमान के अनुसार, मध्यप्रदेश में इस लॉकडाउन अवधि के दौरान लगभग 1 मिलियन प्रवासी श्रमिक वापस लौटेंगे, हालाँकि राज्य सरकार के आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, अब तक 5 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों को राज्य में वापस लाया जा चुका है।

निष्कर्ष

  • इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों को आजीविका के साधन उपलब्ध कराना राज्य सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती होगी, जिसे देखते हुए सरकार के मौजूदा कदम को एक सराहनीय प्रयास माना जा सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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