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भारत-अमेरिका बैठक की रूपरेखा

  • 20 Jun 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय तथा अमेरिकी विशेषज्ञों ने एक तीन दिवसीय परामर्श शुरू किया है जिसमें भारत तथा अमेरिका के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों के बीच जुलाई में होने वाली अपनी तरह की पहली द्विपक्षीय बैठक के लिये प्रमुख विषयों का निर्धारण किया जाएगा। भारतीय तथा अमेरिकी विदेश मंत्रियों एवं रक्षा मंत्रियों के बीच होने वाली वार्ता जिसे 2+2 वार्ता का नाम दिया गया है, से दोनों देशों के बीच संबंध और अधिक मज़बूत होंगे।

2+2 वार्ता क्या है?

  • यदि दो देशों के बीच एक साथ ही दो-दो मंत्रिस्तरीय वार्ताएँ आयोजित की जाएँ तो इसे 2+2 वार्ता का नाम दिया जाता है।
  • भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता में दोनों पक्षों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच वार्ता होनी है।
  • इस मॉडल के तहत भारत और जापान तथा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच भी वार्ता हुई है।

क्या है उद्देश्य?

  • भारत और अमेरिका के बीच संवाद को नया रूप देने के लिये नियमित वार्ता का एक ऐसा ढाँचा विकसित किया जा रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा के क्षेत्र में साझेदारी और मज़बूत होगी।
  • इसका एक अन्य उद्देश्य यह भी है कि हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने में भारत-अमेरिका मिलकर अपनी भूमिका निभाएँ। 
  • प्रस्तावित संरचना के तहत अब भारत और अमेरिका के बीच ‘2+2’ व्यवस्था के अंतर्गत नियमित रूप से मंत्रिस्तरीय वार्ता होती रहेगी और दोनों देशों के रक्षा एवं विदेश सचिवों के बीच सतत् संपर्क बना रहेगा।
  • मंत्रिस्तरीय वार्ता का नया तंत्र शुरू कर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बढ़ाने से दोनों देशों के बीच रणनीतिक विचार-विमर्श और बढ़ेगा।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस बैठक में प्रमुख विशेषता वाले क्षेत्रों में से एक संचार संगतता और सुरक्षा समझौते (Communications Compatibility and Security Agreement -COMCASA)  में उत्पन्न दरारों को भरना है। यह उन चार आधारभूत समझौतों में से एक है जो अमेरिका द्वारा अपने किसी साथी राष्ट्र को दिये जाने वाले रक्षा सहयोग में मदद करता है। 
  • अमेरिकी पक्ष से उभर रहे संकेत यह दर्शाते हैं कि वे हिंद-प्रशांत क्षेत्र की रणनीति में भारत को दिये गए महत्त्व पर ज़ोर देने के इच्छुक हैं। हाल ही में अमेरिका के पैसिफ़िक कमांड (PACOM) को इंडो-पैसिफिक कमांड (INDOPACOM) नाम दिया गया था, जो इस क्षेत्र में भारत के महत्त्व का प्रतीक है।
  • आधारभूत समझौतों के अलावा अमेरिका भारत के साथ व्यापक खुफिया जानकारी-साझाकरण समझौते के लिये भी उत्सुक है क्योंकि दोनों देशों ने अपने आतंकवाद विरोधी सहयोग में व्यापक विस्तार किया है। 
  • इस संदर्भ में चौथा आधारभूत समझौता मूल विनिमय और सहयोग समझौता (Basic Exchange and Cooperation Agreement –BECA), भू-स्थानिक सहयोग के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण होगा।
  • COMCASA और BECA दो आधारभूत समझौते हैं जिन पर भारत ने अभी तक हस्ताक्षर नहीं किये हैं। 
  • इसने पहले ही जनरल सिक्योरिटी ऑफ़ मिलिट्री इन्फार्मेशन एग्रीमेंट (General Security Of Military Information Agreement -GSOMIA) और लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (Logistics Exchange Memorandum of Agreement -LEMOA) पर हस्ताक्षर किये हैं। 
  • अमेरिका वर्ष 2002 से ही आधारभूत समझौते से भारत को जोड़ना चाहता है लेकिन एक के बाद एक आने वाली सरकारें अमेरिकी मांगों को मानने के प्रति सावधान रही हैं।

ड्रोन की बिक्री

  • COMCASA  समझौता एन्क्रिप्टेड संचार प्रणालियों के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करेगा। 
  • अमेरिका भारत को उच्च तकनीक वाले सैन्य हार्डवेयर विशेष रूप से सशस्त्र ड्रोन की आपूर्ति करना चाहता है, इसलिये ये समझौते वाशिंगटन के लिये अधिक आवश्यक हैं।
  • सशस्त्र ड्रोन की बिक्री का मुद्दा 2 + 2 वार्ता के मुख्य विषयों में सबसे ऊपर है।
  • नई दिल्ली ने हाल ही में दोनों पक्षों के बीच हुई कई दौर की वार्ताओं में इस मुद्दे पर पहले की ही तरह अपनी अनिच्छा व्यक्त की है और यह COMCASA के लिये अनिर्णीत रहा है। 

उच्च तकनीकी सहयोग में सुधार
उच्च तकनीकी सहयोग में सुधार के रूप में, भारत और अमेरिका ने महत्त्वाकांक्षी रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल की घोषणा की तथा भारत को एक प्रमुख रक्षा भागीदार नामित किया। लेकिन इस क्षेत्र में भी इससे अधिक कुछ नहीं किया गया है।

उच्च स्तरीय समझौते
भारत और अमेरिका के बीच तीन उच्च स्तरीय रक्षा समझौतों में से केवल एक पर ही हस्ताक्षर हुए हैं।

COMCASA
संगतता और सुरक्षा समझौता (Communications Compatibility and Security Agreement -COMCASA) एन्क्रिप्टेड संचार प्रणाली के हस्तांतरण को सरल बनाता है और उच्च तकनीक वाले सैन्य उपकरणों को साझा करने हेतु यह समझौता अमेरिका की प्रमुख आवश्यकता है।

BECA
मूल विनिमय और सहयोग समझौता (Basic Exchange and Cooperation Agreement) भू-स्थानिक जानकारी के विनिमय को आसान बनाता है।

LEMOA
लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (Logistics Exchange Memorandum of Agreement) पर भारत ने वर्ष 2016 में हस्ताक्षर किये थे। यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं तक पहुँच को आसान बनाता है लेकिन यह इसे स्वचालित या अनिवार्य नहीं बनाता है। 

निष्कर्ष 
भारत द्वारा अब तक इन समझौतों पर हस्ताक्षर न किये जाने का कारण यह है कि भारत को भय है, इन समझौतों पर हस्ताक्षर करने का मतलब है रूस के साथ वर्षो पुराने सैन्य संबंधों तथा उसके हथियार प्रणाली तक पहुँच के साथ समझौता करना पड़ेगा। उम्मीद है कि 2 + 2 वार्ता से पहले दोनों देशों के बीच व्यापक समझ उत्पन्न हो सकती है।

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