सामाजिक न्याय
रोड टू जेंडर इक्वेलिटी: UNDP
- 08 Mar 2021
- 9 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme- UNDP) की प्रकाशित नवीनतम रिपोर्ट "प्रोटेक्टिंग वुमन्स लाइवलीहुड्स इन टाइम्स ऑफ पेंडेमिक: टेंपरेरी बेसिक इनकम एंड द रोड टू जेंडर इक्वेलिटी" (Protecting Women's Livelihoods in Times of Pandemic: Temporary Basic Income and the Road to Gender Equality) में विकासशील देशों की गरीब महिलाओं हेतु एक अस्थायी मूल आय (Temporary Basic Income- TBI) का प्रस्ताव दिया गया है।
- इस प्रस्ताव को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) से पहले प्रस्तुत किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
लिंग असमानता:
- अवैतनिक श्रम:
- अवैतनिक श्रम अर्थात् देखभाल और घरेलू कार्यों में पुरुषों की तुलना में महिलाएंँ औसतन प्रतिदिन 2.4 घंटे अधिक व्यतीत करती हैं।
- वैतनिक अर्थव्यवस्था में भाग लेने वाले लोगों में महिलाएंँ, भुगतान और अवैतनिक कार्य करने वाले पुरुषों की तुलना में प्रतिदिन औसतन चार घंटे अधिक कार्य करती हैं।
- विभेदपूर्ण नीतियाँ:
- जटिल लैंगिक मानदंडों के अलावा, महिलाएंँ समान वेतन, सवैतनिक मातृत्व अवकाश, सार्वभौमिक स्वास्थ्य, बेरोज़गारी और देखभाल लाभ के रूप में प्राप्त होने वाले मुआवज़े जैसी नीतियों के कारण भी आर्थिक भेद्यता का सामना करती हैं।
- कोविड का प्रभाव:
- महामारी के कारण आय में कमी होने तथा नौकरियाँ छूटने के कारण महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रही है।
- यह भेद्यता लैंगिक असमानता के कारण है।
- अत्यधिक गरीबी में महिलाओं के रहने की संभावना पुरुषों की तुलना में 25% अधिक है।
- कोविड-19 ग्लोबल जेंडर रिस्पांस ट्रैक के अनुसार, दस देशों में से केवल एक में ही महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा ज़रूरतों से संबंधित नीतियों का निर्माण किया गया है।
- कोविड-19 ग्लोबल जेंडर रिस्पांस ट्रैकर, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और यूएन वीमेन (UN Women) की एक पहल है, जो महामारी के दौरान सामाजिक सुरक्षा और नौकरियों में बड़े पैमाने पर महिलाओं की ज़रूरतों की अनदेखी को प्रदर्शित करती है।
- महामारी के कारण आय में कमी होने तथा नौकरियाँ छूटने के कारण महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रही है।
मुख्य प्रस्ताव:
- अस्थायी मूल आय (Temporary Basic Income):
- अस्थायी मूल आय (TBI) हर दिन कोरोना वायरस महामारी के प्रभावों से निपटने में विश्व की लाखों गरीब महिलाओं के समक्ष आने वाले आर्थिक दबाव की चुनौतियों को कम करने में सहायक रही है।
- विकासशील देशों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.07-0.31% का मासिक निवेश गरीबी में रहने वाली 613 मिलियन कामकाजी वृद्ध महिलाओं को विश्वसनीय वित्तीय सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
- इस तरह के सार्थक निवेश का लाभ न केवल महिलाओं और उनके परिवारों को महामारी के तनाव से बाहर निकलने में मदद कर सकता है, बल्कि महिलाओं को आय, आजीविका और जीवन विकल्पों के बारे में स्वतंत्र निर्णय लेने में भी सशक्त बनाता है।
- महिलाओं के अनुकूल नीतियाँ:
- सभी श्रमिकों, पुरुषों और महिलाओं की ज़रूरतों को पहचानने हेतु नीतियों का निर्माण होना चाहिये, ताकि कार्य के भुगतान के साथ-साथ अपने घरेलू दायित्वों को भी पूरा किया जा सके तथा ज़िम्मेदारी के रूप में संस्थागत देखभाल और घरेलू कार्यों को अधिक वितरित रूप से साझा करने की ज़रूरत है।
- ऐसी नीतियों में गारंटीकृत सवैतनिक मातृत्व अवकाश, विस्तारित पितृत्व अवकाश और इनका सुचारू क्रियान्वयन शामिल है।
- अंशकालिक कार्य या कार्यस्थल पर स्तनपान सुविधाओं जैसी व्यवस्था स्थापित करने के माध्यम से माता-पिता को बच्चे के जन्म के बाद शीघ्र ही कार्यबल में वापस आने हेतु सहायता प्रदान करता है।
- श्रम बाजार में सुधार:
- भुगतान किये गए कार्यों और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के मध्य सामंजस्य के अलावा सरकारों को श्रम बाज़ार में लैंगिक और अंतर के अन्य स्रोतों क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर अलगाव जैसी अन्य कारकों पर ध्यान दिया जाना चाहिये तथा भेदभाव-विरोधी कानून और सकारात्मक कार्रवाई की पहल शामिल की जानी चाहिये।
- सामान्य तौर पर क्षैतिज अलगाव (Horizontal Segregation) को विभिन्न प्रकार की नौकरियों में पुरुषों और महिलाओं के संदर्भ में परिभाषित किया जा सकता है।
- ऊर्ध्वाधर अलगाव उस स्थिति का सूचक है जिससे किसी कंपनी के भीतर एक विशेष लिंग के लिये कॅरियर में प्रगति के अवसर सीमित होते हैं।
- भुगतान किये गए कार्यों और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के मध्य सामंजस्य के अलावा सरकारों को श्रम बाज़ार में लैंगिक और अंतर के अन्य स्रोतों क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर अलगाव जैसी अन्य कारकों पर ध्यान दिया जाना चाहिये तथा भेदभाव-विरोधी कानून और सकारात्मक कार्रवाई की पहल शामिल की जानी चाहिये।
अन्य देशों की पहल:
- फिलीपींस:
- विस्तारित स्तनपान संवर्द्धन अधिनियम, 2009।
- मेक्सिको:
- मेक्सिको द्वारा सामाजिक सुरक्षा कानून में सुधार किया गया जिससे पुरुषों को चाइल्ड केयर सेवाओं का उपयोग करने की अनुमति मिली।
- बोस्निया & हर्जेगोविना और बोलीविया:
- इन देशों में माता-पिता को कोविड -19 में परिवार की देखभाल हेतु काम के घंटे को कम करने की अनुमति दी गई है।
- केप वर्डे, उत्तर मैसेडोनिया और त्रिनिदाद & टोबैगो:
- इन देशों द्वारा कर्मचारियों को देखभाल की ज़िम्मेदारियों के साथ वर्क फ्रॉम होम से ही कार्य करने की सुविधा प्रदान की है।
लिंग समानता को बढ़ावा देने हेतु भारत में प्रावधान:
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय:
- महिलाओं के रोज़गार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2006 में एक अलग मंत्रालय की स्थापना की गई थी।
- मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017
- यह गर्भवती महिलाओं को कुल 26 सप्ताह का अवकाश प्रदान करता है, जिसमें प्रसव पूर्व 8 सप्ताह का अवकाश शामिल है।
- मातृत्व अवकाश पर जाने से पूर्व महिला को तीन महीने हेतु अपने दैनिक वेतन का लाभ प्राप्त होता है।
- कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013:
- यह सभी महिलाओं को सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करता है।
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, व्यावसायिक सुरक्षा पर संहिता, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता तथा औद्योगिक संबंध संहिता, 2020:
- इन संहिताओं के तहत, महिलाओं को रात्रि में सभी क्षेत्र में कार्य करने की अनुमति दी गई है, लेकिन यह सुनिश्चित किया गया है कि महिलाओं की सुरक्षा का प्रावधान नियोक्ता द्वारा किया जाए साथ ही रात्रि में कार्य करने से पहले महिलाओं की सहमति लेना आवश्यक है।