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भारतीय राजनीति

चुनावी प्रक्रिया में सुधार हेतु दिशा-निर्देश

  • 11 Mar 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारत निर्वाचन आयोग

मेन्स के लिये:

भारत निर्वाचन आयोग की चुनावी प्रक्रिया में सुधार से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India-ECI) के नौ कार्यकारी समूहों ने चुनावी प्रक्रिया में फेरबदल करने हेतु 25 मुख्य सिफारिशें प्रकाशित कर जनता से टिप्पणी या सुझाव मांगे हैं। 

प्रमुख बिंदु:

  • कार्यकारी समूहों के बारे में:
  • लोकसभा चुनाव के बाद ECI के अधिकारियों और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के को शामिल करते हुए इन कार्यकारी समूहों का गठन किया गया था।
  • इन समूहों ने कार्यक्षेत्र से आँकड़े जुटा कर मौजूदा कानून और संस्थागत ढांँचे के संदर्भ में इन आँकड़ों का विश्लेषण किया और चुनावी प्रक्रिया को सुदृढ़ करने हेतु विकल्प सुझाए।
  • मुख्य सिफारिशें:
  • मतदाताओं के लिये सभी सेवाओं जैसे- पंजीकरण, पते में परिवर्तन, नामों का विलोपन इत्यादि हेतु एकल फॉर्म।
  • नागरिकों के लिये चुनावी सेवाओं को सुव्यवस्थित करने हेतु नेटवर्क और इलेक्टोरल सर्विस सेंटर (Electoral Service Centres-ESC)/वोटर सुविधा केंद्रों (Voter Facilitation Centres-VFC) का विस्तार करना। 
  • दिव्यांग (PWD) एवं वरिष्ठ (+80 वर्ष ) नागरिकों को घर पर चुनावी सेवाएँ प्रदान करना।
  • 17 वर्ष की आयु वाले भावी मतदाताओं को स्कूलों/कॉलेजों में ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
  • बूथ लेवल ऑफिसर ( Booth Level Officer-BLO) प्रणाली में सुधार और डिजिटलीकरण हेतु तकनीकी सुविधाओं से लैस BLO को चरणबद्ध तरीके से नियुक्त किया जाना चाहिये।
  • मतदाताओं के लिये e-EPIC (Electors Photo Identity Card) का प्रावधान।
  • मतदाताओं के पंजीकरण हेतु एक वार्षिक तिथि (1 जनवरी) के बजाय त्रैमासिक/अर्द्ध वार्षिक तिथियों का प्रावधान। 
  • अग्रिम तौर पर चुनावी रूप-रेखा तैयार करने के लिये ECI, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश या जिला स्तरों पर एक “मॉडर्न ऑनलाइन इलेक्शन प्लानिंग पोर्टल (Modern Online Election Planning Portal) ” लाॅन्च करने का प्रावधान ।
  • दिव्यांग या वरिष्ठ नागरिकों को शीघ्र सेवाएँ प्रदान करने हेतु ऑनलाइन पोर्टल।
  • लोक सूचना के लिये संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों, विधानसभा क्षेत्रों या मतदान केंद्रों के मानचित्रण हेतु भौगोलिक सूचना तंत्र (Geographic Information System-GIS) आधारित निर्वाचन संबंधी एटलस का उपयोग।
  • निर्वाचन कैलेंडर और निर्वाचन कार्यक्रम हेतु डिजिटल पोर्टल।
  • राजनीतिक दलों, समाजिक संगठनों और मीडिया कर्मियों के लिये दिशा-निर्देश कार्यक्रम।
  • प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया के लिये नियम।
  • प्रत्याशियों का ऑनलाइन नामांकन।
  • राजनीतिक पार्टियों का खर्च निर्धारित करना।
  • संस्थागत सुदृढ़ीकरण:
  • निर्वाचन संबंधी शिक्षा और जागरूकता के लिये सरकारी संगठनों, सार्वजनिक उपक्रमों और निजी व्यापार/औद्योगिक संगठनों के साथ भागीदारी।
  • सभी स्कूलों/कॉलेजों में निर्वाचन साक्षरता क्लब (Electoral Literacy Clubs) स्थापित करना। 
  • सभी सरकारी और निजी संगठनों में मतदाता जागरूकता मंच स्थापित करना।
  • मतदाता जागरूकता हेतु सभी मतदान केंद्रों में निर्वाचन पाठशाला की स्थापना करना। 
  • स्कूल के पाठ्यक्रमों में मतदाता-शिक्षा का समावेश। 
  • मतदाता शिक्षा और जागरूकता हेतु छह क्षेत्रीय केंद्रों की स्थापना करना।
  • जनसंचार माध्यम का सुदृढ़ीकरण:
  • नई तकनीक का सक्रिय उपयोग।
  • मतदाताओं और अन्य हितधारकों की शिक्षा हेतु वेब टीवी और वेब रेडियो की स्थापना करना।
  • मतदाताओं के लिये दूरदर्शन या रेडियो पर एक साप्ताहिक कार्यक्रम शुरू करना।
  • मतदाता शिक्षा हेतु सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित करना।

स्रोत: द हिंदू

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