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स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष चुनाव में वी.वी.पैट की भूमिका

  • 13 Dec 2017
  • 14 min read

चर्चा में क्यों?
निर्वाचन आयोग द्वारा गुजरात में मतदान के दौरान ई.वी.एम./वी.वी.पैट (वोटर वैरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) के संभावित दुरुपयोग अथवा ईवीएम और वीवीपैट के इस्‍तेमाल में प्रक्रिया संबंधी चूक को रोकने के लिये व्‍यापक प्रशासनिक सुरक्षा उपाए किये गए हैं। निर्वाचन आयोग ने इन सुरक्षा संबंधी उपायों को राजनैतिक दलों, उम्‍मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता से पारदर्शिता के साथ लागू किया है, ताकि उनका ई.वी.एम. और वी.वी.पैट की क्षमता और विश्‍वसनीयता पर भरोसा कायम हो सके। इन सभी कार्यों और प्रक्रियाओं को ज़िला निर्वाचन अधिकारियों (डी.ई.ओ.), निर्वाचन अधिकारियों (आर.ओ.), सहायक निर्वाचन अधिकारियों तथा चुनाव से संबद्ध अन्‍य अधिकारियों के ज़रिये लागू किया गया है।

प्रशासनिक प्रोटोकोल और प्रक्रिया संबंधी सुरक्षा में क्या-क्या शामिल किया गया है?

  • प्रशासनिक प्रोटोकोल और प्रक्रिया संबंधी सुरक्षा उपायों में -
    ► सभी ई.वी.एम. और वी.वी.पैट की प्रथम स्‍तर पर जाँच। 
    ► एफ.एल.सी. के दौरान प्रत्‍येक ई.वी.एम. और वी.वी.पैट द्वारा कृत्रिम मतदान।
    ► उम्‍मीदवार का समायोजन और मतदान दिवस (वास्‍तविक मतदान शुरू होने से पहले)। 
    ► दो चरणों में ई.वी.एम. और वी.वी.पैट की अचानक निगरानी। 
    ► मतदान से पहले, मतदान के दौरान और उसके बाद ई.वी.एम. और वी.वी.पैट को रखने के लिये कड़े सुरक्षा उपाय।
    ► ई.वी.एम. और वी.वी.पैट संबंधी क्रियाकलापों तथा उन्‍हें रखे जाने वाले सुरक्षित कमरों की विस्‍तृत वीडियोग्राफी और सीसीटीवी कवरेज़। 
  • चुनाव संबंधी इन सभी गतिविधि‍यों को राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों और उम्‍मीदवारों/चुनाव एजेंटों की उपस्थिति में संपन्न कराया जाता है।

ईवीएम और वीवीपैट की प्रथम स्‍तर पर जाँच

  • जाँच के समय निर्माता प्रमाणित करते हैं कि ई.वी.एम. के सभी पुर्जे़ मूल हों। यह प्रमाणित होने के पश्चात् ई.वी.एम. की नियंत्रण इकाई के प्‍लास्टिक कैबिनेट को सील किया जाता है। इसके बाद इस पर राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि हस्‍ताक्षर करते हैं और इसे सुरक्षित कक्ष में रख दिया जाता है। इस चरण के बाद ई.वी.एम. की नियंत्रण इकाई के प्‍लास्टिक कैबिनेट को खोला नहीं जा सकता।
  • जाँच के समय कार्य कर रही प्रत्‍येक ई.वी.एम. पर थोड़े से मतदाताओं के साथ कृत्रिम मतदान कराया जाता है। साथ ही प्रथम स्‍तर की जाँच के समय राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में एक प्रतिशत ई.वी.एम. में 1200 मत, 2 प्रतिशत में 1000 मत और अन्‍य 2 प्रतिशत में 500 मत डाले जाते हैं।
  • इस कृत्रिम मतदान के नतीजों और कृत्रिम मतदान के दौरान डाले गए प्रत्‍येक मत का क्रमबद्ध प्रिंट राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को दिखाया जाता है। राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को इस कार्य के लिये अचानक मशीन चुनने की इज़ाज़त दी जाती है।
  • राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को स्‍वयं कृत्रिम मतदान की इज़ाज़त दी जाती है। प्रत्‍येक वी.वी.पैट में 16 उम्‍मीदवारों के बटन में प्रत्‍येक के सामने 6 मत कृत्रिम मतदान से डाले जाते हैं।

प्रथम स्‍तर की जाँच के बाद ई.वी.एम. और वी.वी.पैट के लिये सुरक्षा उपाय

  • प्रथम स्‍तर की जाँच के बाद ई.वी.एम. और वी.वी.पैट को 24 घंटे की सुरक्षा और सी.सी.टी.वी. कवरेज़ के अंतर्गत सुरक्षित कमरे में रखा जाता है।

ई.वी.एम. और वी.वी.पैट की आकस्मिक निगरानी

  • ई.वी.एम. और वी.वी.पैट की दो बार आकस्मिक निगरानी की जाती है। पहली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र को मशीन का आवंटन करते समय और दूसरी इन्‍हें अलग-अलग मतदान केंद्रों में इस्‍तेमाल के लिये वितरित करने से पहले उम्‍मीदवारों अथवा उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति‍में मतदान केंद्रों पर की जाती है। 
  • आकस्मिक निगरानी का कार्य डीईओ द्वारा राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों/उम्‍मीदवारों की उपस्थिति में ई.वी.एम. ट्रेकिंग सॉफ्टवेयर के ज़रिये किया जाता है, ताकि इस विषय में पूरी पारदर्शिता बनी रहे। 
  • किसी विशेष मतदान केंद्र को आवंटित की गई क्रम संख्‍या वाली ई.वी.एम. और वी.वी.पैट की सूची राजनैतिक दलों एवं उम्‍मीदवारों को दी जाती है।

ई.वी.एम. और वी.वी.पैट में उम्‍मीदवार का समायोजन

  • ई.वी.एम. और वी.वी.पैट में उम्‍मीदवार का समायोजन साफ-सुथरे हाल में किया जाता है। हॉल के प्रत्‍येक प्रवेश द्वार पर सुरक्षा कर्मियों का पहरा लगा होता है, साथ ही दरवाज़े पर मेटल डिटेक्‍टर भी लगाए जाते हैं। 
  • प्रत्‍येक द्वार से प्रवेश करने वाले व्‍यक्ति की तलाशी ली जाती है और केवल अधिकृत अधिकारियों को ही हॉल में प्रवेश करने की इज़ाज़त होती है।
  • मत पत्र पर उम्‍मीदवारों के नाम वर्णमाला के क्रम में निहित होते हैं। सबसे पहले राष्‍ट्रीय और राज्‍य स्‍तर के मान्‍यता प्राप्‍त दल, इसके बाद राज्‍य के अन्‍य पंजीकृत दल और उसके बाद निर्दलियों के नाम होते हैं। 
  • मतपत्र पर उम्‍मीदवारों के क्रम में नाम की व्‍यवस्‍था से मतों में धांधली के लिये सॉफ्टवेयर में पहले से ही गड़बड़ी की कोई संभावना नहीं होती है। अत: किसी विशेष राजनैतिक दल के उम्‍मीदवारों की क्रम संख्‍या प्रत्‍येक निर्वाचन क्षेत्र में अलग-अलग होगी और उसका पहले से पता नहीं लगाया जा सकता, जिससे गड़बड़ी की कोई संभावना नहीं रहती।
  • एक बार उम्‍मीदवार का समायोजन हो जाने पर ई.वी.एम. की मतपत्र इकाई को सील कर दिया जाता है, ताकि मतपत्र इकाई के भीतर कोई न पहुँच सके। इन सीलों में उम्‍मीदवारों/उनके प्रतिनिधियों के हस्‍ताक्षर होते हैं।
  • ई.वी.एम. और वी.वी.पैट में उम्‍मीदवार के समायोजन के दौरान सभी 16 उम्‍मीदवारों के स्विच के सामने मतदान, प्रत्‍येक ई.वी.एम. के परिणाम देखने के अलावा कृत्रिम मतदान आँकड़े दिये जाते हैं। 
  • साथ ही मशीनों को तैयार करते समय कृत्रिम मतदान के दौरान 5 प्रतिशत मशीनों में कम-से-कम 1000 मत डाले जाते हैं।
  • शेष मशीनों में कृत्रिम मतदान के दौरान डाले गए मतों की संख्‍या उम्‍मीदवारों/उनके प्रतिनिधियों की संतुष्टि पर निर्भर करती है और उन्‍हें स्‍वयं कृत्रिम मतदान की इज़ाज़त दी जाती है। ई.वी.एम. और वी.वी.पैट में उम्‍मीदवार की समायोजन की संपूर्ण प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है।

मतदान दिवस

  • मतदान के दिन वास्‍तव में मतदान शुरू होने से एक घंटा पहले पोलिंग एजेंट की उपस्थिति में पीठासीन अधिकारी द्वारा प्रत्‍येक मतदान केन्‍द्र पर कम से कम 50 मत डलवाकर कृत्रिम मतदान कराया जाता है। कृत्रिम मतदान के बाद निर्वाचन अधिकारी नियंत्रण इकाई में परिणाम पता लगाता है, मतदान एजेंटों की उपस्थिति में वी.वी.पैट पेपर स्लिप की गिनती करता है और प्रत्‍येक उम्‍मीदवार के लिये परिणामों की पुष्टि करता है। 
  • वी.वी.पैट से नियंत्रण इकाई और वी.वी.पैट पेपर स्लिप में सभी कृत्रिम मतदान आँकड़ों को पीठासीन अधिकारी द्वारा हटा दिया जाता है और पोलिंग एजेंट खाली ड्रॉप बॉक्स का सत्‍यापन करते हैं। 
  • कृत्रिम मतदान वी.वी.पैट पेपर स्लिप के पीछे स्‍टैंम्प लगा दी जाती है जिस पर लिखा होता है ‘‘कृत्रिम मतदान स्लिप’’। 
  • इसके बाद कृत्रिम मतदान वी.वी.पैट पेपर स्लिप को काले मोटे कागज से बने लिफाफे में रख दिया जाता है और पीठासीन अधिकारी की सील के साथ बंद कर दिया जाता है। इस आशय का कृत्रिम मतदान प्रमाण-पत्र प्रत्‍येक पीठासीन अधिकारी से मिल सकता है।

मतदान के बाद ई.वी.एम. और वी.वी.पैट को सुरक्षित कमरों में रखना

  • मतदान के बाद ई.वी.एम. और वीवीपैट मशीन सील कर दी जाती है और सील पर निर्वाचन एजेंट अपने हस्‍ताक्षर करते हैं और सील की वे मतगणना से पहले जाँच कर सकते हैं। 
  • उम्‍मीदवार/प्रतिनिधियों को ई.वी.एम. और वी.वी.पैट को मतदान केंद्रों से मतगणना सुरक्षित कक्ष में ले जाने वाले वाहनों के पीछे चलने की इज़ाज़त दी जाती है।
  • इसके बाद चुनाव लड़ रहे सभी उम्‍मीदवारों को लिखित रूप में यह सूचना दी जाएगी कि वे सुरक्षित कक्ष के सुरक्षा प्रबंधों पर कड़ी निगरानी रखने के लिये अपने-अपने प्रतिनिधि तैनात कर लें। उन्‍हें अंदरूनी दायरे के बाहर रहने की इज़ाज़त दी जाएगी, ताकि वह सुरक्षा कक्ष के प्रवेश द्वारों पर नज़र रख सकें। 
  • जहाँ तक संभव होगा उन्‍हें उपयुक्‍त शेड, पीने के पानी आदि की सुविधा प्रदान की जाएगी। यदि सुरक्षित कक्ष के प्रवेश द्वार दिखाई नहीं देते हैं तो ऐसी जगहों पर सी.सी.टी.वी. की व्‍यवस्‍था की जाएगी जहाँ से उन्‍हें सुरक्षित कक्ष के दरवाजे़ दिखाई दे सकें। 
  • सुरक्षित कक्ष की सुरक्षा के लिये उस क्षेत्र के डीसी और एसपी ज़िम्‍मेदार होंगे।

मतगणना 

  • मतगणना के दिन उम्‍मीदवारों/उनके प्रतिनिधियों, आरओ और पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में वीडियोग्राफी के अंतर्गत सुरक्षित कक्ष खोला जाएगा।
  • मतों की गिनती पूरी होने के बाद, नियंत्रण इकाइयों और वीवीपैट को दोबारा सील किया जाता है और फिर उन्‍हें सुरक्षित कक्ष में रख दिया जाता है।

निष्कर्ष
स्पष्ट रूप से चुनाव आयोग द्वारा चुनावों की शुचिता, पूर्णता और विश्‍वसनीयता बनाए रखने के पूरे प्रयास किये जाते हैं। इसका उद्देश्य देश के लोकतंत्र में लोगों की आस्‍था और विश्वास को मज़बूत बनाए रखना है। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, इसकी उल्लेखनीय सफलता के कारण दुनिया के अनेक देशों के लिये एक प्रतिमान है। लोकतांत्रिक व्यवस्था की इस सफलता का मूल आधार नियमित एवं निष्पक्ष चुनावों का आयोजन है। अतः चुनावों को सफलता पूर्वक आयोजित करने तथा मतदान प्रणाली की निष्पक्षता बनाए रखने के लिये चुनाव आयोग द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं।

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